करेले में ज्यादा फल-फूल पाने के लिए करें उचित उर्वरक प्रबंधन!

करेला एक महत्वपूर्ण ग्रीष्मकालीन सब्जी है, जो अपने पौष्टिक और औषधीय गुणों के कारण लोकप्रिय है। हालांकि इसका स्वाद कड़वा होता है, फिर भी इसे बड़े पैमाने पर उगाया जाता है। करेले की अच्छी पैदावार पाने के लिए सही देखभाल और उर्वरक प्रबंधन की आवश्यकता होती है। यदि सही उर्वरक और पोषण नहीं दिया जाता, तो इसके उत्पादन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। इस लेख में हम चर्चा करेंगे कि करेले में अधिक फल और फूल प्राप्त करने के लिए कैसे उर्वरक प्रबंधन किया जा सकता है।
कैसे करें करेले में उर्वरक प्रबंधन? (How to do fertilizer management in bitter gourd?)
शुरुआती अवस्था (Initial stages):
- करेले की सफल खेती के लिए प्रति एकड़ खेत में सही उर्वरक प्रबंधन आवश्यक है। एक एकड़ खेत में 43 किलोग्राम यूरिया, 50 से 58 किलोग्राम डी.ए.पी., 16 से 24 किलोग्राम एम.ओ.पी., 125 किलोग्राम सिंगल सुपर फास्फेट और 35 किलोग्राम म्यूरेट ऑफ पोटाश की आवश्यकता होती है।
- इसके साथ, प्रति एकड़ 20 टन अच्छी सड़ी हुई गोबर की खाद (FYM) देना चाहिए। बुवाई से पहले फॉस्फोरस और पोटैशियम की पूरी मात्रा डालें और नाइट्रोजन की एक तिहाई मात्रा का प्रयोग करें।
- बुवाई के 30 दिनों बाद यूरिया की बची हुई मात्रा डालें। बुवाई के समय खाद को बीज के नीचे कतारों में डालें और Dehaat Starter (देहात स्टार्टर) का 4 किलोग्राम प्रति एकड़ उपयोग करें, जिससे पौधों की प्रारंभिक वृद्धि में मदद मिलेगी।
वानस्पतिक अवस्था (Vegetative Stage) :
- करेले की रोपाई के 10 से 15 दिनों के बाद प्रति लीटर पानी में 2.5 से 3 ग्राम एनपीके 19:19:19 उर्वरक का उपयोग करें।
- मैग्नीशियम सल्फेट 1 किलो प्रति एकड़ की दर से करें। यह उर्वरक पौधों में पत्तियों के विकास और हरापन बढ़ाने में मदद करता है, जिससे पौधे स्वस्थ रहते हैं और उनकी विकास गति तेज होती है।
फूल बनने की अवस्था (Flowering Stage) :
- करेले की रोपाई के 40 से 50 दिनों बाद प्रति लीटर पानी में 4-5 ग्राम एनपीके 12:61:00 का प्रयोग करें। पौधों में फूल आने के समय 150 पानी में 450 ग्राम बोरोन मिला प्रति एकड़ की दर से प्रयोग करें। इस अवस्था में उर्वरक पौधों को फूल देने के लिए आवश्यक पोषक तत्व प्रदान करता है और फूलों की गुणवत्ता में सुधार करता है। बोरॉन स्प्रे स्वस्थ पराग निर्माण को बढ़ावा देता है।
- पोटेशियम फसल के इस चरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। फास्फोरस जड़ों की वृद्धि में मदद करता है और सल्फर प्रोटीन संश्लेषण में सहायक होता है। इसकी पूर्ति के लिए 5 किलोग्राम एस.ओ.पी (पोटेशियम सल्फेट) 00:00:50+17.5% एस और बोरॉन डीओटी (डिसोडियम ऑक्टाबोरेट टेट्राहाइड्रेट) बी-20% को 500 ग्राम ले कर इसे सिंचाई के माध्यम से प्रति एकड़ खेत में देना चाहिए।
- सूक्ष्म पोषक तत्व जैसे कैल्शियम, मैग्नीशियम, और जिंक का छिड़काव फसल की गुणवत्ता बढ़ाने में सहायक होता है। इसके लिए सूक्ष्म पोषक तत्वों के मिश्रण मल्टीप्लेक्स कंपनी का प्रोकिसान दवा का इस्तेमाल 200 ग्राम प्रति एकड़ की दर से करें।
- Flowering Special Fertilizer (9:27:18+TE) एक खास उर्वरक है जो फूलों की वृद्धि और फल सेटिंग को बढ़ावा देता है, साथ ही फूल और फल के गिरने की समस्या को कम करता है। इस दवा को 5 ग्राम प्रति लीटर पानी में मिलाकर करेले के खेत में छिड़काव करें।
- Akillis GA (जिब्रेलिक एसिड 0.001% L) का उपयोग फूल आने और फल बनने के समय करते हैं। यह उर्वरक फूलों और फलों के विकास में सहायक होता है। इसका उपयोग 25-30 मिली प्रति पंप की दर से छिड़काव करने से फूलों और फलों की गुणवत्ता में सुधार होता है और उपज बढ़ती है।
फल बनने की अवस्था में (Fruiting Stage):
- न्यूट्री वन पोटेशियम नाइट्रेट 13:00:45 को 5 ग्राम प्रति लीटर पानी और न्यूट्री वन बूस्ट मास्टर 2 से 3 मिली प्रति लीटर पानी में मिलाकर उपयोग करें। इसके इस्तेमाल से करेले में फलों की संख्या में वृद्धि होगी और दानों का आकार भी बड़ा होगा साथ ही दाने की चमक बनी रहेगी।
- इसके अलावा माइक्रोन्यूट्रिएंट्स (सूक्ष्म पोषक तत्वों) का उपयोग करना चाहिए इसके लिए मल्टीप्लेक्स कंपनी का न्यूट्री प्रो ग्रेड, 2,3,4,5 जो आपके राज्य के लिए उपयक्त हो उसका छिड़काव करें।
- करेले में एक समान अकार और चमकदार फल पाने के लिए एस.ओ.पी (पोटेशियम सल्फेट) 00:00:50+17.5% एस खाद को 5 ग्राम प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें।
- इसके अलावा बोरॉन डीओटी (डिसोडियम ऑक्टाबोरेट टेट्राहाइड्रेट) बी-20% को 1 ग्राम एक लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ करेले के खेत में छिड़काव करें। या फिर फ्लॉवरिंग स्पेशल -9:27:18+TE को 5 ग्राम प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें।
- MKP (Mono Potassium Phosphate) - 00:52:34 उर्वरक फूलों के जल्दी गिरने और फलों के झड़ने को कम करने में मदद करता है। इसका उपयोग विशेष रूप से फूल आने और फल बनने के समय किया जाता है। MKP को फसल पर फर्टिगेशन या छिड़काव के माध्यम से दिया जा सकता है। फोलियर स्प्रे के लिए 5 ग्राम MKP को एक लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें। इससे पौधों की वृद्धि और पैदावार में काफी सुधार होता है।
- Chiron का उपयोग ड्रिप या छिड़काव दोनों विधि से कर सकते हैं। इससे फलों का आकार समान रहता है और ज्यादा तापमान में भी फूलों और फलों के झड़ने की समस्या कम होती है इसके लिए प्रति एकड़ खेत में 500 मिलीलीटर Chiron का उपयोग करें।
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अक्सर पूछे जाने वाले सवाल | Frequently Asked Questions (FAQs)
Q: करेला कितने दिन में फल देने लगता है?
A: करेला के बीज बोने के लगभग 55 से 60 दिनों के भीतर पौधों में फल आना शुरू हो जाता है। हालांकि, यह समय फसल की किस्म, जलवायु, और देखभाल पर निर्भर करता है। यदि पौधों को अच्छे प्रबंधन, सही समय पर आवश्यक पोषक तत्व, और पर्याप्त पानी मिलता है, तो फल जल्दी आ सकते हैं। फल आने के बाद नियमित रूप से उनकी कटाई करनी चाहिए, ताकि पौधे अधिक उत्पादन कर सकें।
Q: करेले की खेती में उर्वरक की मात्रा कितनी होनी चाहिए?
A: करेले की अच्छी फसल के लिए उर्वरकों का सही मात्रा में और समय पर उपयोग करना बहुत जरूरी है। बुवाई के समय नाइट्रोजन की आधी मात्रा, सल्फर और पोटाश की पूरी मात्रा डालनी चाहिए। इसके अलावा, बुवाई के 30-40 दिन बाद बचे हुए नाइट्रोजन की मात्रा टॉप ड्रेसिंग के रूप में दें। इससे पौधों को आवश्यक पोषक तत्व मिलते हैं और फसल का विकास सही तरीके से होता है। सही उर्वरक प्रबंधन से फल का आकार और गुणवत्ता में भी सुधार होता है।
Q: भारत में करेला किस-किस राज्य में उगाया जाता है?
A: भारत में करेला की खेती कई राज्यों में की जाती है। प्रमुख रूप से छत्तीसगढ़, तेलंगाना, महाराष्ट्र, गुजरात, राजस्थान, मध्य प्रदेश, पंजाब, तमिलनाडु, केरल, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, असम, उत्तर प्रदेश, और बिहार में करेला की खेती व्यापक रूप से होती है। ये राज्य करेला की फसल के लिए आदर्श जलवायु और मिट्टी प्रदान करते हैं।
Q: करेले का साइज कैसे बढ़ाएं?
A: करेले की बुवाई के लिए सबसे उपयुक्त समय बरसात के मौसम का होता है, इसलिए मई से जून के महीनों में बुवाई करनी चाहिए। यदि सर्दियों में करेले की खेती करनी हो, तो जनवरी से फरवरी का समय सही रहेगा। सही समय पर बुवाई और उचित देखभाल से करेले का आकार बढ़ सकता है।
Q: करेले के पौधे को कितना पानी देना चाहिए?
A: बुवाई के तुरंत बाद सिंचाई करें। गर्मियों में हर 6-7 दिन में पानी दें, और बारिश के समय केवल जरूरत के अनुसार सिंचाई करें। कुल मिलाकर 8-10 सिंचाइयों की आवश्यकता होती है। सिंचाई करते समय जलजमाव से बचें और मिट्टी की नमी बनाए रखें, ताकि फसल की वृद्धि और उत्पादन में सुधार हो सके।
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