गन्ने का लाल सड़न रोग व इसके रोकथाम के उपाय
गन्ने की फसल में 50 से भी अधिक रोग पाए जाते हैं। जिनमे से एक है रेड रॉट यानि लाल सड़न रोग। लाल सड़न रोग को गन्ने का कैंसर भी कहा जाता है। गन्ने की फसल को इस रोग से बचाने के लिए इस रोग का कारण , लक्षण और रोकथाम के उपाय की जानकारी होना बहुत जरूरी है।
रोग का कारण
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यह रोग ग्लोमेरेला टुकुमेन्सिस नाम के फफूंद के कारण होता है। जो मिट्टी में कुछ महीनों तक जीवित रहता है।
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लाल सड़न रोग होने का मुख्य कारण है इस रोग से प्रभावित बीजों का उपयोग करना।
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ठंड, गीला मौसम, मिट्टी में उच्च नमी और एक ही फसल की लगातार खेती इस बीमारी के लिए अनूकूल होती है।
रोग का लक्षण
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इस रोग से प्रभावित पौधों की तीसरी और चौथी पत्तियां पीली हो कर सूखने लगती हैं।
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गन्नों की गांठों तथा छिलकों पर फफूंद के बीजाणु विकसित होने लगते हैं।
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रोग से प्रभावित गन्नों के अंदर लाल रंग के बीच में सफेद रंग के धब्बे बनते हैं।
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गन्नों का गूद्दा लाल और भूरे रंग के फफूंद से भर जाता है।
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पौधों के सूखने पर अल्कोहल जैसी गंध आती है।
रोकथाम के उपाय
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इस रोग पर नियंत्रण के लिए अभी तक कोई प्रभावशाली विधि उपलब्ध नहीं है।
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रोग मुक्त, स्वस्थ बीजों का चयन करें। अगर किसी बीज के टुकड़े की आंखों के दोनों तरफ लाली हो तो उसका उपयोग खेती के लिए न करें।
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लाल सड़न रोग से बचने के लिए प्रति लीटर पानी में 1 ग्राम कार्बेन्डाजिम या मांकोजेब का घोल बनाएं। इस घोल से बीजों को उपचारित करें।
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नम गर्म शोधन मशीन से 54 डिग्री सेंटीग्रेड पर 1 घंटे तक बीज को उपचारित कर के भी इस रोग से बचा जा सकता है।
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रोग को फैलने से रोकने के लिए प्रभावित पौधों को खेत से निकाल कर 0.1 प्रतिशत कार्बेन्डाजिम या मांकोजेब का छिड़काव करें।
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