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30 July
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जानें पशुओं में रेबीज रोग के लक्षण एवं बचाव के उपाय | Rabies in Animals: Symptoms and Preventive Measures

रेबीज रोग एक गंभीर और जानलेवा रोग है जो पशुओं और मनुष्यों दोनों में पाया जाता है। यह रोग मुख्यतः रेबीज वायरस के कारण होता है, जो संक्रमित पशुओं की लार के संपर्क में आने से फैलता है। रेबीज रोग सामान्यतौर पर कुत्तों, नेवलों, बिल्लियों एवं लोमड़ियों में होता है। लेकिन गाय, भैंस, भेड़ और बकरी जैसे दूधारू पशु भी इस रोग की चपेट में आ सकते हैं। दूधारू पशुओं में रेबीज रोग होने पर रोग के विषाणु दूध में आ सकते हैं। इसलिए इस रोग से प्रभावित पशुओं के दूध का सेवन न करें। इस रोग के लक्षण एवं बचाव की सही जानकारी नहीं होने से कई बार पशुओं की मृत्यु भी हो जाती है। इस  पोस्ट के माध्यम से हम दुधारू पशुओं में रेबीज रोग के कारण, लक्षण, बचाव के तरीके और लक्षण नजर आने पर उठाए जाने वाले कदमों पर विस्तार में जानकारी प्राप्त करेंगे।

पशुओं को रेबीज रोग के कारण | Causes of Rabies in Animals

  • रेबीज रोग का प्रमुख कारण रेबीज वायरस है, जो संक्रमित पशुओं की लार के माध्यम से फैलता है। यह वायरस मुख्यतः कुत्तों, चमगादड़ों, बिल्ली, नेवले, बंदर, लोमड़ियों और अन्य जंगली जानवरों में पाया जाता है।
  • संक्रमित पशुओं के काटने पर उनकी लार के द्वारा रेबीज का विषाणु दुधारू पशुओं के शरीर में प्रवेश करती है। इससे स्वस्थ पशु इस रोग के शिकार हो जाते हैं।
  • इसके अतिरिक्त, संक्रमित पशु के साथ सीधे संपर्क, जैसे कि उनकी देखभाल करते समय, भी इस रोग के फैलने का कारण बन सकता है।
  • एक बार जब वायरस दुधारू पशु के शरीर में प्रवेश करता है तब यह पशुओं के तंत्रिका के सूजन और क्षति का कारण बनता है।

पशुओं में रेबीज रोग होने के लक्षण | Symptoms of Rabies in Animals

  • दुधारू पशुओं में रेबीज के लक्षण रोग के चरण के आधार पर भिन्न हो सकते हैं। इस रोग के लक्षणों को आमतौर पर तीन चरणों में विभाजित किया जा सकता है। जिनमें, प्रोड्रोमल, उग्र चरण और लकवाग्रस्त चरण शामिल हैं।
  • प्रोड्रोमल चरण 1 से 3 दिनों तक रहता है। इस दौरान दुधारू पशुओं में घबराहट, बेचैनी और चिंता के लक्षण दिख सकते हैं। वे बुखार, भूख न लगना और असुविधा की सामान्य भावना का भी अनुभव कर सकते हैं।
  • उग्र चरण 2 से 4 दिनों तक रह सकता है। इस दौरान पशु आक्रामक और अनिश्चित व्यवहार कर सकते हैं। पशु बेहद उत्तेजित हो सकते हैं और अन्य पशुओं के साथ मनुष्यों पर भी हमला कर सकते हैं। इस चरण में पशुओं को पानी से डर लगने लगता है। इसके अलावा पशुओं को दौरे एवं निगलने में कठिनाई की समस्या भी हो सकती है।
  • लकवाग्रस्त चरण 2 से 4 दिनों तक रह सकता है। इस दौरान पशुओं में कमजोरी और सांस लेने में कठिनाई होती है। इसके साथ ही पशु खड़े होने में या चलने में असमर्थ हो सकते हैं। उनके शरीर के किसी हिस्से में विशेषकर पिछले पैरों में लकवा की शिकायत हो सकती है।
  • इसके अलावा रेबीज रोग से पीड़ित पशुओं में कुछ अन्य लक्षण भी नजर आ सकते हैं। ऐसे पशु अपना सिर पेड़ या दीवार पर मारने लगते हैं। उनके मुंह से लार गिरने लगता है। पशुओं में उग्रता या पागलपन के लक्षण नजर आते हैं। कुछ मामलों में प्रभावित पशुओं को तेज बुखार हो सकता है। इस रोग के कारण पशुओं की मृत्यु भी हो सकती है।

नोट:

  • दुधारू पशुओं में रेबीज रोग के लक्षण संक्रमण के कुछ दिनों से लेकर कुछ सप्ताह बाद तक दिखाई दे सकते हैं।
  • इस रोग से प्रभावित पशुओं में सभी लक्षण एक साथ नहीं देखे जाते हैं। कुछ पशुओं में केवल कुछ ही लक्षण प्रदर्शित हो सकते हैं।

पशुओं को रेबीज रोग से बचाने के तरीके | Ways to Protect Animals from Rabies

रेबीज रोग से बचाव के लिए कुछ महत्वपूर्ण उपाय इस प्रकार हैं:

  • टीकाकरण: दुधारू पशुओं को रेबीज से बचाने के लिए टीकाकरण सबसे कारगर उपाय है। रेबीज के लिए विशेष रूप से उपलब्ध टीके (एंटी रेबीज टीका) का समय-समय पर उपयोग करना चाहिए।
  • संक्रमित पशुओं से दूरी: अपने पशुओं को आवारा कुत्तों और अन्य जानवरों से दूर रखें जो रेबीज से संक्रमित हो सकते हैं। यदि संभव हो, तो जंगली जानवरों और आवारा कुत्तों के संपर्क को रोकने के लिए पशुओं को एक सुरक्षित स्थान पर रखें।
  • सुरक्षित आवास: पशुओं के रहने के स्थान को सुरक्षित बनाएं जिससे जंगली जानवर उनके पास न आ सकें।
  • साफ-सफाई: पशुओं के आवास की नियमित साफ-सफाई करें और उनके खाने-पीने के स्थानों को स्वच्छ रखें।
  • पशुओं की निगरानी: अपने पशुओं की नियमित निगरानी करें और किसी भी असामान्य व्यवहार के नजर आते ही नजदीकी पशु चिकित्सक से परामर्श करें।
  • पालतू जानवरों का टीकाकरण: अगर आपके पास कुत्ते या बिल्लियां हैं, तो उनका भी नियमित टीकाकरण कराएं।
  • प्रशिक्षण: दुधारू पशुओं में रेबीज के संकेतों और लक्षणों के बारे में खुद को और अपने कर्मचारियों को शिक्षित करें। प्रारंभिक पहचान और उपचार रोग के प्रसार को रोकने में मदद कर सकता है।
  • आवारा जानवरों की सुचना: यदि आपके क्षेत्र में आवारा कुत्ते या अन्य जानवरों की संख्या बढ़ रही है, तो तुरंत स्थानीय अधिकारियों को इसकी सूचना दें। वे जानवरों को हटाने और रेबीज के प्रसार को रोकने के लिए उचित कार्रवाई कर सकते हैं।

दुधारू पशुओं में रेबीज रोग के लक्षण नजर आने पर क्या करें? | What to Do When Symptoms of Rabies Appear in Dairy Animals

यदि आपके दुधारू पशु में रेबीज रोग के लक्षण दिखाई देते हैं, तो तुरंत निम्नलिखित कदम उठाएं:

  • संक्रमित पशु को अलग करें: संक्रमित पशु को तुरंत अन्य पशुओं से अलग करें और उनके खाने-पीने की भी अलग व्यवस्था करें। जिससे रोग का फैलाव रोका जा सके।
  • सफाई करें: यदि गाय-भैंस को कुत्ते, नेवले, लोमड़ी, आदि काट ले तो काटे गए स्थान को साफ पानी से 15 से 20 मिनट तक धोएं। इसके बाद काटे हुए भाग को साबुन से साफ कर के एंटीसेप्टिक दवा लगाएं।
  • विशेषज्ञ से संपर्क करें: कुत्ते, बिल्ली, नेवले, आदि के काटने पर तुरंत पशु चिकित्सक से संपर्क करें।
  • सुरक्षा उपाय अपनाएं: संक्रमित पशु के संपर्क में आने से बचें और हाथ धोने, दस्ताने पहनने जैसे सुरक्षा उपाय अपनाएं।
  • टीकाकरण रिकार्ड जांचें: पशु का टीकाकरण रिकार्ड जांचें और सुनिश्चित करें कि उसने रेबीज का टीका लिया है या नहीं।
  • जानकारी फैलाएं: आस-पास के अन्य पशुपालकों को इस बारे में जानकारी दें जिससे वे भी सतर्क रहें और अपने पशुओं का सही ढंग से ख्याल रख सकें।

क्या आपने अपने पशुओं को एंटी रेबीज का टीका लगवाया है? अपने जवाब एवं अनुभव हमें कमेंट के माध्यम से बताएं। पशुओं के बेहतर स्वास्थ्य एवं उनके आहार से जुड़ी अधिक जानकारियों के लिए 'पशु ज्ञान' चैनल को तुरंत फॉलो करें।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल | Frequently Asked Questions (FAQs)

Q: गाय में रेबीज के लक्षण क्या है?

A: गायों में रेबीज के लक्षणों में आक्रामकता, बेचैनी और घबराहट जैसे व्यवहार परिवर्तन शामिल हैं, साथ ही निगलने में कठिनाई, अत्यधिक लार और लकवा  भी शामिल हैं। कुछ मामलों में, गायों को बुखार भी हो सकता है और दौरे का अनुभव हो सकता है।

Q: जानवरों में रेबीज कैसे होता है?

A: जानवरों में रेबीज एक वायरस के कारण होता है जो एक संक्रमित जानवर की लार के माध्यम से फैलता है, आमतौर पर काटने के माध्यम से। वायरस तब नसों के माध्यम से मस्तिष्क तक जाता है, जहां यह सूजन और क्षति का कारण बनता है, जिससे रोग के लक्षण होते हैं।

Q: रेबीज किस जानवर के काटने से होता है?

A: रेबीज एक वायरल बीमारी है जो मुख्य रूप से एक संक्रमित जानवर के काटने से फैलती है। वायरस आमतौर पर संक्रमित जानवरों की लार में पाया जाता है, और इसे काटने, खरोंच, या यहां तक कि जानवर के श्लेष्म झिल्ली के संपर्क में आने के माध्यम से प्रेषित किया जा सकता है। भारत में रेबीज फैलाने वाले सबसे आम जानवर कुत्ते हैं, लेकिन बिल्ली, चमगादड़ और बंदर जैसे अन्य जानवर भी वायरस ले जा सकते हैं।

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