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केला
डॉ. प्रमोद मुरारी
कृषि विशेषयज्ञ
4 year
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केले की प्रमुख प्रजातियां

केले की 300 से भी अधिक प्रजातियां होती हैं। जिनमे मुख्य रूप से से 15 - 20 किस्मों की खेती की जाती है। इस पोस्ट के माध्यम से आप केले की विभिन्न किस्मों की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

  • जी - 9 : जी - 9 यानि ग्रैंड - 9 भारत में खेती की जाने वाली केले की प्रमुख प्रजातियों में से एक है। इस प्रजाति को टिशू कल्चर से तैयार किया गया है। प्रति एकड़ जमीन में 1,400 केले के पौधों को लगाया जा सकता है। एक पौधे से करीब 30 किलोग्राम फल की प्राप्ति होती है। इस किस्म खासियत यह है कि पौधों को लगाने के महज 9 महीने बाद फल तैयार होने लगते हैं। इसके फलों की भंडारण क्षमता भी अच्छी होती है। पके फलों को सामान्य तापमान पर 12 से 15 दिन तक रखा जा सकता है। इसके फल आकार में बड़े और मीठे होते हैं।

  • ड्वार्फ केवेन्डिस : यह भारत में खेती की जाने वाली प्रमुख किस्मों में से एक है। इस किस्म को सिंगापुरी, सिंदुरानी, बसराई, मोरिस, जहाजी आदि नाम से भी जाना जाता है। इसका पौधा छोटा होता है। इस प्रजाति के फल आकर में बड़े, मुलायम गूदे वाले मीठे होते हैं। इसके गुच्छों का वजन करीब 20 किलोग्राम होता है। अन्य किस्मों की तुलना में यह ठंड के प्रति सहनशील है।

  • रोबस्टा : इस किस्म को बाम्बेग्रीन, हरीछाल, बोजीहाजी आदि कई नामों से जाना जाता है। इस किस्म के पौधों की ऊंचाई 3 से 4 मीटर तक होती है। इसके फल पकने पर पीले रंग के और मीठे होते हैं। एक गुच्छे का वजन 25 से 30 किलोग्राम होता है।

  • रस्थली : इस प्रजाति को मालभोग, सोनकेला, अमृत पानी आदि भी कहते हैं। पौधों की ऊंचाई करीब  2.5 से 3.0 मीटर होती है। इसके फल चार कोण वाले मोटे और पीले रंग के होते हैं। इस किस्म के केले के छिलके पतले होते हैं।

  • नेन्द्रन : इस केले का सबसे ज्यादा उपयोग चिप्स बनाने में किया जाता है। इसके अलावा इसकी सब्जी भी बनाई जाती है। पौधों की ऊंचाई 3 मीटर होती है। एक गुच्छे में 4 से 6 डंठल होते हैं और सभी डंठल में 8 से 14 फल होते हैं।

  • करपूरावल्ली : इस किस्म को बोन्था, बेन्सा और केशकाल भी कहते हैं। मजबूत तना वाला इसका पौधा 10 से 12 फीट लंबा होता है। एक पौधे में 5 से 6 गुच्छे होते हैं। जिसमें 60 से 70 फल लगते हैं।

  • सी ओ 1 : संकर किस्मों में शामिल इस किस्म के पौधों में लगने वाले गुच्छों का वजन करीब 10 किलोग्राम होता है। इसके फल 14 माह में आते हैं।

  • एच 1 : माध्यम ऊंचाई वाले इस संकर किस्म के पौधों में लगने वाले गुच्छों का रंग 14 से 16 किलोग्राम होता है। इसके फल लंबे होते हैं जो पकने पर पीले रंग के हो जाते हैं। पकने पर भी इनका स्वाद हल्का खट्टा होता है।

इन किस्मों के अलावा भी देश में केले की कई अन्य प्रजातियों की खेती की जाती है। जिनमे हरी छाल, हिल बनाना , पूवन (चीनी चंपा), अल्पान, कैम्पिरगंज, बत्तीसा, कोठिया, मुनथन, एच 2, एफ एच आई ए 1 आदि किस्में शामिल हैं।

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