गेहूं की फसल में रस्ट रोग की पहचान

गेहूं की फसल में लगने वाले रोगों में रस्ट रोग भी शामिल है। यह रोग तीन तरह का होता है। रस्ट रोग को गेरूई रोग और रतुआ रोग के नाम से भी जाना जाता है। यहां से आप ब्राउन रस्ट रोग, येलो रस्ट रोग और ब्लैक रस्ट रोग के लक्षण देख सकते हैं। इसके साथ ही इस पोस्ट में बताई गई दवाओं का प्रयोग कर के आप इस रोग पर नियंत्रण भी कर सकते हैं।
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भूरा रतुआ रोग : इस रोग को ब्राउन रस्ट या पत्ती का रतुआ रोग भी कहते हैं। यह रोग देश के लगभग सभी क्षेत्रों में पाया जाता है। इस रोग के होने पर शुरुआत में पत्तियों की ऊपरी सतह पर नारंगी रंग के धब्बे उभरने लगते हैं। कुछ समय बाद यह धब्बे गहरे भूरे रंग में परिवर्तित हो जाते हैं। इस रोग के कारण गेहूं की पैदावार में 30 प्रतिशत तक कमी आ सकती है। इस रोग पर नियंत्रण के लिए प्रति एकड़ भूमि में 1.2 किलोग्राम डाईथेन एम 45 का छिड़काव करें ।
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पीला रतुआ रोग : इसे येलो रस्ट या धारीदार रतुआ रोग भी कहा जाता है। इस रोग से प्रभावित पौधों की पत्तियों पर पीली रंग की धारियां उभरने लगती हैं। कुछ समय बाद पूरी पत्तियां पीली रंग की हो जाती हैं। मिट्टी में भी पीले रंग के पाउडर के समान तत्व गिरने लगते हैं। कल्ले निकलने के समय इस रोग के होने पर पौधों में बालियां नहीं बनती हैं। इस रोग पर नियंत्रण के लिए प्रति लीटर पानी में 2 ग्राम मैंकोज़ेब 75 डब्ल्यूपी मिलाकर छिड़काव करें।
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काला रतुआ रोग : इसे ब्लैक रस्ट या तने का रतुआ रोग भी कहते हैं। शुरुआत में इस रोग के होने पर पौधों के तने एवं पत्तियों पर गहरे भूरे रंग के धब्बे उभरने लगते हैं। रोग बढ़ने के साथ धब्बों का रंग काला होने लगता है। 20 डिग्री सेंटीग्रेड से अधिक तापमान होने पर यह रोग तेजी से फैलता है। इस रोग पर नियंत्रण के लिए 0.1 प्रतिशत टेबुकोनाजोले 250 ई.सी का छिड़काव करें।
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