पोस्ट विवरण
सुने
कृषि
विभा कुमारी
कृषि विशेषयज्ञ
2 year
Follow

झूम खेती: खेती की एक अनोखी तकनीक

भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्रो में झूम खेती का प्रचलन आज भी मौजूद है। यह एक पारंपरिक तरह की खेती है, जिसमें जंगल के किसी छेत्र को खाली करने के बाद आग लगाकर वह की सारी वनस्पति जला दी जाती है, इसके बाद उस खाली छेत्र में खेती की जाती है। फसल की कटाई के बाद जमीन को खाली छोड़ दिया जाता है और दूसरे स्थान पर यही प्रक्रिया अपनाकर खेती की जाती है। पेड़ों की राख मृदा के लिए एक उन्नत उर्वरक के रूप में मानी जाती है और मिट्टी में भरपूर पोषण की पूर्ति कर सकती है। कुछ सालो में मिट्टी में पोषक तत्वों की समाप्ति के बाद यह प्रक्रिया दोबारा अपनाई जाती है।

झूम खेती में उगाई जाने वाली फसलें

झूम खेती के अंतर्गत लगभग सभी प्रकार की फसलों की खेती की जा सकती है। जिनमें मक्का, मिर्च, सब्जियों की फसल मुख्य है। इस विधि में ज्यादातर सब्जी और कम अवधि वाले फसलों को अहमियत दी जाती है। फसल से बचे अवशेष एवं मिट्टी में उगे खरपतवार को मिट्टी में ऐसे ही छोड़ दिया जाता है, जो कि अगली फसल के लिए उर्वरक का कार्य करते हैं।

झूम खेती के फायदे

झूम खेती में गहरी जुताई एवं बुवाई की आवश्यकता नहीं पड़ती है। इसमें खेत की सफाई के बाद केवल मिट्टी की ऊपरी परत को हल्का हटाकर बीज बोने से भी बीज अंकुरण की संभावना है। झूम खेती तकनीक का प्रयोग सामान्यतः पिछड़े या पहाड़ी इलाकों में किया जाता है, जो आधुनिक कृषि तकनीक की पहुंच से बहुत दूर है या वहां के किसानों के लिए एक महंगी प्रक्रिया है।

झूम खेती के नुकसान

झूम खेती में मिट्टी में पोषक तत्वों की समाप्ति के बाद दूसरी बार के वनस्पति के उगने एवं उसे  काटकर जलाने तक के समय में 15 से 20 सालों तक का अंतर होता है। यह एक बड़ा कारण है, जिसके कारण मैदानी इलाकों में इस पद्धति की खेती को अपनाना पूरी तरह से नामुमकिन होता है।

यह भी पढ़ें:

झूम खेती मैदानी इलाकों में संभव नही है, इसलिए मिट्टी की गुणवत्ता को बढ़ाने के लिए एवं बेहतर उपज प्राप्त करने के लिए देहात कई तरह के जैविक खाद युक्त उत्पाद लेकर आया है। ये उत्पाद आप घर बैठे भी आर्डर करके प्राप्त कर सकते हैं। इसके अलावा आप अपने नजदीकी देहात सेंटर जाकर भी उत्पादों की खरीदारी आसानी से कर सकते हैं। अपने नजदीकी देहात सेंटर और देहात उत्पादों से जुड़ी किसी भी प्रकार की जानकारी के लिए आज ही कॉल करें 1800-1036-110 पर।


3 Likes
Like
Comment
Share
फसल चिकित्सक से मुफ़्त सलाह पाएँ

फसल चिकित्सक से मुफ़्त सलाह पाएँ