गाजर की कुछ प्रमुख किस्में
गाजर ठंड के मौसम में उगाई जाने वाली महत्वपूर्ण फसलों में शामिल है। गाजर की अच्छी फसल के लिए उसके प्रकारों की जानकारी होना आवश्यक है। मुख्य रूप से गाजर दो प्रकार के होते हैं - एशियन और यूरोपियन। इस पोस्ट से आप गाजर की कुछ प्रमुख किस्मों की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
कुछ प्रमुख एशियन किस्में : पूसा रुधिरा, पूसा मेघाली, पूसा केशर, हिसार गेरिक, हिसार मधुर, हिसार रसीली, पूसा आसिता, पूसा यमदग्नि , गाजर नं- 29, चयन नं-223, पूसा नयनज्योति, पूसा वसुधा
कुछ प्रमुख यूरोपियन किस्में : चैंटनी, नैन्टीज, पूसा यमदागिनी
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पूसा रुधिरा : इसकी बुआई के लिए सितंबर-अक्टूबर का महीना सबसे उत्तम माना जाता है। प्रति हेक्टेयर जमीन से लगभग 300 क्विंटल गाजर प्राप्त किया जा सकता है।
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पूसा मेघाली : इस किस्म की खेती करने पर किसान प्रति हेक्टेयर जमीन से लगभग 250 क्विंटल गाजर प्राप्त कर सकते हैं। यह नारंगी रंग के गूदे वाली होती है। साथ ही इसमें कैरोटीन की अधिक मात्रा पाई जाती है।
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पूसा केशर : यह देशी किस्म की गाजर है। इसकी खेती कर के प्रति हेक्टेयर भूमि से 250 क्विंटल फसल की प्राप्ति होती है।
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पूसा वसुधा : मीठी स्वाद वाली दिखने में लाल रंग की यह गाजर संकर किस्मों में से एक है। इसकी फसल करीब 80 से 90 दिन में तैयार हो जाती है। प्रति हेक्टेयर जमीन से लगभग 400 क्विंटल गाजर की पैदावार होती है।
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पूसा नयनज्योति : पहाड़ी क्षेत्रों में इसकी बुआई अप्रैल से अगस्त और मैदानी क्षेत्रों में नवंबर-दिसंबर में इसकी बुआई करना अच्छा माना जाता है। इस किस्म की गाजर का उपयोग सब्जियों के लिए किया जाता है। प्रति हेक्टेयर भूमि से 350 से 400 क्विंटल गाजर की उपज होती है।
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चैंटनी : इस किस्म की गाजर दिखने में गहरे लाल नारंगी रंग की होती है। बुआई के करीब 75 से 90 दिनों बाद फसल तैयार हो जाती है। प्रति हेक्टेयर खेत से 150 क्विंटल गाजर प्राप्त होता है।
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नैनटिस : इस किस्म की गाजर मुलायम, मीठी और खाने में स्वादिष्ट होती है। बुआई के बाद फसल को तैयार होने में 110 से 120 दिन समय लगता है। प्रति हेक्टेयर जमीन से 200 क्विंटल पैदावार होती है।
इनके अलावा हिसार गेरिक, हिसार मधुर, हिसार रसीली, पूसा वृष्टि आदि भी गाजर की प्रमुख प्रजातियों में शामिल हैं।
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