बायोफ्लॉक तकनीक: कम क्षेत्र में मछली पालन का बेहतर विकल्प | Biofloc Technology: An Efficient Method for Fish Farming in Limited Spaces

किसानों की आय में बढ़ोतरी के लिए मछली पालन एक बेहतर विकल्प है। हम सभी जानते हैं मछली पालन के लिए तालाब का होना बहुत जरुरी है। छोटे किसानों के पास तालाब के लिए बड़ी जगह नहीं होती है ऐसे में छोटे किसानों के लिए मछली पालन के व्यवसाय से जुड़ना एक बड़ी समस्या है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि कम जगह में भी मछली पालन का व्यवसाय संभव है। अब बायोफ्लॉक विधि से कम जगह में भी सफलतापूर्वक मछली पालन किया जा सकता है। आइए बायोफ्लॉक मछली पालन पर विस्तार से जानकारी प्राप्त करें।
क्या है बायोफ्लॉक तकनीक? | What is Biofloc Technology?
- बायोफ्लॉक मछली पालन की एक नई तकनीक है, जिसमें कम जगह में भी मछलियों का पालन किया जाता है। इस विधि में टैंक में मछलियों का पालन किया जाता है। मछलियों से निकलने वाले मल एवं अतिरिक्त भोजन को प्रोटीन सेल में परिवर्तित किया जाता है। बाद में इसे मछलियों के चारे के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है।
बायोफ्लॉक तकनीक से किन मछलियों का पालन किया जाता है? | Biofloc Technology is Used for the Farming of Which Fishes?
- इस तकनीक से पंगेसियस, तिलापिया, देशी मांगुर, सिंघी, कॉमन कार्प, पाब्दा, आदि किस्म की मछलियों का पालन किया जा सकता है।
बायोफ्लॉक तकनीक के लिए आवश्यक संसाधन | Resources Required for Biofloc Technology
- बायोफ्लॉक तकनीक से मछली पालन के लिए बिजली की व्यवस्था होनी चाहिए। बिजली के अभाव में इस तकनीक से मछलियों का पालन संभव नहीं है।
- इसके अलावा आपको सीमेंट टैंक, तारपोलिन टैंक, एयरेशन सिस्टम, प्रोबायोटिक्स, मत्स्य बीज की भी आवश्यकता होती है।
क्या है बायोफ्लॉक तकनीक से मछली पालन के फायदे? | Benefits of Fish Farming with Biofloc Technology
- तालाब के बिना भी मछलियों का पालन किया जा सकता है।
- तालाब की तुलना में इस तकनीक से मत्स्य पालन में होने वाले लागत में कमी आती है।
- इस विधि से मछली पालन में पानी की बचत होती है।
- सीमित जगह में मछलियों का पालन किया जा सकता है।
- तालाब की तुलना में बायोफ्लॉक तकनीक श्रमिक की आवश्यकता कम होती है।
- मछलियों के चोरी होने का खतरा नहीं रहता है।
- अन्य विधियों की तुलना में इस विधि में मछलियों में रोगों का प्रकोप होने पर उसे आसानी से नियंत्रित किया जा सकता है।
बायोफ्लॉक तकनीक से मछली पालन के नुकसान | Disadvantages of Fish Farming with Biofloc Technology
- अधिक लागत: बायोफ्लॉक तकनीक से मछली पालन करने के लिए सबसे इसके बुनियादी ढांचे को स्थापित करना होगा, जो छोटे किसानों के लिए काफी महंगा हो सकता है। इससे शुरुआत में अधिक लागत की आवश्यकता होती है।
- तकनीकी जानकारी का अभाव: बायोफ्लॉक तकनीक को सिस्टम को प्रभावी ढंग से प्रबंधित करने के लिए किसानों को तकनीकी जानकारी होना बहुत जरुरी है।
- सीमित प्रजातियों का चयन: बायोफ्लॉक तकनीक के द्वारा मछलियों की केवल कुछ प्रजातियों का ही पालन किया जा सकता है।
- रोगों के होने की संभावना: पारंपरिक मछली पालन विधि की तुलना में बायोफ्लॉक तकनीक से मछली पालन करने पर मछलियों में रोगों के होने की संभावना अधिक होती है।
मछली पालन शुरू करने से पहले रखें इन बातों का ध्यान | Points to Consider Before Starting Fish Farming
- आवश्यक उपकरण: टैंक, पंप, फिल्टर जैसे उपकरणों की जानकारी होना आवश्यक है। उपकरणों में किसी तरह की खराबी आने पर किए जाने वाले कार्यों की भी जानकारी होनी चाहिए।
- पानी की गुणवत्ता: मछलियों के विकास और बेहतर स्वास्थ्य के लिए पानी की गुणवत्ता का ध्यान रखें। पानी का तापमान, पीएच स्तर, ऑक्सीजन और अमोनिया के स्तर की जानकारी होना भी आवश्यक है।
- स्थानीय बाजार की समझ: बाजार में किन किस्म की मछलियों की मांग अधिक है, मछलियों की बिक्री के समय उसकी कीमत के निर्धारण के लिए मछली पालन शुरू करने से पहले आपको स्थानीय बाजार की समझ होनी चाहिए।
- प्रजातियों का चयन: मछलियों का चयन पर्यावरण और बाजार मांग के अनुसार करें।
- मछलियों का आहार: मछलियों के बेहतर विकास और उनके स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए उन्हें उच्च गुणवत्ता युक्त पोषक आहार प्रदान करें। मछलियों के लिए उनकी किस्मों के अनुसार पौधे-आधारित या कीट-आधारित फीड की व्यवस्था करें।
- रोग प्रबंधन: अन्य पशु-पक्षियों की तरह मछलियों में भी कई तरह के रोग होते हैं। मछलियों में लाल चकता रोग, सफेद धब्बा रोग, टेल/फिन रॉट रोग, ड्रॉप्सी जैसे रोग अधिक होते हैं। मछलियों के स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए इन रोगों के लक्षण, बचाव एवं नियंत्रण की जानकारी होना जरूरी है।
- साफ-सफाई: टैंक की साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें। आवश्यकता अनुसार पानी को बदलते रहें। मछलियों में रोग होने पर या उनकी मृत्यु के बाद पानी को बदलना आवश्यक है।
बायोफ्लॉक तकनीक से मछली पालन में कितनी लागत एवं कितना मुनाफा? | Cost and Profit in Biofloc Fish Farming
- लागत एवं मुनाफा टैंक के आकार पर निर्भर करता है।
- बड़े टैंक में मछलियों की वृद्धि भी अच्छी तरह होती है।
- अगर आप 10 हजार लीटर का टैंक लगाते हैं तो इसमें आपको करीब 32,000 रुपए की लागत होती है। इसमें टैंक, टैंक में लगने वाले उपकरण, आदि शामिल है।
- इस टैंक का प्रयोग 5 वर्षों तक किया जा सकता है।
- टैंक के आकार के साथ इसमें होने वाली लागत भी बढ़ती जाती है।
- 10 हजार लीटर के टैंक में मछली पालन करने पर हर 6 महीने में करीब 25 हजार रुपए की लागत आती है।
- 10 हजार लीटर के टैंक से हर 3 से 4 महीने में 5 से 6 किंवटल बिक्री योग्य मछलियां प्राप्त होती हैं।
- मंहगी मछलियों का पालन करने पर अधिक मुनाफा होता हो।
क्या आपने मछली पालन के लिए बायोफ्लॉक तकनीक का इस्तेमाल किया है? अपने जवाब एवं अनुभव हमें कमेंट के माध्यम से बताएं। यह जानकारी महत्वपूर्ण लगी हो तो इस पोस्ट को लाइक और शेयर करना न भूलें। इस तरह की अधिक जानकारियों के लिए 'कृषि टेक' चैनल को तुरंत फॉलो करें।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न | Frequently Asked Question (FAQs)
Q: बायोफ्लॉक मछली पालन क्या है?
A: बायोफ्लॉक मछली पालन की एक आधुनिक तकनीक है जिसमें तालाब की जगह टैंक में मछलियों का पालन किया जाता है। इस विधि में मछली के कचरे को मछली के लिए प्रोटीन युक्त फीड में परिवर्तित किया जाता है।
Q: क्या बायोफ्लोक मछली सुरक्षित है?
A: अधिक उत्पादकता और कम पर्यावरणीय प्रभाव के कारण हाल के कुछ वर्षों में बायोफ्लॉक मछली पालन की तकनीक प्रचलित हो रही है। सभी बातों को ध्यान में रखते हुए, सही विधि से मछली पालन करने पर बायोफ्लॉक सुरक्षित है।
Q: बायोफ्लोक के लिए कौन सी मछली अच्छी है?
A: इस तकनीक से पंगेसियस, तिलापिया, देशी मांगुर, सिंघी, कॉमन कार्प, पाब्दा, आदि किस्म की मछलियों का पालन किया जा सकता है।
Q: क्या बायोफ्लोक लाभदायक है?
A: बायोफ्लॉक मछली पालन से होने वाला लाभ कई कारकों पर निर्भर करता है। जिनमें टैंक का आकार, मछलियों की प्रजाति, मछलियों का आहार, बिजली की खपत, आदि शामिल है। हालांकि अगर सही तरीके से किया जाए तो बायोफ्लॉक मछली पालन लाभदायक हो सकता है।
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