ग्वार फली की खेती के लिए सर्वोत्तम समय एवं किस्में
ग्वार फली की खेती किसानों के लिए फायदेमंद साबित हो सकती है। ग्वार फली का उपयोग हरी फली (सब्जी के लिए ), हरा चारा, हरी खाद और दानों के लिए की जाती है। प्रोटीन और फाइबर का अच्छा स्त्रोत होने के कारण इसका इस्तेमाल पशुओं के लिए चारा के तौर पर किया जाता है। तो चाहिए जानते हैं इसकी बुआई के लिए उपयुक्त समय और कुछ उन्नत किस्मों के बारे में।
बुआई के लिए उपयुक्त समय
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ग्वार फली की खेती गर्मी के मौसम में और बारिश के मौसम में की जाती है।
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गर्मी के मौसम में खेती करने के लिए मध्य फरवरी से मार्च के पहले सप्ताह में बुआई कर देनी चाहिए।
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बारिश के मौसम की फसल की बुआई के लिए जून और जुलाई का महीना सबसे उपयुक्त समय है।
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वर्षा आधारित क्षेत्रों में जुलाई के पहले सप्ताह या वर्षा ऋतू के आगमन के साथ बुआई कर दी जाती है।
उन्नत किस्में
इसकी किस्मों को मुख्यतः 3 भागों में बांटा गया है।
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दानों के लिए : अगर आप दानों के लिए ग्वार फली की खेती कर रहे हैं तो दुर्गापुर सफेद, मरू ग्वार, दुर्गाजय, एफएस-277, अगेती ग्वार-111, आरजीसी-197, आरजीसी-417 और आरजीसी-986 आदि किस्मों की खेती करें।
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हरी फलियों के लिए : अगर आप ग्वार फली की खेती हरी फलियों के लिए कर रहें हैं तो शरद बहार, पूसा सदाबहार, पूसा नवबहार, पूसा मौसमी , गोमा मंजरी, आईसी-1388, एम-83 और पी-28-1-1 आदि किस्मों की खेती आपके लिए फायदेमंद साबित होगी।
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हरे चारे के लिए : यदि आप ग्वार फली की खेती से हरा चारा प्राप्त करना चाहते हैं तो आप ग्वार क्रांति, बुन्देल ग्वार-1, बुन्देल ग्वार -2, बुन्देल ग्वार-3, मक ग्वार, एचएफजी-119, गोरा-80 और आरआई-2395-2 आदि किस्मों की खेती कर सकते हैं।
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