जाने गाजर को नुकसान पहुंचाने वाले कुछ कीटों और रोगों के बारे में
गाजर का उपयोग सलाद, हलवा, अंचार और सब्जी के लिए किया जाता है। गाजर की फसल को रोग और कीटों से मुक्त रखना आवश्यक है। यदि ऐसा नहीं किया गया तो फसल बरबाद हो सकते हैं और किसानों को हानि हो सकती है। तो चाहिए जानते हैं कुछ ऐसे कीट और रोगों के बारे में जिससे गाजर की फसल को क्षति पहुंचती है।
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सक्लेरोटीनिया विगलन : इस रोग से ग्रस्त पौधों की पत्तियां पीली हो कर झड़ने लगती हैं। एक हजार लीटर पानी में एक किलोग्राम कार्ब्रेन्डाजिम 50 मिला कर छिड़काव करने पर इस रोग से निजात पा सकते हैं।
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अल्टरनेरिया ब्लाइट : इस रोग में पत्तियों पर पीले या भूरे रंग के धब्बे बनते हैं। इससे बचने के लिए 500-600 लीटर पानी में 0.2 प्रतिशत कॉपर ऑक्सीक्लोराइड या मैंकोजेब मिला कर छिड़काव करना चाहिए।
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सर्कोस्पोरा पर्ण अंगमारी : इस रोग के प्रकोप से पत्तियां मुड़ जाती हैं और और फूल भी सिकुड़ने लगते हैं। लगभग 1 हजार लीटर पानी में 3 किलोग्राम कवच या मैंकोजेब मिला कर छिड़काव कर के इस रोग से बच सकते हैं।
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चूर्ण रोग : यह रोग होने पर पौधों पर सफेद रंग के चूर्ण बन जाते हैं। करीब 100 लीटर पानी में 50 मिलीलीटर कैराथेन मिला कर छिड़काव करने से इस रोग से निजात मिलता है।
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कैरट वीविल : सफेद रंग के यह कीड़े गरज के ऊपरी हिस्से में छेद कर के फसल को क्षति पहुंचते हैं। इससे बचने के लिए 3 लीटर पानी में 1 मिलीलीटर इनिडाक्लोप्रिड 17.8 एस.एल. मिला कर छिड़काव करना चाहिए।
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रस्ट फ्लाई : इस तरह के कीट पौधों की जड़ों में सुरंग बना देते हैं जिससे पौधे जल्दी सूख जाते हैं। प्रति हेक्टेयर जमीन में 2.5 लिटर क्लोरपयरीफॉस 20 ई.सी. का छिड़काव करने से इस कीट से मुक्ति मिलती है।
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