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गेहूं की फसल में दीमक का खात्मा

दीमक बहुत तेजी से फैलते हुए गेहूं की फसल को कम समय में अधिक नुकसान पहुंचाते हैं। यह कीट मिट्टी में रहते हैं और कई बार फसल को अंदर से खोखला बना देते हैं। इस कीट को नियंत्रित करने के लिए दवाओं का छिड़काव मिट्टी में या पौधों की जड़ों के आस-पास करना चाहिए। गेहूं की फसल में दीमक के प्रकोप के कारण उत्पादन में भारी कमी हो सकती है। समय रहते अगर इन पर नियंत्रण नहीं किया गया तो पूरी फसल नष्ट हो सकती है।

दीमक की कैसे करें पहचान?

  • यह समूह में रहने वाले छोटे आकार के चमकीले कीट हैं।
  • इनका रंग हल्का पीला से भूरा होता है।

गेहूं की फसल में दीमक के प्रकोप से होने वाले नुकसान

  • यह कीट अंकुरित बीज के साथ पौधों की जड़ों को भी नुकसान पहुंचाते हैं।
  • यह जड़ों का रस चूस का फसल को कमजोर बना देते हैं।
  • दीमक जमीन की सतह के पास तनों को भी काटते हैं।
  • कुछ ही दिनों में पौधे सूखने लग जाते हैं।

गेहूं की फसल में दीमक पर कैसे करें नियंत्रण?

  • खेत में कभी कच्चे गोबर का प्रयोग न करें। कच्चे गोबर में दीमक के पनपने का खतरा बढ़ जाता है।
  • खेत में फसलों के अवशेष इकट्ठा न होने दें।
  • प्रति एकड़ जमीन में 4 क्विंटल नीम की खली का प्रयोग करने से दीमक का प्रकोप कम होता है।
  • प्रति एकड़ भूमि में 400 मिलीलीटर ब्यूवेरिया बेसियाना (डॉ. बैक्टोज़ ब्रेव) का छिड़काव करें।
  • गेहूं की फसल में दीमक पर नियंत्रण के लिए प्रति एकड़ खेत में 8 किलोग्राम फिप्रोनिल 0.3%जी.आर. (देहात- स्लेमाईट) का प्रयोग करें।
  • प्रति किलोग्राम बीज को 1.32-4 मिलीलीटर थियामेथोक्सम 30% एफएस (देहात- एसीयर एफएस, अदामा- तलैया, यूपीएल- रेनो) से उपचारित करें।
  • प्रति किलोग्राम बीज को 1-3 मिलीलीटर इमिडाक्लोप्रिड 48% एफएस (कात्यायनी- आक्रोश, बायर- गौचो) से उपचारित करें।
  • खड़ी फसल में दीमक का प्रकोप दिखने पर प्रति एकड़ खेत में 300 मिलीलीटर क्लोरपायरीफॉस 20% ईसी (श्रीराम- क्लोरो, सिल्वर क्रॉप- क्लोरोसिल 20, हाईफील्ड- दरबान) का प्रयोग करें।

गेहूं की फसल में दीमक पर नियंत्रण के लिए आप किन दवाओं का प्रयोग करते हैं? अपने जवाब हमें कमेंट के माध्यम से बताएं। फसलों को विभिन्न रोगों एवं कीटों से बचाने की अधिक जानकारियों के लिए 'किसान डॉक्टर' चैनल को तुतंत फॉलो करें। इसके साथ ही इस पोस्ट को लाइक और शेयर करना न भूलें।

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