केले के पौधों में तम्बाकू इल्ली का प्रबंधन

केले के अलावा तम्बाकू इल्ली से कई अन्य फसलें भी प्रभावित होती हैं। जिनमे फूलगोभी, पत्तागोभी, सेम, सोयाबीन, कपास, खीरा, बैंगन, लहसुन, मक्का, भिंडी, मूंगफली, आलू, टमाटर, सेब, अंगूर, आदि कई फसलें शामिल हैं। केले की फसल में तम्बाकू इल्ली के प्रकोप के कारण 40 से 80 प्रतिशत तक फसल नष्ट हो सकती है। इस कीट से बचने के लिए इसकी पहचान, प्रकोप के लक्षण एवं बचाव के उपाय की जानकारी होना आवश्यक है।
कीट की पहचान
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तम्बाकू इल्ली के लार्वा में बाल नहीं होते।
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इस कीट का रंग हल्का हरा होता है और बड़े लार्वा गहरे हरे रंग से कत्थई रंग के होते हैं।
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इन पर दो पीली धारियां होती हैं। धारियों के बीच त्रिभुज आकर के गहरे धब्बे बने होते हैं।
प्रकोप का लक्षण
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दिन के समय मिट्टी में रहने वाले यह कीट रात के समय पौधों पर आक्रमण करते हैं और दिन होने पर मिट्टी में छुप जाते हैं। इसलिए शाम के समय दवाओं का छिड़काव करने से बेहतर परिणाम मिलेंगे।
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यह पत्तियों के हरे पदार्थ को बहुत तेजी से खुरच कर खाते हैं।
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इस कीट के प्रकोप के कारण पत्तियां पीली हो जाती हैं और पत्तियों पर छोटे - छोटे छेद भी दिखने लगते हैं।
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कुछ समय बाद पत्तियां झड़ने लगती हैं और पौधे कमजोर हो जाते हैं।
बचाव के उपाय
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यह कीट पत्तियों की निचली सतह पर समूह में अंडे देते हैं। यदि संभव हो तो तम्बाकू इल्ली के अंडों को इकट्ठा कर के जला कर नष्ट कर दें।
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खेत में खरपतवार पर नियंत्रण रखें।
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कीट को आकर्षित करने के लिए रोशनी या फिर फेरोमोन ट्रेप का प्रयोग करें।
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तम्बाकू इल्ली से छुटकारा पाने के लिए प्रति एकड़ जमीन में देहात कटर 50 मिलीलीटर के साथ 50 मिलीलीटर एक्टिवेटर का भी प्रयोग करें।
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इसके अलावा आप 300 ग्राम थियोडिकार्ब 75 % डबल्यू.पी का भी छिड़काव कर सकते हैं।
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आवश्यकता होने पर 10 दिनों के अंतराल पर फिर से छिड़काव किया जा सकता है।
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हमें उम्मीद है इस पोस्ट में बताए गए तरीकों को अपना कर आप आसानी से तम्बाकू इल्ली पर नियंत्रण कर सकते हैं। अगर आपको यह जानकारी आवश्यक लगी है तो इस पोस्ट को लाइक करें एवं इसे अन्य किसान मित्रों के साथ साझा भी करें। जिससे अधिक से अधिक किसान इसका लाभ उठा सकें। इससे जुड़े अपने सवाल हमसे कमेंट के माध्यम से पूछें।
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