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4 Oct
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गन्ने की फसल में उर्वरक प्रबंधन | Fertilizer Management in Sugarcane Crop

गन्ने की फसल में किसान सामान्यतः तीन प्रकार के उर्वरकों का प्रयोग किया जाता है। जिसमें डीएपी के साथ यूरिया एवं पोटाश का इस्तेमाल शामिल है। लेकिन कई बार मात्रा की सही जानकारी नहीं होने के कारण किसान अधिक मात्रा में उर्वरकों का प्रयोग करते हैं। जिससे उर्वरकों पर होने वाले खच में वृद्धि होती है। इसके अलावा आवश्यकता से कम मात्रा में उर्वरकों का प्रयोग करने से उपज एवं गुणवत्ता खराब होने लगती है। जिससे किसानों को उचित मात्रा में उपज प्राप्त नहीं हो पाता है। यह उनके लिए आर्थिक नुकसान का एक बड़ा कारण बन सकता है। गन्ने की फसल में उचित मात्रा में उर्वरकों के प्रयोग की विस्तृत जानकारी के लिए इस पोस्ट को ध्यान से पढ़ें।

गन्ने की फसल में पोषक तत्वों की कमी से होने वाले नुकसान | Problems Caused due to Lack of Fertilizers in Sugarcane Crop

  • उपज में कमी: पोषक तत्वों की कमी से पौधों के विकास में बाधा आ सकती है। जिससे गन्ने की फसल की उपज कम हो सकती है।
  • गुणवत्ता में कमी: उचित मात्रा में पोषक तत्व नहीं मिलने के कारण गन्ने में चीनी की मात्रा में कमी आ सकती है। जिससे उसकी गुणवत्ता खराब होने लगती है।
  • कीटों एवं रोगों के प्रति संवेदनशीलता: पौधों में पोषक तत्वों की कमी होने से उसकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होने लगती है। इस कारण पौधे कीटों एवं रोगों के प्रति अधिक संवेदनशील हो जाते हैं।
  • कटाई में देर: संतुलित मात्रा में पोषण नहीं मिलने के कारण पौधे धीमी गति से बढ़ते हैं। जिससे फसल को कटाई के लिए परिपक्व होने में अधिक समय लगता है।

गन्ने की फसल में उर्वरक प्रबंधन | Fertilizer Management in Sugarcane Crop

  • प्रर्ति एकड़ खेत में 5 टन अच्छी तरह सड़ी हुई गोबर की खाद मिलाएं।
  • एक एकड़ गन्ने के खेत में 130 किलोग्राम यूरिया, 52 किलोग्राम डीएपी और 40 किलोग्राम म्यूरेट ऑफ पोटाश की आवश्यकता होती है। बेसल डोज के तौर पर यूरिया का ⅓ भाग के साथ डीएपी और एमओपी की पूरी मात्रा का का प्रयोग करें। बचे हुए यूरिया का प्रयोग पौधों में कल्ले आने के समय टॉप ड्रेसिंग के तौर पर करें।
  • बुवाई से पहले 80 किलोग्राम डीएपी का इस्तेमाल करें।
  • सूक्ष्म पोषक तत्वों की पूर्ति के लिए प्रति एकड़ खेत में 5 किलोग्राम जिंक सल्फेट 25 किलोग्राम न्यूट्रीवन MgSo4 और 8 किलोग्राम देहात स्टार्टर का प्रयोग करें।
  • सल्फर की पूर्ति के लिए प्रति एकड़ खेत में 200 किलोग्राम जिप्सम का प्रयोग करें।

बुवाई के 30-60 दिनों के बाद उर्वरक प्रबंधन

  • प्रति लीटर पानी में 5 ग्राम 'देहात न्यूट्रीवन एनपीके 19:19:19' का प्रयोग करें।
  • प्रति लीटर पानी में 1-2 मिलीलीटर 'देहात न्यूट्रीवन जिंक ऑक्साइड 39.5%' का प्रयोग करें।
  • प्रति लीटर पानी में 2-3 मिलीलीटर 'देहात न्यूट्रीवन बूस्ट मास्टर' का प्रयोग करें।

बुवाई के 90-100 दिनों के बाद उर्वरक प्रबंधन

  • प्रति एकड़ खेत में 1-2 किलोग्राम बोरोन 14.5% (देहात न्यूट्रीवन DTB) का प्रयोग करें।
  • प्रति लीटर पानी में 5 ग्राम मोनो पोटेशियम फॉस्फेट 00:52:34 (देहात न्यूट्रीवन एमकेपी) का प्रयोग करें।

फसलों में उर्वरकों के प्रयोग के समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए? | Things to Keep in Mind While Using Fertilizers for Crops

  • मृदा परीक्षण: उर्वरकों को लागू करने से पहले, पोषक तत्व सामग्री और पीएच स्तर निर्धारित करने के लिए मिट्टी का परीक्षण करना महत्वपूर्ण है। इससे फसल के लिए आवश्यक उर्वरक के प्रकार और मात्रा को निर्धारित करने में मदद मिलेगी।
  • उर्वरकों का प्रकार: विभिन्न फसलों को उनकी पोषक तत्वों की आवश्यकताओं के आधार पर विभिन्न प्रकार के उर्वरकों की आवश्यकता होती है। फसल के लिए सही प्रकार के उर्वरक का चयन करना महत्वपूर्ण है।
  • उर्वरकों की मात्रा: उर्वरकों की मात्रा फसल की पोषक तत्वों की आवश्यकताओं और मिट्टी परीक्षण के परिणामों पर आधारित होनी चाहिए।
  • उचित समय: बेहतर उपज प्राप्त करने के लिए उर्वरकों का प्रयोग सही समय पर करना चाहिए। उदाहरण के लिए, फसल विकास चक्र के दौरान नाइट्रोजन को विभाजित करके 2-3 बार में प्रयोग करना चाहिए।
  • आवेदन की विधि: उर्वरकों को विभिन्न तरीकों जैसे प्रसारण, बैंडिंग या फर्टिगेशन के माध्यम से लागू किया जा सकता है। आवेदन की विधि को फसल की पोषक तत्वों की आवश्यकताओं और मिट्टी के प्रकार के आधार पर करना चाहिए।
  • भंडारण: उर्वरकों की प्रभावशीलता और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए ठीक से संग्रहित करने की आवश्यकता है। उर्वरकों को सीधे धूप में न रखें। इन्हें नमी से दूर सूखी और ठंडी जगह पर रखा जाना चाहिए।

अधिक मात्रा में उर्वरकों के प्रयोग से होने वाले नुकसान | Effects of Excessive Use of Fertilizers

  • मृदा क्षरण: उर्वरकों के अत्यधिक उपयोग से मिट्टी का क्षरण हो सकता है, क्योंकि यह मिट्टी की संरचना को बदल सकता है और इसकी उर्वरता को कम कर सकता है। इससे फसल की पैदावार कम हो सकती है और मिट्टी का कटाव बढ़ सकता है।
  • पर्यावरण प्रदूषण: उर्वरकों के अत्यधिक उपयोग से पर्यावरण प्रदूषण हो सकता है, क्योंकि अतिरिक्त पोषक तत्व भूजल और सतह के पानी में मिल सकते हैं, जिससे यूट्रोफिकेशन और हानिकारक शैवाल खिल सकते हैं।
  • स्वास्थ्य के लिए हानिकारक: उर्वरकों के अधिक उपयोग से फसलों में नाइट्रेट का संचय हो सकता है। अधिक मात्रा में इसका सेवन करने पर यह मानव स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है।
  • जैव विविधता में कमी: उर्वरकों के अत्यधिक उपयोग से मिट्टी में मौजूद लाभकारी सूक्ष्म जीवों की संख्या में कमी आ सकती है। इससे जैव विविधता में कमी हो सकती है।
  • लागत में वृद्धि: आवश्यकता से अधिक मात्रा में उर्वरकों के उपयोग से कृषि में होने लागत में वृद्धि हो सकती है।
  • जलवायु परिवर्तन: उर्वरकों का उत्पादन और उपयोग जलवायु परिवर्तन में योगदान कर सकता है, क्योंकि इसमें बड़ी मात्रा में ऊर्जा की आवश्यकता होती है और कार्बन डाइऑक्साइड और नाइट्रस ऑक्साइड जैसी ग्रीन हाउस गैसों को छोड़ती है।

क्या आप गन्ने की फसल में उर्वरकों के प्रयोग से पहले मिट्टी की जांच कराते हैं? अपने जवाब हमें कमेंट के माध्यम से बताएं। हमें उम्मीद है इस पोस्ट में दी गई जानकारी आपके लिए लाभकारी साबित होगी। यदि आपको यह जानकारी पसंद आई है तो इस पोस्ट को ज्यादा से ज्यादा लाइक करें और अपने किसान मित्रों के साथ जानकारी साझा करें। जिससे अधिक से अधिक लोग इस जानकारी का लाभ उठा सकें और गन्ने की फसल में उचित मात्रा में पोषक तत्वों का प्रबंधन कर, फसल से अधिक उत्पादन प्राप्त कर सकें। बेहतर फसल प्राप्त करने के लिए इस तरह की अधिक जानकारियों के लिए 'कृषि ज्ञान' चैनल को तुरंत फॉलो करें।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल | Frequently Asked Questions (FAQs)

Q: गन्ने के लिए सबसे अच्छा उर्वरक कौन सा है?

गन्ने के लिए सबसे अच्छा उर्वरक मिट्टी के प्रकार, जलवायु और फसल के विकास के चरण जैसे विभिन्न कारकों पर निर्भर करता है। आम तौर पर, गन्ने की खेती के लिए नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटेशियम (एनपीके) उर्वरकों के प्रयोग की सलाह दी जाती है। उर्वरकों की मात्रा खेत की मिट्टी में मौजूद पोषक तत्वों के अनुसार करें।

Q: गन्ने में कौन कौन सी खाद डालना चाहिए?

गन्ने की बेहतर उपज प्राप्त करने के लिए नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटेशियम जैसे मुख्य पोषक तत्वों के साथ कैल्शियम, मैग्नीशियम और सल्फर जैसे सूक्ष्म पोषक तत्वों का भी प्रयोग करना चाहिए।

Q: गन्ने की ग्रोथ बढ़ाने के लिए क्या करें?

गन्ने की वृद्धि के लिए अच्छी तरह खेत तैयार करें। इसके बाद अपने क्षेत्र एवं मौसम के आधार पर गन्ने की किस्मों का चयन करें। सही समय पर बुवाई, उचित मात्रा में उर्वरकों का प्रयोग, सिंचाई प्रबंधन, रोग एवं कीट प्रबंधन, खरपतवार नियंत्रण, आदि के द्वारा भी गन्ने के विकास को बढ़ाया जा सकता है।

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