गन्ने की फसल में अधिक उपज एवं गुणवत्ता हेतु पोषक तत्त्वों का प्रबंधन कैसे करें ?

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गन्ना एक प्रमुख व्यावसायिक बहुवर्षीय फसल है। गन्ने की खेती अपने आप में सुरक्षित व मुनाफे की खेती मानी जाती है।
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गन्ने की फसल से अधिक उपज लेने के लिए आवश्यक पोषक तत्त्वों का उचित मात्रा में इस्तेमाल करना चाहिए। किसी भी एक पोषक तत्त्व की कमी होने पर फसल के विकास पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।
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गन्ने की फसल में किसान सामान्यतः तीन प्रकार के उर्वरकों का प्रयोग करते हैं। डीएपी के साथ यूरिया एवं पोटाश का इस्तेमाल किया जाता हैं।
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उर्वरकों के सही संयोजन से खेती में लागत को कम किया जा सकता है। आज इस आर्टिकल के माध्यम से किसानों को उचित मात्रा में पोषक तत्त्वों के प्रबंधन की जानकारी देंगे। जानने के लिए पढ़िए यह आर्टिकल।
गन्ने की फसल में पोषक तत्त्वों का प्रबंधन कैसे करें ?
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गन्ने के प्रति हेक्टेयर खेत में नाइट्रोजन, फॉस्फोरस एवं पोटाश (एन.पी.के) का इस्तेमाल 100:90:60 किलोग्राम मात्रा में किया जाता है।
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मिट्टी की आदर्श अवस्था में 25-50 किलोग्राम फेरस सल्फेट से मिट्टी का उपचार करें।
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लोहे की कमी होने पर 2.5 टन कार्बनिक खाद प्रति हेक्टेयर में 125 किलोग्राम फेरस सल्फेट के साथ मिलाकर प्रयोग करें।
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बोरॉन की कमी को दूर करने के लिए 4 से 6 किलोग्राम प्रति एकड़ बोरेक्स उर्वरक का प्रयोग करें।
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साथ ही इसकी पूर्ति के लिए बुवाई के 4 दिन बाद 6 किलोग्राम प्रति एकड़ बोरेक्स अथवा 2.5 किलोग्राम प्रति एकड़ बोरिक एसिड पौधों के चारों ओर डालकर मिट्टी में अच्छी तरह मिला दें।
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एक एकड़ गन्ने के खेत में 140 किलोग्राम यूरिया, 75 किलोग्राम पोटाश, 90 किलोग्राम डीएपी और 250 ग्राम एन.पी.के. का इस्तेमाल करें।
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इसके अलावा 125 किलोग्राम फेरस सल्फेट, 4 किलोग्राम बोरॉन एवं बोरॉक्स और 2.5 किलोग्राम बोरिक एसिड का प्रयोग करें।
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