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जिमीकंद : पौधों को फफूंद जनित रोग से बचाने के लिए करें बीज उपचार
जिमीकंद : पौधों को फफूंद जनित रोग से बचाने के लिए करें बीज उपचार
किसी भी फसल से अधिक उत्पादन के लिए उसके बीजों की उच्च गुणवत्ता का होना जरूरी है। अक्सर फसल के उगने पर इसमें रोग लग जाता है। ऐसा बीजों या मिट्टी में जनित रोग के प्रभाव से होता है। किसी भी बीज को बोने से पहले उसका उपचार कर लेना चाहिए, जिससे फसल को बीज जनित रोगों से बचाया जा सके और अधिक उत्पादन प्राप्त हो सके।
जिमीकंद के बीज को जीवाणु नाशक रसायन से उपचारित किया जाता है। जिससे बीज पर एक सुरक्षा परत बन जाती है और बीज जमीन में सुरक्षित रहता है। अगर आप भी जिमीकंद की खेती कर रहे हैं और इसके बीज के उपचार की विधि एवं खाद के इस्तेमाल के बारे में जानना चाहते हैं तो इस आर्टिकल को ध्यान से पढ़ें।
बीज उपचारित करने की विधि
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बुवाई के लिए कंदों का इस्तेमाल किया जाता है।
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कंद के उपचार के लिए 5 ग्राम इमीसान एवं 0.5 ग्राम स्ट्रेप्टोसाइक्लीन को प्रति लीटर पानी में घोलकर कंद को इसमें 25-30 मिनट तक पानी में डुबोकर रखें।
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इसके अलावा आप 2 ग्राम कार्बेंडाजिम पाउडर को प्रति लीटर ताजा गोबर के गाढ़े घोल में मिलाकर कंद को उपचारित कर सकते हैं।
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इसके बाद बीज को छांव में सूखाएं और सूखने के बाद ही रोपाई करें।
खाद एवं उर्वरक का प्रयोग
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बुवाई से पहले 4 से 6 क्विंटल गोबर की सड़ी खाद का प्रति एकड़ की दर से प्रयोग करें।
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गोबर की सड़ी खाद को अंतिम जुताई के समय खेत में मिला दें।
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बुवाई के समय एक एकड़ खेत में 50 किलोग्राम डीएपी खाद के साथ 50 किलोग्राम पोटाश, 10 किलोग्राम सल्फर और 5 किलोग्राम बोरोन का इस्तेमाल करें।
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बुवाई से 30 से 35 दिन बाद प्रति एकड़ खेत में 30 किलोग्राम यूरिया का इस्तेमाल करें।
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बुवाई से 60 से 70 दिन बाद प्रति एकड़ खेत में 30 किलोग्राम यूरिया का इस्तेमाल गुड़ाई एवं मिट्टी चढ़ाते समय करें।
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बुवाई से 100 से 120 दिन बाद प्रति एकड़ खेत में 40 किलोग्राम यूरिया का इस्तेमाल करें।
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आशा है कि यह जानकारी आपके लिए लाभकारी साबित होगी। यदि आपको यह जानकारी पसंद आई है तो इस पोस्ट को ज्यादा से ज्यादा लाइक करें और अपने किसान मित्रों के साथ जानकारी साझा करें। जिससे अधिक से अधिक लोग इस जानकारी का लाभ उठा सकें और जिमीकंद की समय से खेती कर फसल से अधिक उत्पादन प्राप्त कर सकें। इससे संबंधित यदि आपके कोई सवाल हैं तो आप हमसे कमेंट के माध्यम से पूछ सकते हैं। कृषि संबंधी अन्य रोचक एवं महत्वपूर्ण जानकारियों के लिए जुड़े रहें देहात से।
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