खेती में मल्चिंग तकनीक से होने वाले लाभ कर देंगे आपको दंग

कृषि में उच्च गुणवत्ता और अधिक उत्पादन प्राप्त करने के लिए किसानों को विभिन्न कृषि तकनीकों का उपयोग करना पड़ता है। ऐसी ही एक तकनीक है 'मल्चिंग' (Mulching), जिसे मिट्टी के संरक्षण, पौधों के विकास को बढ़ावा देने और खरपतवारों को नियंत्रित करने के लिए बेहद प्रभावी माना जाता है। खासकर, प्लास्टिक मल्चिंग (Plastic Mulching) एक महत्वपूर्ण तकनीक है, जो विभिन्न प्रकार की फसलों में बेहतर परिणाम देती है। इस लेख में हम मल्चिंग के लाभ, तकनीकों, सावधानियों, और इसके चयन के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे।
मल्चिंग क्या है? (What is mulching?)
मल्चिंग एक कृषि तकनीक है, जिसमें मिट्टी की सतह पर किसी प्रकार की सामग्री जैसे घास, पत्तियां, लकड़ी की छाल, या प्लास्टिक शीट से परत बनाई जाती है। इस परत से मिट्टी में नमी बनी रहती है, खरपतवारों पर नियंत्रण होता है और पौधों को अच्छे विकास के लिए उचित वातावरण मिलता है। खासकर, प्लास्टिक मल्चिंग में एक पतली प्लास्टिक शीट का प्रयोग किया जाता है, जिसे खेत में बिछाकर बीजों की रोपाई की जाती है। यह तकनीक न केवल मिट्टी के संरक्षण में मदद करती है, बल्कि फसलों की गुणवत्ता और पैदावार में भी सुधार लाती है।
प्लास्टिक मल्चिंग के लाभ (Benefits of Plastic Mulching)
- उपज में वृद्धि (Increase in yield): प्लास्टिक मल्चिंग के द्वारा खेत में नमी बनी रहती है और तापमान नियंत्रित होता है, जिससे पौधों की वृद्धि बेहतर होती है और उपज में वृद्धि होती है। यह तकनीक विशेष रूप से उन क्षेत्रों में प्रभावी है जहां गर्मी या सूखा ज्यादा रहता है, क्योंकि यह पानी की कमी को पूरा करती है।
- जड़ों का बेहतर विकास (Better root development): प्लास्टिक मल्चिंग से पौधों की जड़ें अधिक स्वस्थ और मजबूत होती हैं, क्योंकि यह मिट्टी के तापमान को स्थिर बनाए रखता है और जड़ों को सही तरीके से बढ़ने का अवसर मिलता है। इसका परिणाम पौधों में अधिक पोषण का संचय और बेहतर विकास होता है।
- खरपतवारों पर नियंत्रण (Weed control): मल्चिंग से खरपतवारों के उगने की संभावना कम हो जाती है, क्योंकि प्लास्टिक शीट खरपतवारों को सूर्य की रोशनी से रोकती है। खरपतवारों का नियंत्रण कृषि के लिए बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि ये फसलों से पोषक तत्वों और पानी को छीन लेते हैं, जिससे उत्पादन में कमी आती है। प्लास्टिक मल्चिंग के द्वारा खरपतवारों की वृद्धि को नियंत्रित किया जा सकता है।
- मिट्टी में नमी बनी रहती है (Moisture retention): प्लास्टिक मल्चिंग से मिट्टी की नमी बनी रहती है, जिससे पौधों को अधिक पानी की आवश्यकता नहीं होती और सिंचाई की लागत कम होती है। विशेष रूप से शुष्क क्षेत्रों में यह तकनीक अत्यधिक लाभकारी साबित होती है।
- मिट्टी की संरचना बचाना (Preservation of soil structure): यह तकनीक मिट्टी को कठोर होने से बचाती है, जिससे पौधों की जड़ों को सही जगह पर बढ़ने के लिए पर्याप्त स्थान मिलता है। इसके अलावा, मल्चिंग से मिट्टी में सूजन और संकुचन की समस्या भी कम हो जाती है।
प्लास्टिक मल्चिंग लगाने की सही विधि और सावधानियाँ (Correct method and precautions for applying plastic mulching)
- समय का ध्यान रखें (Choose the right time): प्लास्टिक मल्चिंग शीट को हमेशा सुबह या शाम के समय लगाना चाहिए, जब तापमान कम हो और प्लास्टिक शीट पर ज्यादा दबाव न पड़े। गर्मी के मौसम में इससे बचना चाहिए क्योंकि अधिक तापमान में शीट फट सकती है।
- शीट को न खींचें (Do not stretch the sheet too much): शीट को अधिक खींचने से वह फट सकती है। इसे धीरे-धीरे और सावधानी से बिछाना चाहिए ताकि शीट सही रूप से जमीं पर रहे और फटने का खतरा कम हो।
- सिंचाई की व्यवस्था (Ensure irrigation system): शीट में छेद करते समय सिंचाई नली का ध्यान रखें, ताकि पानी की आपूर्ति में कोई रुकावट न हो। यह सुनिश्चित करें कि पानी सही तरीके से खेत तक पहुंच सके।
- मिट्टी को समान रूप से फैलाएं (Spread soil evenly): शीट के दोनों किनारों पर एक समान मिट्टी डालनी चाहिए, जिससे वह जगह पर सही तरीके से बिछे और हवा के कारण उड़ने का खतरा न हो। शीट को अच्छे से दबाकर और किनारों को सुरक्षित करें।
सही प्लास्टिक मल्चिंग शीट का चयन (How to choose the right plastic mulching sheet?)
फसल के हिसाब से चयन (Selection based on crop): विभिन्न प्रकार की फसलों के लिए प्लास्टिक शीट की चौड़ाई और रंग का चयन अलग-अलग होता है। उदाहरण के लिए, तरबूज, खरबूज, टमाटर और मिर्च के लिए शीट की चौड़ाई 90 सेंटीमीटर से 180 सेंटीमीटर तक हो सकती है। यह फसल की वृद्धि और आकार पर निर्भर करता है।
शीट का रंग (Color of the sheet):
- काली शीट (Black Sheet): यह सबसे सामान्य होती है और बागवानी के लिए उपयुक्त है। यह नमी बनाए रखने में मदद करती है और खरपतवारों पर नियंत्रण करती है।
- पारदर्शी शीट (Transparent Sheet): यह भूमि के सोलराइजेशन के लिए उपयुक्त होती है। ठंडे मौसम में यह सूरज की रोशनी को सोखती है और मिट्टी के तापमान को बढ़ाती है।
- दूधिया या चमकीली शीट (Milky or reflective Sheet): यह नमी बनाए रखने के साथ-साथ तापमान को नियंत्रित करती है, जिससे मिट्टी ठंडी रहती है और खरपतवारों की वृद्धि में कमी आती है।
मिट्टी के प्रकार और मौसम (Soil type and weather conditions): प्लास्टिक शीट का चयन करते समय मिट्टी के प्रकार और मौसम की स्थिति को ध्यान में रखना चाहिए। उदाहरण के लिए, गीली मिट्टी में काले रंग की शीट उपयोगी हो सकती है, जबकि ठंडे क्षेत्रों में पारदर्शी शीट का चयन करना बेहतर हो सकता है।
मोटी या पतली शीट का चयन (Thickness of the sheet): प्लास्टिक शीट की मोटाई भी फसल के प्रकार और मौसम के हिसाब से बदलती है। ज्यादा मोटी शीट अधिक समय तक चलती है, लेकिन इसका वजन अधिक होता है। हल्की शीट जल्दी खराब हो सकती है, लेकिन यह कम लागत में आती है।
दीर्घायु और गुणवत्ता (Durability and quality): प्लास्टिक शीट की दीर्घायु पर भी ध्यान देना चाहिए। यह शीट यू.वी (Ultraviolet) प्रतिरोधी होनी चाहिए, ताकि वह सूरज की तेज़ किरणों से जल्दी न खराब हो और लंबे समय तक काम करे।
क्या खेतों में मल्चिंग शीट का उपयोग करते हैं और किन-किन फसलों में करते हैं? अगर आपको यह जानकारी अच्छी लगी हो, तो इस पोस्ट को लाइक करें और अपने किसान मित्रों के साथ साझा करें। ऐसे ही रोचक जानकारी के लिए 'कृषि ज्ञान' चैनल को सब्सक्राइब करें!
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल | Frequently Asked Questions (FAQs)
Q: मल्चिंग सिस्टम कैसे काम करता है?
A: मल्चिंग सिस्टम में मिट्टी पर एक परत बिछाई जाती है, जो नमी बनाए रखती है, खरपतवार रोकती है और तापमान नियंत्रित करती है, जिससे पौधों का विकास बेहतर होता है और सिंचाई की आवश्यकता कम होती है।
Q: मल्चिंग के क्या फायदे हैं?
A: मल्चिंग से नमी बनी रहती है, खरपतवार नियंत्रित होते हैं, मिट्टी का तापमान स्थिर रहता है और फसलों की पैदावार बढ़ती है। साथ ही, पानी की बचत होती है और निराई-गुड़ाई में भी कमी आती है।
Q: मल्चिंग की कौन-कौन सी विधियां हैं?
A: मुख्य रूप से दो विधियां हैं - कार्बनिक मल्च (जैसे घास, पत्तियां) और अकार्बनिक मल्च (जैसे प्लास्टिक शीट)। दोनों विधियां फसल के प्रकार और खेत की स्थिति के आधार पर चुनी जाती हैं।
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