मोती की खेती कैसे करें, लागत और मुनाफा | How to do pearl farming, cost and benifit.

राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय दोनों ही बाजार में मोतियों की मांग हमेशा बनी रहती है। प्राकृतिक रूप से समुद्र से प्राप्त होने वाले मोतियों की खेती लोगों को अपनी तरफ आकर्षित कर रही है। मोती की खेती के लिए ठंड का मौसम सबसे सही होता है। इसकी खेती के लिए कई संस्थानों में सरकार के द्वारा मुफ्त प्रशिक्षण भी दिया जाता है। भारत में मोती की खेती मुख्य रूप से तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और गुजरात के तटीय क्षेत्रों में की जाती है। यह एक अति विशिष्ट और श्रम-गहन प्रक्रिया है जिसके लिए बहुत अधिक कौशल और विशेषज्ञता की आवश्यकता होती है।
मोती पालन की विधि (Method of Pearl Farming)
- सीप का चयन (Selection of Oysters): मोती पालन की शुरुआत स्वस्थ और वयस्क सीप के चयन से होती है। सीप का आकार लगभग 8-10 सेंटीमीटर होना चाहिए और यह किसी भी प्रकार के रोग से मुक्त होना चाहिए। मोती की खेती के लिए अकोया सीप, दक्षिण सागर सीप और मीठे पानी के मसल्स जैसी प्रजातियां उपयुक्त मानी जाती हैं। इन सीपों को प्राकृतिक जल स्रोतों जैसे नदी, तालाब, बांध और झीलों से प्राप्त किया जा सकता है। उत्तम किस्म के बीज सरकारी और निजी प्रक्षेत्रों से, जैसे कोलकाता, तमिलनाडु और गुजरात से लाए जा सकते हैं।
- मोती का बनना (Formation of Pearls): प्राकृतिक मोती तब बनता है जब सीप के शरीर में रेत के कण या कोई परजीवी प्रवेश करता है। सीप अपने शरीर में प्रवेश करने वाले तत्व को सुरक्षा देने के लिए उसे ढकने की प्रक्रिया शुरू करता है, जिससे मोती का निर्माण होता है। यह एक प्राकृतिक प्रक्रिया है जो समय के साथ सीप के अंदर होती है।
- प्राथमिक पालन (Initial Care): चयनित सीपों को साफ पानी में धोकर एक टैंक या छोटे तालाब में रखा जाता है। तालाब का आकार लगभग 20x10 फीट और गहराई 5-6 फीट होनी चाहिए। इस आकार के तालाब में लगभग 1000 सीप रखे जा सकते हैं। सीपों को 10-20 दिनों तक पानी में रहने दिया जाता है, ताकि वे नए पर्यावरण में समायोजित हो सकें।
- नाभिक प्रवेश (Nucleus Implantation): मोती के आकार को नियंत्रित करने के लिए सीप में नाभिक डाला जाता है। नाभिक का आकार लगभग 2 मिमी होता है। इसे सीप के खोल में चाकू, चिमटा और कैंची की मदद से डाला जाता है। इसके बाद सीप को पुनः तालाब में डाल दिया जाता है। गोल आकार के मोती के लिए यह प्रक्रिया दो से तीन वर्ष में पूरी होती है, जबकि अन्य आकार के मोती छह महीने से एक वर्ष में तैयार हो जाते हैं।
- मुख्य पालन (Main Care): सीप बहुत संवेदनशील जीव होते हैं और यह अपना आहार स्वयं नहीं बना सकते। इन्हें शैवाल, डायटम, इंफूसोरिया, और चीटोसेरास जैसे छोटे-छोटे प्राकृतिक जीव खिलाए जाते हैं। इन जीवों के पालन के लिए गोबर की खाद और केले के छिलकों का उपयोग किया जा सकता है।
- कटाई करना (Harvesting Pearls): दो से तीन वर्ष के बाद सीपों को तालाब से बाहर निकाला जाता है। सीपों को खोलकर मोती निकाला जाता है और फिर उसे साफ पानी में धोकर सुखाया जाता है। इसके बाद, मोती को बाजार में बेचा जा सकता है, जिससे अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता है।
मोती की खेती में कितनी जगह और लागत चाहिए? | How much space and cost is required for pearl farming?
क्षेत्र और लागत (Space and Cost): अगर आप 50-100 मीटर लंबा और चौड़ा तालाब बनाते हैं, तो आपको लगभग 60,000 से 70,000 रुपए खर्च करने होंगे। इस तालाब में आप 25,000 सीपों को पाल सकते हैं। बाजार में एक सीप की कीमत 15 से 25 रुपए के बीच होती है। अगर आप औसतन 20 रुपए मानें, तो आपको करीब 5 लाख सीप डालने होंगे। आम तौर पर, सीप 3 साल के बाद मोती बनाना शुरू करते हैं। मोती तैयार होने में 14 से 20 महीने का समय लगता है।
मोती की खेती के फायदे (Benefits of Pearl Farming)
- अच्छी आय (Good Income): असली मोती की कीमत हजारों में होती है। एक मोती की कीमत 300 से 1500 रुपए तक हो सकती है। यदि मोती की गुणवत्ता अच्छी हो और डिजाइनर हो, तो अंतरराष्ट्रीय बाजार में इसकी कीमत 10,000 रुपए तक मिल सकती है। अगर एक मोती की औसत कीमत 1,000 रुपए हो, तो 100 सीपियों से 1,00,000 रुपए तक का मुनाफा कमाया जा सकता है।
- मुनाफा बढ़ाने के तरीके (Ways to Increase Profit): तालाब में सीपों की संख्या बढ़ाकर मुनाफे को और भी आसानी से बढ़ाया जा सकता है। अधिक सीपों से अधिक मोती मिल सकते हैं, जिससे कमाई बढ़ेगी।
- सजावटी वस्तुएं और इत्र (Decorative Items and Perfume): सीप से कई सजावटी वस्तुएं बनाई जाती हैं, जैसे गहने, ब्रेसलेट, हार, और अन्य आकर्षक उत्पाद। इसके अलावा, सीप से इत्र का तेल भी निकाला जाता है, जो बाजार में अच्छी कीमतों पर बिकता है।
- स्थानीय बाजार से अतिरिक्त लाभ (Additional Profit from Local Market): मोती निकालने के बाद, सीप को स्थानीय बाजार में बेच कर भी अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता है। सीप के खोल और अन्य हिस्सों का उपयोग विभिन्न उत्पाद बनाने में होता है, जिससे अतिरिक्त आय प्राप्त हो सकती है।
- चिकित्सा औषधियों में उपयोग (Use in Medicinal Products): मोती और सीप का पाउडर पारंपरिक चिकित्सा में उपयोग किया जाता है। यह शरीर में शक्ति बढ़ाने, त्वचा संबंधी समस्याओं के उपचार और हड्डियों को मजबूत करने के लिए इस्तेमाल होता है।
- खाने में उपयोग (Use in Food): सीप का मांस एक स्वादिष्ट व्यंजन के रूप में उपयोग होता है। यह प्रोटीन और ओमेगा-3 फैटी एसिड से भरपूर होता है, जो स्वास्थ्य के लिए लाभकारी है।
- व्यवसाय के रूप में (As a Business): मोती की खेती को एक लाभकारी व्यवसाय के रूप में देखा जा सकता है। इस व्यवसाय के द्वारा अच्छे मुनाफे के अवसर मिल सकते हैं, खासकर अगर बाजार के रुझान और गुणवत्ता को ध्यान में रखा जाए।
- पानी को स्वच्छ बनाने में (In Water Purification): सीपों को जल में डालने से पानी की गुणवत्ता में सुधार होता है। सीप पानी से छोटे कणों, प्रदूषकों और कीटाणुओं को अवशोषित करते हैं, जिससे जल पारिस्थितिकी तंत्र को स्वच्छ और स्वस्थ रखा जा सकता है।
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अक्सर पूछे जाने वाले सवाल | Frequently Asked Question (FAQs)
Q: घर में मोती की खेती कैसे करें?
A: मोती की खेती शुरू करने के लिए सबसे पहले सीपों को तालाब या छोटे पानी के टैंक में 10 दिनों तक रखा जाता है, जिससे वे वातावरण के अनुकूल हो सकें। इसके बाद सर्जरी की प्रक्रिया के माध्यम से सीपों में न्यूक्लीयस डाला जाता है। सर्जरी के बाद इन सीपों को तीन दिन तक एंटीबायोटिक घोल में रखा जाता है, ताकि वे संक्रमण से बच सकें। इसके बाद सीपों को साफ पानी वाले तालाब में 12-13 महीने के लिए छोड़ दिया जाता है। इस प्रक्रिया के सफलतापूर्वक पूरा होने के बाद उच्च गुणवत्ता वाले मोती तैयार होते हैं, जिससे तीन गुना तक का लाभ कमाया जा सकता है।
Q: मोती बनाने में कितना समय लगता है?
A: मोती तैयार होने में 15 से 24 महीने का समय लगता है। इस प्रक्रिया में धैर्य और सही देखभाल की जरूरत होती है। अगर सीपों को अधिक समय तक तालाब में रखा जाए, तो मोती की गुणवत्ता बेहतर हो जाती है और उसकी कीमत भी बाजार में अधिक मिलती है।
Q: मोती कैसे तैयार होता है?
A: जब किसी सीप के अंदर रेत के कण या अन्य कोई बाहरी पदार्थ चला जाता है, तो सीप उसे बाहर निकालने की कोशिश करता है। जब वह बाहर नहीं निकल पाता, तो सीप उसके ऊपर एक तरल पदार्थ की परत चढ़ाना शुरू कर देता है। धीरे-धीरे यह परतें कठोर होकर मोती का रूप ले लेती हैं। यह मोती जितना पुराना होता है, उसकी गुणवत्ता और कीमत उतनी ही अधिक होती है।
Q: सीपों को क्या खाना देना चाहिए?
A: मोती की खेती में सीपों को पोषण देने के लिए हरी शैवाल (एल्गी) और स्पिरुलिना जैसी चीजें दी जाती हैं। यह उनके विकास और मोती बनाने की प्रक्रिया को तेज करता है।
Q:मोती और सीप का मार्केट कहा है?
A: सीप आप नदी या तालाब से ला सकते है, या फिर हैदराबाद में इसका सिपो का होलसेल मार्केट है और मोती का बाजार गुजरात, दिल्ली, हैदराबाद और महाराष्ट्र में है। और अगर आप मोतियों को अच्छे से फिनिशिंग कर सकते है तो मोतियों को लोकल मार्किट में भी बेचा जा सकता है जिससे और अधिक मुनाफा होता हैं।
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