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गोभी की फसल में बीटल कीट का प्रकोप और रोकथाम के उपाय
गोभी की फसल में बीटल कीट का प्रकोप और रोकथाम के उपाय
गोभी एक लोकप्रिय सब्जी है। इससे सब्जी, अचार जैसे खाद्य पदार्थ बनाए जाते हैं। इसमें प्रोटीन, कैल्शियम, फास्फोरस, विटामिन ‘ए’, ‘सी’ तथा निकोटीनिक एसिड जैसे पोषक तत्व मौजूद होते हैं। गोभी में कई तरह के कीट एवं बीमारियों का प्रकोप देखने को मिलता है। इनमें से एक है - बीटल कीट। इसे पिस्सू भृंग भी कहते हैं। बारिश के मौसम में इसका प्रकोप सबसे ज्यादा देखने को मिलता है। इस कीट के कारण 30 से 70 प्रतिशत तक फसल नष्ट हो जाती है। आज इस आर्टिकल के माध्यम से किसानों को बीटल कीट के लक्षण एवं रोकथाम के उपाय बतायेंगे। जानने के लिए पढिये यह आर्टिकल।
बीटल कीट के लक्षण एवं कारण
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यह कीट काला एवं अंडाकार होता है।
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इस कीट की लम्बाई लगभग 4 मिलीमीटर होती है।
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ये कीट दिनभर मिट्टी में रहते हैं और रात को अधिक सक्रिय होते हैं।
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यह कीट पत्तियों को खा जाते हैं, जिससे पत्तियों में छोटे-छोटे छेद हो जाते हैं।
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कुछ समय बाद पूरी पत्तियां जालीदार हो जाती है।
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अधिक प्रकोप बढ़ने पर गोभी के फूल में छोटे-छोटे छेद हो जाते हैं।
बीटल कीट के रोकथाम के उपाय
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पहले से खेत में मौजूद अवशेषों को हटा दें।
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खेत में खरपतवार को न होने दें।
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बीटल कीट को आकर्षित करने के लिए ट्रैप का प्रयोग करें।
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इस कीट पर नियंत्रण करने के लिए प्रति एकड़ खेत में 1 किलोग्राम बेवेरिया बेसियाना का छिड़काव करें।
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इसके अलावा प्रति एकड़ खेत में 120 ग्राम थियामेथोक्सम 30 एफ.एस का छिड़काव करने से भी इस कीट से निजात पाया जा सकता है।
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आवश्यकतानुसार दूसरा छिड़काव 15 दिनों के बाद पुन: करें।
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खेत में फेनवेलरेट 20 प्रतिशत का 50 मिलीलीटर मात्रा का प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें।
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अगेती किस्मों को लगाने से भी इस कीट के प्रकोप से बचा जा सकता है।
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नीम युक्त कीटनाशी या खैनी के डंटल से बने कीटनाशक का इस्तेमाल करें।
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अधिक प्रकोप होने पर मिथाइल डिमेटोन 25 ई. सी. या डायमेथोयट 30 ई. सी. का छिड़काव करें।
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