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जानें पशुओं में रेबीज रोग के लक्षण एवं बचाव के उपाय
जानें पशुओं में रेबीज रोग के लक्षण एवं बचाव के उपाय
रेबीज रोग सामान्यतौर पर कुत्तों, नेवलों, बिल्लियों एवं लोमड़ियों में होता है। लेकिन गाय-भैंस जैसे दूधारू पशु भी इस रोग की चपेट में आ सकते हैं। दूधारू पशुओं में रेबीज रोग होने पर रोग के विषाणु दूध में आ सकते हैं। इसलिए इस रोग से प्रभावित पशुओं के दूध का सेवन न करें। इस रोग के लक्षण एवं बचाव की सही जानकारी नहीं होने से कई बार पशुओं की मृत्यु भी हो जाती है। पशुओं में होने वाले रेबीज रोग की अधिक जानकारी के लिए इस पोस्ट को ध्यान से पढ़ें।
पशुओं को रेबीज रोग के कारण
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गाय-भैंस में रेबीज रोग से संक्रमित कुत्ते, बिल्ली, नेवला, लोमड़ी, आदि जानवरों के काटने से होता है।
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संक्रमित पशुओं के काटने पर रेबीज का विषाणु स्वस्थ पशुओं के शरीर में प्रवेश करता है। जिससे पशु इस रोग से प्रभावित होते हैं।
पशुओं में रेबीज रोग होने के लक्षण
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बीज रोग से संक्रमित पशु पानी से डरते हैं।
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पशु अपना सिर पेड़ या दीवार पर मारने लगते हैं।
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पशुओं में उग्रता या पागलपन के लक्षण नजर आते हैं।
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कई बार पशुओं की पीछली टांगे कमजोर होने के कारण लकवा के लक्षण भी देखने को मिलते हैं।
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पशुओं के मुंह से लार गिरने लगता है।
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इस रोग से पशुओं की मृत्यु भी हो सकती है।
पशुओं को रेबीज रोग से बचाने के तरीके
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पशुओं को कुत्ते एवं बिल्लियों से दूर रखें।
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कुत्ते, बिल्ली, नेवले, आदि के काटने पर तुरंत पशु चिकित्सक से संपर्क करें।
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पशुओं को एंटी रेबीज का टीकाकरण कराएं।
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यदि गाय-भैंस को कुत्ते, नेवले, लोमड़ी, आदि काट ले तो काटे गए स्थान को साफ पानी से 15 से 20 मिनट तक धोएं।
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इसके बाद काटे हुए भाग को साबुन से साफ कर के एंटीसेप्टिक दवा लगाएं।
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प्रभावित पशुओं के रहने एवं खाने-पीने की अलग व्यवस्था करें।
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