गेहूं एवं सरसों की मिश्रित खेती में ध्यान रखने वाली बातें

गेहूं की खेती देश के लगभग सभी क्षेत्रों में की जाती है। रबी मौसम में मोटे अनाजों में इसकी खेती प्रमुखता से होती है। गेहूं की खेती करने वाले किसान मिश्रित खेती कर के अधिक मुनाफा कमा सकते हैं। कम समय में अधिक मुनाफा कमाने के लिए गेहूं की फसल के साथ सरसों की खेती की जा सकती है। नवंबर-दिसंबर महीने में इन फसलों की बुवाई कर के मार्च-अप्रैल तक कटाई कर सकते हैं। आइए जानते हैं गेहूं एवं सरसों की मिश्रित खेती में ध्यान रखने वाली बातें।
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सरसों की फसल के साथ कठिया गेहूं या गेहूं की असिंचित किस्मों की खेती करने से बेहतर फसल ली जा सकती है।
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फसलों की बुवाई कतार में करें। इससे सिंचाई एवं निराई-गुड़ाई में भी आसानी होती है।
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सरसों की प्रत्येक कतारों के बीच 8 से 10 इंच की दूरी रखें।
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बीज की बुवाई 3 से 4 सेंटीमीटर की गहराई में करें।
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सरसों की 30-35 दिन की फसल में फूल आने शुरू हो जाते हैं। इस समय सरसों के पौधों के मुख्य तने की ऊपर से तुड़ाई करें। इससे मुख्य तना की वृद्धि रूक रुक जाएगी और शाखाओं की संख्या में वृद्धि होगी। ऐसा करने से सरसों की उपज में 10 से 15 प्रतिशत तक बढ़ोतरी होती है।
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गेहूं के दाने तब सख्त हो जाएं तब इसकी कटाई कर लेनी चाहिए।
गेहूं एवं सरसों की मिश्रित खेती के फायदे
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कठिया गेहूं की जड़ें 2-3 इंच गहरी होती हैं। वहीं सरसों की जड़ें 4-5 इंच गहरी होती हैं। जड़ों की गहराई में अंतर होने के कारण पौधों को पर्याप्त मात्रा में पोषक तत्व एवं नमी मिलती है।
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सिंचाई के समय पानी की बचत होती है।
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खाद एवं उर्वरकों की मात्रा में भी कम लगती है।
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खेत में खाली जमीन नहीं होने से खरपतवार कम निकलते हैं।
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हमें उम्मीद है इस पोस्ट में बताई गई बातों को ध्यान में रख कर खेती करने से आप गेहूं एवं सरसों की अच्छी पैदावार प्राप्त कर सकेंगे। यदि आपको यह जानकरी आवश्यक लगी है तो इस पोस्ट को लाइक करें एवं इसे अधिक से अधिक किसानों के साथ साझा भी करें। जिससे अन्य किसान मित्र भी इसका लाभ उठा सकें। इससे जुड़े अपने सवाल हमसे कमेंट के माध्यम से पूछें।
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