गाजर और मूली में करें खरपतवार प्रबंधन

गाजर और मूली की फसल में खरपतवारों की सामस्य होने पर फसलों की उपज में कमी आती ही है। खरपतवारों पर नियंत्रण के लिए निराई-गुड़ाई एक बेहतर विकल्प है। लेकिन कई बार बड़े क्षेत्रों में निराई-गुड़ाई करना काफी कठिन हो जाता है। ऐसे में किसान रासायनिक खरपतवारों का प्रयोग करते हैं। लेकिन कई बार खरपतवार नाशक दवाओं की सही जानकारी नहीं होने के कारण किसानों को बहुत परेशानी होती है। जिसका सीधा असर फसलों की पैदावार पर होता है।
गाजर और मूली में कैसे करें खरपतवारों पर नियंत्रण
- कई बार सब्जियों की बीज में कुछ खरपतवारों के बीज भी मौजूद रहते हैं। इसलिए बीज हमेशा किसी प्रमाणित बीज भंडार या संस्थान से ही लें।
- कुछ खरपतवारों के कंद या जड़ें जमीन में अधिक गहराई में होती हैं। इसलिए खेत तैयार करते समय एक बार गहरी जुताई करें।
- खरपतवार से प्रभावित क्षेत्रों की मिट्टी अपने खेत में प्रयोग न करें।
- कुछ समय के अंतराल पर खेत में निराई-गुड़ाई करें।
- फसल चक्र अपनाएं। फसल चक्र अपनाने से भी खरपतवारों की समस्या कम होती है।
- ड्रिप विधि से सिंचाई करें। इस विधि से सिंचाई करने पर पानी केवल पौधों की जड़ों में जाता है एवं आसपास की जमीन सूखी रहती है। जिससे खरपतवारों के पनपने की संभावना कम होती है।
- सब्जियों की फसल में खरपतवारों पर नियंत्रण के लिए मल्चिंग एक बेहतर विकल्प है।
- चौड़ी पत्ती वाले खरपतवारों पर नियंत्रण के लिए बुवाई के बाद एवं अंकुरण से पहले खेत में प्रति लीटर पानी में 1 मिलीलीटर स्टाम्प मिला कर छिड़काव करें।
- खरपतवारों पर नियंत्रण के लिए पेंडीमेथलीन 30% ई.सी. का इस्तेमाल करें। यह दवा बाजार में धानुटॉप एवं पेंडाकॉप नाम से उपलब्ध है।
- बुवाई से पहले प्रति एकड़ जमीन में 400 ग्राम पेंडिमेथालिन मिलाएं।
- यदि बुवाई से पहले खरपतवारनाशक का प्रयोग नहीं किया है तो बुवाई के 3 दिनों के अंदर प्रति एकड़ खेत में 400 ग्राम पेंडीमेथालिन का प्रयोग करें।
खरपतवारों पर नियंत्रण के लिए आप कितने दिनों के अंतराल पर निराई-गुड़ाई करते हैं? अपने जवाब हमें कमेंट के माध्यम से बताएं। कृषि संबंधी जानकारियों के लिए देहात के टोल फ्री नंबर 1800-1036-110 पर सम्पर्क करके विशेषज्ञों से परामर्श भी कर सकते हैं। इसके साथ ही इस पोस्ट को लाइक एवं कमेंट करना न भूलें।
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