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काला चावल : खेती के फायदे एवं स्वास्थ्य लाभ
काला चावल : खेती के फायदे एवं स्वास्थ्य लाभ
कुछ वर्षों पहले तक काले चावल की खेती केवल मणिपुर और असम में की जाती थी। लेकिन अब इसकी खेती उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, बिहार, आदि कई राज्यों में सफलतापूर्वक की जा रही है। काले चावल में चाय एवं कॉफी से अधिक मात्रा में एंटी ऑक्सीडेंट पाया जाता है। इसके साथ ही काले चावल में सफेद चावल एवं ब्राउन राइस से अधिक मात्रा में विटामिन बी, विटामीन ई, कैल्शियम, आयरन, मैग्नेशियम, जिंक, आदि पोषक तत्व पाए जाते हैं।
काले चावल की खेती से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण जानकारियां
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काले चावल की नर्सरी के लिए मई का महीना उपयुक्त है।
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नर्सरी तैयार होने में करीब 1 महीना का समय लगता है।
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बीज की रोपाई के 1 महीने बाद मुख्य खेत में पौधों की रोपाई की जाती है।
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अन्य किसनों की तुलना में काले चावल की फसल को तैयार होने में अधिक समय लगता है।
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फसल करीब 5 से 6 महीने में कटाई के लिए तैयार हो जाते हैं।
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कम पानी में भी इसकी खेती सफलतापूर्वक की जा सकती है।
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इसके पौधे मजबूत होते हैं। जिससे पौधों के टूटने की समस्या नहीं होती है।
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पौधों की लम्बाई करीब 6 फीट तक होती है।
काले चावल की खेती के फायदे
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अन्य किस्मों की तुलना में काले चावल में रोग एवं कीटों का प्रकोप कम होता है।
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इसकी खेती में लागत कम आती है।
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अधिक मूल्य पर बिक्री होने के कारण अधिक मुनाफा होता है।
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केवल जैविक खाद एवं कम्पोस्ट खाद का प्रयोग कर के भी हम बेहतर फसल प्राप्त कर सकते हैं।
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पौधों में दानों से भरी हुई लम्बी बालियां आती हैं।
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कई पोषक तत्वों से भरपूर होने के कारण इसकी कीमत अधिक होती है। इसलिए काले चावल की खेती करने वाले किसान अधिक मुनाफा कमा सकते हैं।
काले चावल सेवन करने के स्वास्थ्य लाभ
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काले चावल का सेवन हृदय रोग एवं कैंसर जैसी खतरनाक बीमारियों से बचाने में सहायक है।
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यह प्रोटीन का अच्छा स्रोत है। 10 ग्राम काले चावल में करीब 9 ग्राम प्रोटीन की मात्रा पाई जाती है।
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इसमें फाइबर और आयरन भी भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं।
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यह मधुमेह (डायबिटीज) के मरीजों के लिए भी फायदेमंद है।
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