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26 July
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ताड़गोला की खेती | Ice Apple Cultivation

ताड़गोला, जिसे आइस एप्पल भी कहा जाता है, एक स्वादिष्ट और पौष्टिक फल है। यह ताड़ के पेड़ से प्राप्त होता है और इसकी खेती दक्षिण भारत में व्यापक रूप से की जाती है। ताड़गोला के फलों में उच्च मात्रा में पानी और पोषक तत्व होते हैं, जो इसे गर्मियों में एक आदर्श फल बनाते हैं। ताड़गोला की खेती को सफलतापूर्वक करने के लिए इस पोस्ट में दी गई जानकारियों पर ध्यान देना आवश्यक है।

कैसे करें ताड़गोला की खेती? | How to cultivate Ice Apple

  • उपयुक्त समय: ताड़गोला की खेती का उपयुक्त समय वर्षा का मौसम होता है। दक्षिण भारत में इसकी खेती के लिए जून से सितंबर तक का समय सबसे अच्छा माना जाता है। इस दौरान तापमान और आर्द्रता उपयुक्त होते हैं, जिससे पौधों की वृद्धि और विकास को प्रोत्साहन मिलता है।
  • उपयुक्त जलवायु: ताड़गोला की खेती के लिए गर्म और आर्द्र जलवायु सबसे उपयुक्त मानी जाती है। इसे उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में उगाया जा सकता है। इसकी खेती के लिए तापमान 25-35 डिग्री सेल्सियस के बीच होना चाहिए। उच्च आर्द्रता एवं अधिक तापमान ताड़गोला के पौधों की अच्छी वृद्धि के लिए महत्वपूर्ण है। तटीय क्षेत्रों या उच्च जल स्तर वाले क्षेत्रों में खेती करने पर इसकी बेहतर उपज प्राप्त कर सकते हैं।
  • उपयुक्त मिट्टी: ताड़गोला की खेती के लिए रेत, गाद और मिट्टी का मिश्रण युक्त रेतीली दोमट मिट्टी सर्वोत्तम मानी जाती है। इसके अलावा दोमट मिट्टी में भी इसकी खेती की जा सकती है। मिट्टी में अच्छे जल निकासी की सुविधा होनी चाहिए जिससे पानी का जमाव न हो। मिट्टी का पीएच स्तर 6.0 से 7.5 के बीच होना चाहिए। बेहतर उपज के लिए इसकी खेती के लिए जैविक पदार्थों एवं कार्बनिक पदार्थों से भरपूर मिट्टी का चयन करें।
  • खेत तैयार करने की विधि: ताड़गोला की खेती के लिए खेत को अच्छी तरह से तैयार करना महत्वपूर्ण है। इसके लिए सबसे पहले 10-12 इंच तक गहरी जुताई करें। इसके बाद 2-3 बार हलकी जुताई कर के मिट्टी को भुरभुरी एवं समतल बना लें। पौधों की रोपाई के लिए खेत में 24 इंच लम्बे, 24 इंच चौड़े और 24 इंच गहरे गड्ढे तैयार करें। सभी गड्ढों के बीच 3-4 मीटर की दूरी होनी चाहिए।
  • पौधों की रोपाई की विधि: नर्सरी में तैयार किए गए पौधों को सावधानी पूर्वक निकाल कर मुख्य खेत में रोपाई करनी चाहिए। मुख्य खेत में पहले से तैयार किए गए गड्ढों में पौधों को लगाएं। इसके बाद गड्ढों को मिट्टी से भरें। रोपाई के बाद मिट्टी में नमी बनाए रखने के लिए हल्की सिंचाई करें।
  • सिंचाई प्रबंधन: पौधों की रोपाई के तुरंत बाद हल्की सिंचाई करें। मिट्टी की नमी बनाए रखने के लिए नियमित सिंचाई की आवश्यकता होती है। सिंचाई के समय जल की मात्रा पौधों के वृद्धि की अवस्था और मौसम की स्थितियों के आधार पर भिन्न-भिन्न हो सकती है। सामान्यतौर पर पौधों में 3-4 सीनों के अंतराल पर सिंचाई की जाती है। पौधों की सिंचाई करने का सबसे अच्छा समय सुबह जल्दी या देर शाम को होता है। इस समय सिंचाई करने से वाष्पीकरण के कारण पानी के नुकसान में कमी आती है।
  • खरपतवार नियंत्रण: खरपतवारों को हाथ से निकालना सबसे सरल और प्रभावी तरीका है। लेकिन बड़े क्षेत्रों में हाथों से खरपतवारों को निकालने में समय एवं श्रम की आवश्यकता अधिक होती है। ऐसे में आप छोटे कृषि यंत्रों का सहारा ले सकते हैं। खेत में जैविक मल्च का उपयोग खरपतवारों की वृद्धि को नियंत्रित करने में मदद करता है। इसके लिए पौधों के चारों तरफ सूखी पत्तियों, पुआल, सूखी घास, आदि से ढकें। खरपतवारों की समस्या अधिक होने पर रासायनिक खरपतवार नाशक दवाओं का प्रयोग करें।
  • रोग एवं कीट नियंत्रण: ताड़गोला के पौधों में रेड पाम वीविल, गैंडा बीटल, लीफ स्पॉट रोग, बड रॉट रोग, आदि रोगों एवं कीटों के प्रकोप की संभावना अधिक होती है। इन रोगों एवं कीटों के प्रकोप के लक्षण नजर आते ही तुरंत उपयुक्त कवक नाशक दवाओं एवं कीटनाशक दवाओं का प्रयोग करें। रासायनिक दवाओं के प्रयोग से पहले कृषि विशेषज्ञों से परामर्श करें। दवाओं की मात्रा का विशेष ध्यान रखें।
  • फलों की कटाई एवं भंडारण: ताड़गोला के फलों की कटाई आमतौर पर मार्च से जून महीने तक की जाती है। जब फल पीले-भूरे रंग के हो जाते हैं और पेड़ से गिरने लगते हैं तब समझ लें कि फल कटाई के लिए तैयार हो गए हैं। पेड़ पर चढ़ कर किसी तेज धार वाले चाकू या दरांती से फलों के गुच्छों को काटा जाता है। कटाई के बाद, फलों को उनके आकार, रंग और गुणवत्ता के आधार पर छांटा और वर्गीकृत किया जाना चाहिए। फलों की भंडारण क्षमता अधिक नहीं होती है। फलों को कमरे के तापमान में 2-3 दिनों तक और रेफ्रिजरेटर में 7-10 दिनों तक संग्रहीत किया जा सकता है।

क्या आपके क्षेत्र में ताड़गोला की खेती की जाती है? अपने जवाब हमें कमेंट के माध्यम से बताएं। कृषि संबंधी अधिक जानकारियों के लिए 'कृषि ज्ञान’ चैनल को तुरंत फॉलो करें। यदि आपको इस पोस्ट में दी गई जानकारी पसंद आई है तो इस पोस्ट को लाइक करें एवं इसे अन्य किसानों के साथ शेयर भी करें। जिससे अधिक से अधिक किसान इस जानकारी का लाभ उठा सकें।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल | Frequently Asked Questions (FAQs)

Q: तड़गोला ठंडा है या गर्म?

A: ताड़गोला को एक ठंडा फल माना जाता है और अक्सर गर्मी के महीनों के दौरान गर्मी को मात देने के लिए इसका सेवन किया जाता है। इसमें पानी की मात्रा अधिक होती है, जो इसे गर्म दिनों में ठंडा करने के इच्छुक लोगों के लिए एक लोकप्रिय विकल्प बनाता है।

Q: ताड़ का पेड़ कितने साल में फल देता है?

A: ताड़ का पेड़ में फल आने में लगने वाला समय ताड़ के पेड़ की प्रजातियों पर निर्भर करता है। कुछ किस्मों के ताड़ के पेड़ रोपाई के 3 वर्षों बाद फल देना शुरू कर देते हैं। वहीं कुछ ऐसी किस्में भी हैं जिनमें फल आने में करीब 10 वर्ष या इससे अधिक समय लग सकता है।

Q: ताड़ के पेड़ों की देखभाल कैसे करें?

A: ताड़ के पेड़ों की देखभाल के लिए, उन्हें पर्याप्त धूप, पानी और पोषक तत्व प्रदान करना महत्वपूर्ण है। उन्हें अच्छी जल निकासी वाली मिट्टी में लगाया जाना चाहिए और नियमित रूप से सिंचाई करनी चाहिए। इसके अतिरिक्त, पेड़ को कीटों और बीमारियों से बचाना महत्वपूर्ण है।

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