गेंदे की इन किस्मों की करें खेती, होगी अधिक पैदावार

हमारे देश में गेंदे के खेती बड़े पैमाने पर की जाती है। गेंदे के फूलों की मांग भी अधिक होती है। इसके फूल कई आकार एवं विभिन्न रंगों के होते हैं। इसकी व्यावसायिक खेती करने वाले किसान कम समय में अच्छा मुनफा कमा सकते हैं। गेंदे की अच्छी पैदवार के लिए इसकी उन्नत किस्मों का चयन करना आवश्यक है। आइए गेंदे की कुछ उन्नत किस्मों की जानकारी यहां से प्राप्त करें।
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पूसा बसंती गेंदा : इस किस्म को वर्ष 1995 में विकसित किया गया। इसकी खेती भारत के लगभग सभी क्षेत्रों में सफलतापूर्वक की जा सकती है। इस किस्म के फूल मध्यम आकार के एवं पीले रंग के होते हैं। बीज की बुवाई के 135 से 145 दिनों के बाद पौधों में फूल आने शुरू हो जाते हैं। प्रति एकड़ खेत से 80 से 100 क्विंटल तक ताजे फूलों की पैदावार होती है।
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पूसा नारंगी गेंदा : एक किस्म को वर्ष 1995 में विकसित किया गया था। इसकी खेती भारत के लगभग सभी क्षेत्रों में सफलतापूर्वक की जा सकती है। इसके फूलों का आकार बड़ा होने के कारण दक्षिण भारतीय क्षेत्रों में यह अधिक लोकप्रिय है। इसके फूल गहरे नारंगी रंग के होते हैं। बीज की बुवाई के करीब 125 से 135 दिनों बाद पौधों में फूल निकलना शुरू हो जाता है इस किस्म के फूलों में प्रचुर मात्रा में कैरोटीनॉयड पाया जाता है। इसका उपयोग भोजन सामग्री के निर्माण एवं औषधीय निर्माण में किया जाता है। प्रति एकड़ भूमि में खेती करने पर 100 से 120 क्विंटल ताजे फूलों की पैदावार होती है।
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पूसा अर्पिता : इस किस्म को वर्ष 2009 में विकसित किया गया था। उत्तरी मैदानी क्षेत्रों में खेती करने के लिए उपयुक्त किसमें है। इसकी फूल मध्यम आकार के एवं हल्के नारंगी रंग के होते हैं। उत्तरी मैदानी क्षेत्रों में खेती करने पर दिसंबर से फरवरी तक पौधों में फूल निकलते हैं। प्रति एकड़ खेत में खेती करने पर 72 से 80 क्विंटल तक ताजे फूलों की पैदावार होती है।
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