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2 July
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केले की फसल के प्रमुख कीट एवं उनका नियंत्रण (Major insects of banana crop and their control)


केला भारत में एक महत्वपूर्ण फल है जिसका वार्षिक उत्पादन लगभग 30 मिलियन टन है। महाराष्ट्र, तमिलनाडु, गुजरात, आंध्र प्रदेश, और कर्नाटक प्रमुख केला उत्पादक राज्य हैं। कैवेंडिश, रोबस्टा, और ग्रैंड नैन भारत में प्रमुख केले की किस्में हैं। भारत में केले के किसानों के लिए चुनौतियों में पनामा रोग, सिगाटोका लीफ स्पॉट, उचित सिंचाई की कमी, और कीट जैसे तने वाले घुन, प्रकंद घुन, फल छेदक, और एफिड शामिल हैं।

केले के रोग पर नियंत्रण कैसे करें? (How to control banana disease)

तम्बाकू इल्ली :

  • इसके लार्वा में बाल नहीं होते। यह कीट हल्के हरे रंग का होता है और बड़े लार्वा गहरे हरे रंग से कत्थई रंग के होते हैं।
  • इन पर दो पीली धारियां होती हैं, जिनके बीच त्रिभुज आकार के गहरे धब्बे होते हैं।
  • यह कीट दिन के समय मिट्टी में रहते हैं और रात में पौधों पर आक्रमण करते हैं।
  • पत्तियों के हरे पदार्थ को तेजी से खुरच कर खाते हैं, जिससे पत्तियां पीली हो जाती हैं और छोटे-छोटे छेद दिखाई देते हैं। कुछ समय बाद पत्तियां झड़ने लगती हैं और पौधे कमजोर हो जाते हैं।

नियंत्रण:

  • तम्बाकू इल्ली कीट को नियंत्रित करने के लिए अंडों को इकट्ठा करके जला देना चाहिए।
  • खेत को खरपतवार से मुक्त रखें।
  • कीट को आकर्षित करने के लिए प्रकाश प्रपंच या फेरोमोन ट्रैप का उपयोग करें।
  • कैटरकिल (प्रोफेनोफोस 40% + साइपरमेथ्रिन 4% ई सी) दवा को 400-600 मिली. प्रति एकड़ प्रयोग करें।
  • स्पिनिटोरम 11.7% एससी. दवा को 180 एम.एल प्रति एकड़ की दर से फसल पर छिड़काव करने से कीट से राहत मिलेगी।

तना छेदक कीट :

  • इस कीट से 4 से 5 महीने के पौधों को अधिक नुकसान होता है।
  • शुरुआत में पत्तियां पीली होने लगती हैं।
  • धीरे-धीरे यह कीट तने में सुरंग बना देते हैं।

नियंत्रण:

  • प्रभावित एवं सूखी पत्तियों को काटकर खेत से बाहर निकालकर जला दें।
  • खेत को खरपतवार से मुक्त रखें और साफ-सफाई पर विशेष ध्यान दें।
  • कीट को आकर्षित करने के लिए प्रति एकड़ 6-8 प्रकाश प्रपंच या फेरोमोन ट्रैप लगाएं।
  • बिफेंथ्रिन 10% ई.सी. 200 एम.एल दवा को पानी में मिलाकर अच्छे से फसल पर छिड़काव करें।
  • अटैक (क्लोरेंट्रानिलिप्रोल 18.5% एससी) का 60 मि.ली प्रति एकड़ छिड़काव करें।
  • ज्यादा संक्रमण होने पर कैटरकिल (प्रोफेनोफोस 40% + साइपरमेथ्रिन 4% ईसी) का 400-600 मिली प्रति एकड़ खेत में छिड़काव करें।
  • थियामेथोक्सम 12.6% + लैम्ब्डा साइहेलोथ्रिन 9.5% ZC दवा को 80 एम.एल प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें।

पत्ती खाने वाले कीट :

  • यह कीट पत्तियों को खा कर पौधों को हानि पहुंचाते हैं।
  • इसका लार्वा बिना फैली हुई पत्तियों में गोल छेद बनाता है और यह इल्ली पत्तियों को खाती रहती है |

नियंत्रण :

  • खेत को खरपतवार से नियंत्रित रखें।
  • कीट को आकर्षित करने के लिए प्रकाश प्रपंच या फेरोमोन ट्रैप का उपयोग करें।
  • केले की पत्तियों के बीच से अण्डों को बाहर निकालकर नष्ट कर दें।
  • नव पतंगों को पकड़ने हेतु खेत में 6-8 फेरोमोन ट्रैप स्थापित करें।
  • बिफेंथ्रिन 10% ई.सी. 200 एम.एल दवा को पानी में मिलाकर अच्छे से फसल पर छिड़काव करें।
  • थियामेथोक्सम 12.6% + लैम्ब्डा साइहेलोथ्रिन 9.5% ZC दवा को 80 एम.एल प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें।
  • अधिक संक्रमण होने पर अटैक (क्लोरेंट्रानिलिप्रोल 18.5% एससी) का 60 मि.ली प्रति एकड़ छिड़काव करें।

माहू :

  • इस कीट को एफिड के नाम से भी जाना जाता है।
  • यह पत्तियों, फूल व फल से रस चूसते हैं जिससे पत्तियाँ सूख जाती हैं और पौधों का विकास अच्छे से नहीं हो पाता है।

नियंत्रण :

  • खेत को खरपतवार से नियंत्रण रखें।
  • केले के बगीचे को हमेशा साफ-सुथरा रखें।
  • हमेशा स्वस्थ सकर्स की रोपाई करनी चाहिए।
  • ग्रसित राइजोम को खेत से बाहर करके नष्ट कर देना चाहिए।
  • केले की फसल में पीला चिपचिपा प्रपंच 6-8 और फेरोमोन ट्रैप प्रति एकड़ की संख्या में खेतो में स्थापित करे।
  • केले में माहू के नियंत्रण के लिए (DeHaat Asear) थियामेथोक्साम 25% WG को 80 ग्राम प्रति एकड़ छिड़काव करे।
  • माहू के नियंत्रण के लिए डाइमेथोएट 30% ईसी दवा को 590 से 750 मिली प्रति एकड़ पानी में अच्छे से मिलाएं और फसल पर छिड़काव करें।

थ्रिप्स :

  • यह कीट केले के फल को काफी नुकसान पहुंचाते हैं।
  • इस कीट के कारण प्रभावित फलों का आकार छोटा और भूरे रंग का हो जाता है।

नियंत्रण :

  • केले की स्वस्थ और कीट मुक्त सकर्स की रोपाई करनी चाहिए।
  • खेत को खरपतवार से नियंत्रण रखें।
  • केले के बगीचे को हमेशा साफ-सुथरा रखें।
  • केले की फसल में नीला चिपचिपा प्रपंच 6 से 8 या फेरोमोन ट्रैप प्रति एकड़ की संख्या में खेतो में स्थापित करे।
  • केले में माहू के नियंत्रण के लिए (DeHaat Asear) थियामेथोक्साम 25% WG को 80 ग्राम प्रति एकड़ छिड़काव करे।
  • माहू के नियंत्रण के लिए मीडिया (इमिडाक्लोप्रिड 17.8% SL) को 100 मिली प्रति एकड़ छिड़काव करे।

टिंगिड या लेस विंग बग:

  • यह कीट "लेसविंग बग" के रूप में भी जाना जाता है।
  • यह कीट पीले रंग का होता है, जो छोटे झालरदार पंखों वाला होता है और पत्तियों की निचली सतह पर देखा जा सकता है।
  • इसके ग्रब प्रकंदों में छेद कर देते हैं जिससे पौधे की मृत्यु हो जाती है।
  • प्रकंदों में गहरे रंग की सुरंग होने लगती है।
  • इससे बाहरी पत्तियों का मुरझा जाना।

नियंत्रण:

  • समय-समय पर इस कीट से प्रभावित पत्तियों, फूलों और फलों को इकट्ठा करें और नष्ट कर दें।
  • केले के खेत में 6 से 7 पीले चिपचिपे जाल प्रति एकड़ में लगाएं।
  • डाइमेथोएट 30% ई.सी. दवा को 590 से 750 मिली प्रति एकड़ पानी में अच्छे से मिलाएं और फसल पर छिड़काव करें।
  • क्विनालफॉस 25 % ई.सी. दवा को 1.2-1.6L पानी में मिलाकर प्रति एकड़ खेत में स्प्रे करें।
  • ऑक्सीडेमेटान मिथाइल. (मैटासिस्टॉक्स) 25 ई.सी. दवा को 600 से 800 मिली प्रति एकड़ छिड़काव करें।

क्या आप भी केले की फसल में चूसक और छेदक कीटों से परेशान हैं? अपना जवाब एवं अनुभव हमें कमेंट करके बताएं। इसी तरह की अन्य रोचक एवं महत्वपूर्ण जानकारियों के लिए ' किसान डॉक्टर ' चैनल को अभी फॉलो करें। और अगर पोस्ट पसंद आयी तो इसे लाइक करके अपने किसान दोस्तों के साथ शेयर करना न भूलें।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल | Frequently Asked Questions (FAQs)

Q: केले का मुख्य कीट क्या है?

A: केले का मुख्य कीट है केला एफिड (पेंटालोनिया निग्रोनर्वोसा)। यह कीट पत्तियों से रस चूसती है, जिससे पत्तियां करल हो जाती हैं और पीले हो जाती हैं। इसके अलावा, यह फसल के शीर्ष वायरस को भी प्रसारित कर सकती है, जिससे फसल को गंभीर नुकसान हो सकता है।

Q: केले में सबसे ज्यादा क्या पाया जाता है?

A: केले में सबसे अधिक पाया जाने वाला पोटेशियम, विटामिन सी, विटामिन बी 6 और आहार फाइबर होता है। इन्हें साथ ही इसमें अन्य पोषक तत्व भी पाए जाते हैं जो स्वस्थ जीवन और पोषण के लिए महत्वपूर्ण होते हैं।

Q: केले की खेती कौन से महीने में की जाती है?

A: भारत में केले की खेती पूरे साल की जाती है, लेकिन मुख्यतः अगस्त से दिसंबर तक खेत में लगाया जा सकता है। यह अवधि क्षेत्रों के आधार पर भिन्न हो सकती है। जिसमें कुछ किस्मों की कटाई मई में और अन्य फरवरी के अंत तक होती है। हालांकि, भारत में कुछ ऐसे क्षेत्र भी हैं जहाँ केले साल भर उगाए जाते हैं, विशेष रूप से दक्षिणी राज्यों तमिलनाडु, केरल और कर्नाटक में।









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