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करें स्पाइरुलीना की खेती, होगी लाखों में कमाई
पारम्परिक फसलों की खेती के अलावा इन दिनों किसानों का रुझान अधिक मुनाफा देने वाली कुछ अन्य फसलों की तरफ बढ़ने लगा है। इन फसलों में स्पाइरुलीना भी शामिल है। यह बहुत तेजी से बढ़ने वाला पौधा है। इसकी खेती पानी में की जाती है। अधिक कीमत पर बिक्री होने के कारण इसकी खेती करने वाले किसान बहुत कम समय में लाखों की कमाई कर सकते हैं। आइए स्पाइरुलीना की खेती पर विस्तार से जानकारी प्राप्त करें।
क्या है स्पाइरुलीना?
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स्पाइरुलीना पानी में पाया जाने वाला एक पौधा है।
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इसका उपयोग दवाओं के निर्माण में किया जाता है।
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यह खारे पानी, झरना, झील, आदि में पाया जाता है।
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यह प्रोटीन का एक अच्छा स्रोत है।
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प्रोटीन के अलावा इसमें 18 तरह के विटामिन और मिनरल्स पाए जाते हैं। जिनमें विटामिन ए, आयरन, कैल्शियम, फाइटो न्यूट्रीएंट्स, कैरोटीन, एंटीऑक्सीडेंट्स, आदि शामिल है।
स्पाइरुलीना की खेती से कितना मुनाफा?
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प्रति दिन एक स्क्वायर मीटर क्षेत्र में करीब 8 ग्राम स्पाइरुलीना का उत्पादन होता है।
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हर दिन प्रति एकड़ क्षेत्र से 32 किलोग्राम स्पाइरुलीना का उत्पादन होता है।
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ताजे स्पाइरुलीना की बिक्री करीब 800 रूपए प्रति किलोग्राम की दर से होती है।
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प्रति किलोग्राम सूखे स्पाइरुलीना पाउडर की बिक्री 1,000 रूपए में की जा सकती है।
स्पाइरुलीना की खेती से जाने यह महत्वपूर्ण बातें
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स्पाइरुलीना की खेती के लिए 25 से 38 डिग्री सेंटीग्रेड तापमान होना चाहिए।
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पानी का पी.एच. स्तर 9 होना चाहिए।
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इसकी खेती के लिए मदर कल्चर स्पाइरुलीना की आवश्यकता होगी।
कैसे करें स्पाइरुलीना की खेती?
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इसकी खेती तालाब, झील में भी की जा सकती है।
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इसके अलावा प्लास्टिक या सीमेंट के टैंक में भी इसकी खेती आसानी से की जा सकती है।
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इसके बाद मदर स्पाइरुलीना कल्चर को 1000 लीटर पानी में डालें।
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टैंक में सोडियम बाईकार्बोनेट के साथ 5 ग्राम सोडियम क्लोराइड, 0.2 ग्राम यूरिया, 0.5 पोटैशियम सल्फेट, 0.05 आयरन सल्फेट का घोल भी डालें।
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कुछ समय के अंतराल पर पानी को हिलाते रहें। इससे स्पाइरुलीना पूरे पानी में फैलेगा और जल्दी तैयार होगा।
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