कपास: बेहतर पैदावार के लिए करें इन उर्वरकों का इस्तेमाल (Cotton: Use these fertilizers for better yield)

कपास की फसल में उर्वरकों की सही मात्रा को उचित समय पर देना सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण होता है। फसल के विकास और पैदावार में वृद्धि के लिए उपयुक्त पोषक तत्वों की संतुलित मात्रा की आवश्यकता होती है। कपास के लिए कुछ ख़ास उर्वरक जैसे: नाइट्रोजन, फॉस्फेट, और पोटाश हैं जो पत्तियों, तनों, शाखाओं और स्वस्थ जड़ों के विकास को बढ़ावा देते हैं।
कपास की फसल में उर्वरक की कमी से नुकसान (Damage due to lack of fertilizer in cotton crop)
- नाइट्रोजन की कमी: पौधों की पत्तियां झड़ने लगती हैं, वृद्धि रुक जाती है, और फसल समय से पहले पक जाती है।
- फास्फोरस की कमी: फलों और बीजों का सही तरीके से निर्माण नहीं होता, जड़ें सूख जाती हैं, और शाखाएं कम बनती है।
- पोटैशियम की कमी: पत्तियां भूरी और धब्बेदार हो जाती हैं।
- जिंक की कमी: कपास की पत्तियों पर पीले रंग के धब्बे होने लगते हैं और पौधे झाड़ीनुमा होने लगते हैं।
- उपज और गुणवत्ता में कमी: फसल की उपज और गुणवत्ता में कमी हो सकती है।
- अविकसित पौधे: पोषक तत्वों की संतुलित आपूर्ति की आवश्यकता होती है, अन्यथा विकास अवरुद्ध हो सकता है।
- बॉल का कम आकार: निषेचन सही से ना होने के कारण बॉल का आकार कम हो सकता है।
- फाइबर गुणवत्ता में कमी: फाइबर की गुणवत्ता कम हो सकती है।
- संवेदनशीलता में वृद्धि: कीटों और बीमारियों के प्रति संवेदनशीलता बढ़ सकती है।
कपास में कब और कौन से उर्वरक का इस्तेमाल करें? (When and which fertilizer to use in cotton?)
- बेसल डोज (1-20 दिन): कपास में खाद का पहला बेसल डोज बुवाई के 1 से 20 दिन में देते हैं। इसमें 25 किलो यूरिया , 40 किलो DAP , 40 किलो MOP , 4 किलो सल्फर 90% WDG, स्टार्टर (माइकोराइजा) 4 किलो प्रति एकड़ और प्रोम (फॉस्फेट युक्त जैविक खाद) 50 किलोग्राम प्रति एकड़ की दर से इस्तेमाल करें।
- 2nd बेसल डोज (25-35 दिन): कपास की फसल में उर्वरकों का दूसरा डोज देना होता है उसके लिए 40 किलो यूरिया, 60 किलो DAP, 30 किलो MOP, बेन्टोनाइट सल्फर 10 किलो प्रति एकड़ छिड़काव करें।
- बढ़वार अवस्था (35-45 दिन): कपास की बेहतरीन बढ़वार के लिए NPK(19:19:19) खाद को 5 ग्राम प्रति लीटर पानी में मिलाकर इस्तेमाल करें। Ikkon HS (ह्यूमिक एसिड) 2 से 3 एम.एल प्रति लीटर पानी की दर से और चेलेटेड माइक्रोन्यूट्रिएंट 1 ग्राम प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें।
- फूल आने की अवस्था (50-60 दिन): जब कपास के पौधों में फूल आने लगते हैं, तो पोटेशियम की आवश्यकता पड़ती है। इसके लिए न्यूट्री वन पोटेशियम नाइट्रेट 13:00:45 को 5 ग्राम प्रति लीटर पानी और न्यूट्री वन का बूस्ट मास्टर 2 से 3 मिली प्रति लीटर पानी में मिलाकर उपयोग करें। इसके उपयोग से फूलों के विकास को बढ़ाता है और उन्हें गिरने से भी बचाता है, जिससे अच्छी पैदावार होती है।
- फूलों के झड़ने की अवस्था: अगर कपास की फसल में फूल झड़ते हुए दिखाई देते हैं तो उस अवस्था में एम.के.पी (मोनो पोटेशियम फॉस्फेट) 00:52:34 खाद को 5 ग्राम प्रति लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें। इसके अलावा अकिलिस जीए (जिबरेलिक एसिड 0.001% एल) दवा को 2 से 3 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करने से फूलों का झड़ना कम होता है।
- फूलों के पकने की अवस्था (60-70 दिन): इस चरण में पौधों की वृद्धि के लिए जिंक और अन्य सूक्ष्म पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है। इस अवस्था में न्यूट्री वन 09:27:18+TE को 5 ग्राम प्रति लीटर पानी और न्यूट्री वन जिंक EDTA को 1 से 2 ग्राम प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें। इसके उपयोग से पौधों का स्वास्थ बेहतर होता है।
- टिंडे बनने की अवस्था (70-85 दिन): जब पौधों में बॉल्स / टिंडे बनने की प्रक्रिया शुरू होती है, तब मोनो पोटेशियम फॉस्फेट और बोरॉन का उपयोग किया जाता है। एमकेपी (मोनो पोटेशियम फॉस्फेट) 00:52:34 को 5 ग्राम प्रति लीटर और FIXAA (अमीनो एसिड 62%) दवा को 2 से 2.5 एम.एल प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें।
- टिंडे के झड़ने की अवस्था: पोषक तत्वों की कमी से कई बार कपास के टिंडे झड़ने लगते हैं यह समस्या न हो इसके लिए एस.ओ.पी (पोटेशियम सल्फेट) 00:00:50+17.5% एस खाद 5 ग्राम प्रति लीटर और बोरॉन डीओटी (डिसोडियम ऑक्टाबोरेट टेट्राहाइड्रेट) बी-20% को 1 ग्राम प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें।
- बॉल्स के विकास की अवस्था (85-110 दिन): बॉल्स (टिंडे) के पकने की अवस्था में पोटेशियम सल्फेट का उपयोग किया जाता है, जिससे कपास की फसल के बॉल्स का आकार और गुणवत्ता में सुधार होता है। इसके लिए न्यूट्री वन पोटेशियम सल्फेट को 5 ग्राम प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें। यह उर्वरक टिंडे को आवश्यक पोषण प्रदान करता है और फसल की उपज को बढ़ाता है।
आप कपास में बेहतर पैदावार के लिए कौनसे उर्वरकों के प्रयोग करते हैं? अपने जवाब हमें कमेंट के माध्यम से बताएं। बेहतर फसल प्राप्त करने के लिए इस तरह की अधिक जानकारियों के लिए 'कृषि ज्ञान' चैनल को तुरंत फॉलो करें। इसके साथ ही इस पोस्ट को लाइक और अन्य किसानों के साथ शेयर करना न भूलें।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल | Frequently Asked Questions (FAQs)
Q: कपास की फसल के लिए कौन-सा उर्वरक अच्छा है?
A: पौधे की उच्च मांग और मिट्टी में कम उपलब्धता के कारण नाइट्रोजन (यूरिया) कपास की खेती में सबसे व्यापक रूप से उपयोग किया जाने वाला उर्वरक है। अगर दानेदार यूरिया का इस्तेमाल किया है तो यह नाइट्रोजन सिर्फ एक हफ्ते तक ही काम करता है।
Q: कपास के लिए कौन सी मिट्टी बेहतर है?
A: कपास की खेती के लिए काली मिट्टी सबसे उपयुक्त होती है क्योंकि काली मिट्टी अधिक समय तक नमी रहती है और इसमें ह्यूमस की प्रचुर मात्रा होती है। कपास की पैदावार के लिए काली मिट्टी सबसे अच्छी होती है, क्योंकि इसमें जल धारण क्षमता अधिक होती है और यह फसल के लिए आवश्यक पोषक तत्वों को लंबे समय तक उपलब्ध कराती है।
Q: कपास में पोटाश क्या काम करती है?
A: कपास में पोटाश फसल की वृद्धि, फूल और फलों के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यह पौधों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में भी मदद करती है।
Q: कपास की खेती में सूक्ष्म पोषक तत्वों का क्या उपयोग है?
A: फसल की कटाई तक सूक्ष्म पोषक तत्व फसल की वृद्धि में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। कपास की फसल में फूल गिरने से बचाने के लिए सूक्ष्म पोषक तत्वों का प्रयोग किया जाता है। फूल आने और गुठली खुलने के समय बोरान और मैग्नीशियम के प्रयोग से फसल की अच्छी उपज प्राप्त होती है।
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