केकड़ा पालन की विधि
राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय बाजार में केकड़ों की मांग बढ़ने के कारण किसानों का रुझान केकड़ा पालन की तरफ बढ़ता जा रहा है। अगर आप भी केकड़ा पालन के द्वारा अपनी आय में वृद्धि लाना चाहते हैं तो इस पोस्ट को ध्यान से पढ़ें। यहां से आप केकड़ा पालन की विधियों के साथ उनकों दिए जाने वाले चारे की जानकारी भी प्राप्त कर सकते हैं। आइए सबसे पहले जानते हैं केकड़ा पालन की विभिन्न विधियों के बारे में। केकड़ों की खेती दो विधियों से की जाती है। पहला है ग्रो आउट विधि एवं दूसरा है फैटनिंग विधि।
ग्रो आउट विधि
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इस विधि में छोटे केकड़ों के आकार में वृद्धि के लिए 5 से 6 महीने तक पाला जाता है।
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इस विधि में केकड़ों का पालन तालाब में किया जाता है।
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तालाब का आकार आवश्यकता के अनुसार 0.5 से 2.0 हेक्टेयर तक रखा जा सकता है।
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तालाब को चारों तरफ से घेरा तैयार करें जिससे केकड़े बाहर न निकले।
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कुछ समय के अंतराल पर तालाब का पानी बदलते रहना चाहिए।
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प्रति वर्ग मीटर में 1 से 3 केकड़े पाले जा सकते हैं।
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कई बार 3 महीने तक केकड़ों के को पालने पर ही उचित आकार के केकड़ों प्राप्त हो जाते हैं।
फैटनिंग विधि
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इस विधि के द्वारा मुलायम कवच वाले केकड़ों को उनका ऊपरी कवच कड़ा होने तक पाला जाता है।
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मुलायम कवच वाले केकड़ों को 0.025 से 0.2 हेक्टेयर आकर एवं 1 से 1.5 मीटर की गहराई वाले छोटे तालाबों में पाला जाता है।
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मुलायम कवच के केकड़ों को तालाब में डालने से पहले तालाब के पानी को निकाल कर तालाब को धूप में सुखाएं और पर्याप्त मात्रा में चूना डाल कर तालाब तैयार करें।
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तालाब में जल मार्ग पर विशेष ध्यान दें। कई बार केकड़े तालाब के जल मार्ग से होकर बाहर निकल जाते हैं।
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इन तालाबों में केकड़ों के कड़ापन को जांचने के लिए नियमित अंतराल पर निरीक्षण करें।
केकड़ों का आहार
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केकरो को खाने के लिए मछली नमकीन, पानी में पाए जाने वाले सीप या उबले हुए चिकन दिए जा सकते हैं।
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केकड़ों को उनके वजन के 5 से 8 प्रतिशत की दर से चारा देना चाहिए।
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यदि दिन में 2 बार चारा दे रहे हैं तो चारा का ज्यादातर भाग शाम के समय देना चाहिए।
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