कपास : हरा तेला एवं मोयला कीट पर नियंत्रण के तरीके

कपास एक नकदी फसल है। इसकी खेती से किसानों को अच्छा मुनाफा प्राप्त होता है। किन्तु पिछले कुछ सालों से इसके उत्पादन में कमी देखने को मिली है। इसका मुख्य कारण है फसल में लगने वाले कीट एवं रोग। इनमें से हरा तेल और मोयला कीट का प्रभाव ज्यादा देखने को मिलता है। इनके प्रभाव से कपास का उत्पादन 30 से 40 फीसदी कम हो जाता है। साथ ही गुणवत्ता पर भी असर देखने को मिलता है। तो आज किसान भाइयों को इन कीटों पर नियंत्रण करने का उपाय बताने जा रहे हैं। जानने के लिए पढ़िए यह आर्टिकल।
हरा तेला कीट से होने वाले नुकसान
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यह कीट मुख्य रूप से हरे रंग का होता है, जो शुरुआत में कपास के पौधे या पेड़ पर आसानी से देखा जा सकता है।
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यह पत्तियों की नीचली सतह पर रहता है तथा टेढ़े-मेढ़े चलता है।
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इनके प्रकोप से पत्ते किनारों से पीले पड़ जाते हैं तथा नीचे की ओर मुड़ने लग जाते हैं।
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अधिक प्रकोप होने पर पत्ते सूख कर नीचे जमीन में गिर जाते हैं।
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इससे पौधों की बढ़वार रुक जाती है और पेड़ से कलियां एवं फूल गिरने लगते हैं।
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इसके प्रकोप से पैदावार कम हो जाती है।
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हरा तेला कीट जुलाई से अगस्त माह में फसल को सबसे ज्यादा हानि पहुंचाता है।
हरा तेला कीट पर नियंत्रण के उपाय
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हरा तेला के लिए 250-350 मिलीलीटर ड़ाइमेथोएट 30 ई.सी. या 300-400 मिलीलीटर आक्सीड़ीमेटान मिथाइल 25 ई.सी. या 40 मिलीलीटर ईमीड़ाक्लोपरिड़ 200 एस. एल. को 120-150 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें।
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दवा का छिड़काव करने के लिए नए स्प्रे पंप का प्रयोग करें।
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यूरिया को दवा के साथ मिलाकर छिड़कने से बेहतर परिणाम मिलते हैं।
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खरपतवारों को खेत में खड़ा न रहने दें, समय-समय पर इसको निकालते रहें।
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दूसरा छिड़काव 10 दिन बाद दवाई बदलकर करें।
मोयला कीट से होने वाले नुकसान
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यह कीट 3 से 4 मिलीमीटर लम्बा सफेद रंग का होता है।
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यह पौधे के किसी भी भाग में समूह में इकट्ठा होकर रस चूसते हैं।
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पौधे के जिस भी भाग पर लगते हैं, उसे सूखा देते हैं।
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कीट से प्रभावित पत्ते, फूल व फल गिरने लगते हैं।
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यह कीट रसदार पदार्थ छोड़ता है, जिससे पौधे पर काली फंफूद लग जाती है।
हरा तेला कीट पर नियंत्रण के उपाय
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रस चूसक कीट के लिए 3 मिलीलीटर प्रोफेनोफास 50 ई.सी. या 4 मिलीलीटर क्विनलफास 25 ई.सी. या 5 ग्राम थायोड़िकार्ब 75 ड़ब्लयू.पी.को प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें।
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प्रभावित पत्तों को नष्ट कर दें।
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कपास के खेत में उगी हुई खरपतवार को निकालकर फेंक दें।
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सही मात्रा में खाद का प्रयोग करें। अधिक मात्रा से फसल को नुकसान होता हैखाद का
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नाइट्रोजन वाली खाद का अधिक प्रयोग न करें।
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