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ग्रीष्मकालीन गन्ने की बुवाई में आने वाली समस्याएं
ग्रीष्मकालीन गन्ने की बुवाई में आने वाली समस्याएं
भारत में ज्यादातर क्षेत्रों में शरदकालीन गन्ने की खेती की जाती है। लेकिन कई क्षेत्रों में ग्रीष्मकालीन गन्ने की खेती भी की जाती है। ग्रीष्मकालीन गन्ने की खेती से जुड़ी सही जानकारी के अभाव में कई बार किसानों को कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। अगर आप करना चाहते हैं ग्रीष्मकालीन गन्ने की खेती तो यहां से इसकी बुवाई के समय आने वाली समस्याएं एवं इन समस्याओं से बचने के तरीकों की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
ग्रीष्मकालीन गन्ने की बुवाई में आने वाली समस्याएं
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बीज का चयन : अच्छी फसल के लिए बीज का चयन करना सबसे महत्वपूर्ण कार्य है। रोपाई के लिए गन्ने के ऊपरी हिस्सों को बीच के लिए चयनित ना करें। गन्ने के सभी टुकड़ों में कम से कम एक या दो आंखों का होना जरूरी है। रोग ग्रसित पौधों को बीज के तौर पर प्रयोग ना करें। इससे आने वाली फसल भी रोग से ग्रसित हो सकती है। गन्ने के बीज 8 महीने या इससे कम की होनी चाहिए। इससे अंकुरण में आसानी होती है।
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बीज उपचार : कई बार किसानों को बीज उपचारित करने की विधि की सही जानकारी नहीं होती है। सही तरीके से बीज उपचारित नहीं होने के कारण गन्ने की फसल कई रोगों से एवं कीटों से प्रभावित हो सकती है। गन्ने के बीज को उपचारित करने के लिए प्रति लीटर पानी में 2 ग्राम कार्बेंडाजिम मिलाकर घोल तैयार करें। इस घोल में गन्ने के टुकड़ों को 15 से 20 मिनट तक भिगोकर रखें और बीज की रोपाई करें। पौधों को अंगमारी रोग से बचाने के लिए 5 लीटर पानी में 1.5 ग्राम स्ट्रेप्टोसाइक्लिन नामक दवा मिलाकर बीज को 12 घंटे तक भिगोकर रखें इसके बाद बीज को सुखाकर बुवाई करें।
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खेत तैयार करने की विधि : ग्रीष्मकालीन गन्ने की खेती के लिए खेत तैयार करते समय एक बार गहरी जुताई एवं 2-3 बार हल्की जुताई कर पाटा लगा दें। खेत तैयार करते समय भूमि में नीम की खली एवं सड़ी हुई गोबर की खाद मिलाने से उच्च गुणवत्ता की फसल प्राप्त कर सकते हैं।
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बुवाई की विधि : बुवाई से पहले 24 घंटे तक बीज को पानी में भिगोकर रखें। इसके बाद 6 से 48 घंटे तक बीज को ढेर बना कर रखें। इससे बीच में अंकुरण की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। बीज की रोपाई 5 सेंटीमीटर की दूरी पर करें। रोपाई के बाद बीज को मिट्टी से ढकें। प्रति एकड़ जमीन में करीब 30 किलोग्राम नाइट्रोजन, 24 किलोग्राम फास्फोरस और 16 किलोग्राम पोटाश मिलाएं।
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