केसर की खेती कैसे करें : उचित समय, तापमान और खाद प्रबंधन (How to cultivate saffron: proper time, temperature and fertilizer management.)
केसर एक फूल वाला पौधा है और दुनिया के सबसे महंगे मसालों में से एक है और सबसे महंगा मसाला होते हुए भी यह दुनिया में कहीं भी उग सकता है । भारत में केसर की खेती मुख्य रूप से हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर में की जाती है, लेकिन अब किसान अपने प्रयोग से इसको उत्तर प्रदेश और राजस्थान (राजस्थान) जैसे राज्यों में भी उगा रहें है । अब ऐसे में बहुत से किसानों का यह सवाल होता है कि इसकी खेती कैसे की जाती है? और क्या वाकई इसकी खेती कहीं भी संभव है ?
कैसे होती है केसर की खेती (How to Cultivate Saffron)
केसर की छोटी-छोटी सी डिबिया काफी महंगी आती है। यह इतना महंगा है कि इसे लोग लाल सोने के नाम से भी जानने लगे हैं। भारत में केसर की कीमत ढाई से 3 लाख रुपये प्रति किलो है। किसी भी वस्तु की मांग उसकी कीमत को निर्धारित करती है और केसर की मांग भारत में नहीं विदेशों में भी बहुत ज्यादा है। यह पौधा कली निकलने से पहले बारिश एवं हिमपात दोनों बर्दाश्त कर लेता है, लेकिन कलियों के निकलने के बाद ऐसा होने पर पूरी फसल चौपट हो जाती है। मध्य एवं पश्चिमी एशिया के स्थानीय पौधे केसर को कंद (बल्ब) द्वारा उगाया जाता है।
केसर की खेती के लिए उपयुक्त मौसम (Suitable season for saffron cultivation) : इसकी खेती समुद्र तल से लगभग 3000 मीटर की ऊंचाई पर ही संभव है। जहां मौसम गर्म है वहां पर केसर की खेती की जा सकती है, क्योंकि केसर की खेती के लिए अधिक ठंड और बरसात का मौसम उपयोगी नहीं होता है। केसर को उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में उगाने के लिए सर्वोत्तम जलवायु चाहिए होती है। सबसे अच्छी बढ़वार तब होती है अब इसे हर दिन कम से कम 12 घंटे सीधी धूप मिलती है।
केसर की खेती के लिए उपयुक्त मिट्टी (Soil suitable for saffron cultivation) : केसर की खेती के लिए रेतीली, चिकनी, बलुई या दोमट मिट्टी उपयुक्त है। केसर की खेती के लिए ऐसी जमीन का चुनाव करना जरूरी है जहां पानी ठहरता ना हो। केसर की खेती के लिए मिट्टी का पीएच स्तर 7-7.5 होना चाहिए और केसर की खेती भारी, चिकनी मिट्टी में नहीं की जा सकती हैं।
केसर की खेती के लिए उपयुक्त महीना (Suitable month for saffron cultivation) : केसर की खेती के लिए जून,जुलाई, अगस्त और सितंबर का महीना सबसे अच्छा माना गया हैं। अक्टूबर में केसर के पौधे फूल देना शुरू कर देते हैं। जून - जुलाई का समय पहाड़ी क्षेत्रों में केसर उगाने के लिए सर्वाधिक उपयुक्त है, जबकि मैदानी क्षेत्रों में केसर की खेती फरवरी-मार्च के बीच में की जाए, तो ज्यादा बेहतर होगा।
केसर की खेती के लिए खेत की तैयारी : केसर का बीज बोने या लगाने से पहले खेत कि अच्छी तरह से जुताई की जाती है। इसके अलावा मिट्टी को भुरभुरा बनाकर आखिरी जुताई से पहले 20 टन गोबर का खाद और साथ 20 किलो यूरिया, 60 किलो डीएपी, 33 किलो एमओपी प्रति हेक्टेयर के दर से खेत में डाला जाता है। इससे भूमि की उपजाऊ क्षमता बढ़ेगी जिससे केसर की खेती अच्छी होती है।
केसर की खेती के लिए कैसे करें बीजों की बुवाई : केसर के क्रोम्स लगाने के लिए सबसे पहले 6-7 सेमी का गड्ढा खोदकर दो क्रोम्स के बीच की दूरी लगभग 10 सेमी रखें। ऐसा करने से कोम्स अच्छे से फैलती है और पराग भी अच्छे मात्रा में निकलते हैं।
केसर की खेती के लिए सिंचाई : केसर के पौधे को ज्यादा गीली मिट्टी की जरूरत नहीं होती है इसलिए इसे कम पानी की आवश्यकता होती है। यदि हम संख्या के अनुसार देखें तो केसर की खेती के दौरान प्रति एकड़ लगभग 283 घन मीटर पानी की आवश्यकता होती है।
केसर की कटाई : उच्च देखभाल के अलावा, केसर इतना महंगा होने का मुख्य कारण यह है कि यह केसर की कटाई के लिए श्रमसाध्य और समय लेने वाला होता है। फूलों की कटाई भोर में करनी चाहिए, क्योंकि फूल भोर में खिलते हैं और दिन बढ़ने पर मुरझा जाते हैं। केसर की कटाई के बारे में अधिक विशिष्ट होने के लिए, केसर के फूलों को सूर्योदय से सुबह 10 बजे के बीच तोड़ना चाहिए।
केसर का पौधा कैसा होता है? केसर सुगंध देने वाला बहुवर्षीय पौधा होता है। इसमें घास की तरह लंबे, पतले व नोकदार पत्ते निकलते हैं। जो संकरी, लंबी और नालीदार होती हैं। इनके बीच से पुष्पदंड निकलता है, जिस पर नीललोहित वर्ण के एकांकी अथवा एकाधिक पुष्प होते हैं। अप्रजायी होने की वजह से इसमें बीज नहीं पाए जाते हैं। इसके पुष्प की शुष्क कुक्षियों को केसर, कुंकुम, जाफरान अथवा सैफ्रन कहते हैं। इसमें अकेले या 2 से 3 की संख्या में फूल निकलते हैं। इसके फूलों का रंग बैंगनी, नीला एवं सफेद होता है। ये फूल कीपनुमा आकार के होते हैं। इनके भीतर लाल या नारंगी रंग के तीन मादा भाग पाए जाते हैं। इस मादा भाग को वर्तिका (तन्तु) एवं वर्तिकाग्र कहते हैं। यही केसर कहलाता है।
केसर का उपयोग और लाभ : केसर का उपयोग खीर, गुलाब जामुन, दूध के साथ किया जाता है। इसके अलावा कई मिठाइयों में रंग और खुशबू के लिए इसका उपयोग करते हैं। औषधीय दवाइयों में भी इसका उपयोग किया जाता है। पेट संबंधित बीमारियों के इलाज में केसर बहुत फायदेमंद है। बदहजमी, पेट-दर्द व पेट में मरोड़ आदि हाजमे से संबंधित शिकायतों में केसर का सेवन करने से फायदा होता है। सिर दर्द को दूर करने के लिए केसर का उपयोग किया जा सकता है। सिर दर्द होने पर चंदन और केसर को मिलाकर सिर पर इसका लेप लगाने से सिर दर्द में राहत मिलती है। इसके अलावा महिलाओं की कई बीमारियों में इसका उपयोग औषधी के रूप में किया जाता है।
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अक्सर पूछे जाने वाले सवाल | Frequently Asked Question (FAQs)
Q: केसर की खेती के लिए उचित समय कौनसा होता है?
A: ऊंचे पहाड़ी क्षेत्रों में केसर की खेती जुलाई से अगस्त माह तक की जाती है लेकिन मध्य जुलाई का समय इसकी खेती के लिए अधिक उचित रहता है। वहीं मैदानी इलाकों में इसकी खेती का उचित समय फरवरी से मार्च तक का होता है।
Q: केसर के वॉल्व बीज की कीमत कितनी होती है?
A: केसर के 10 वॉल्व बीज की कीमत करीब 550 रुपए तक होती है।
Q: केसर की खेती का प्रशिक्षण कहां से मिल सकता है?
A: गुजरात के गांधी नगर स्थित महात्मा गांधी संस्थान और पालमपुर स्थित सीएसआईआर-हिमालय जैवसंपदा प्रौद्योगिकी संस्थान केसर की खेती का प्रशिक्षण प्रदान करते हैं। आप वहां से केसर की खेती के संबंध में जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
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