फसल में क्यों होता है उकठा रोग?

फ्यूजेरियम ऑक्सीस्पोरम नामक कवक उकठा रोग होने का मुख्य कारण है। हल्की बलुई एवं भारी मिट्टी में यह रोग उग्र हो जाता है। मिट्टी का तापमान 24 से 28 डिग्री सेल्सियस इस रोग के लिए अनुकूल है। मिट्टी में नमी बढ़ने पर और 25 से 30 डिग्री सेंटीग्रेड तापमान होने पर यह रोग तीव्र गति से फैलता है। उकठा रोग से अरहर, चना, मटर, गन्ना, धान, मसूर, टमाटर, बैंगन, लौकी, आम, अमरूद, आदि कई फसलें प्रभावित होती हैं। इस रोग के फफूंद बिना किसी पोषण या नियंत्रण के करीब 6 वर्षों तक जीवित रह सकते हैं।
उकठा रोग से होने वाली क्षति
- इस रोग के कारण उपज में सामान्यतः 10-12 प्रतिशत तक कमी आती है।
- रोग का प्रकोप बढ़ने पर उपज में 50-78 प्रतिशत तक कमी हो सकती है।
उकठा रोग की पहचान
- इस रोग की शुरुआती अवस्था में पौधे के निचले पत्ते मुरझा कर सूखने लगते हैं।
- संक्रमण बढ़ने पर पूरा पौधा मुरझा कर सूख जाता है।
- पौधों में यदि फल आ गए हैं तो फलों पर भी इस रोग के लक्षण नजर आ सकते हैं।
- प्रभावित फलों पर भूरे-काले धब्बे उभरने लगते हैं।
उकठा रोग पर नियंत्रण के तरीके
- फसलों को इस घातक रोग से बचाने के लिए फसल चक्र अपनाएं।
- रोग प्रतिरोधी किस्मों का चयन करें।
- संक्रमित पौधों को खेत से निकाल कर नष्ट कर दें।
- बुवाई से पहले प्रति किलोग्राम बीज को 2 ग्राम ब्यूवेरिया बेसियाना से उपचारित करें।
- पौधों की रोपाई से पहले कार्बेन्डाजिम 50% (धानुका- धानुस्टीन) प्रति लीटर पानी में 2 ग्राम मिला कर पौधों की जड़ों को उसमेन डुबाकर उपचारित करें।
- जैविक उकठा के लिए कासुगामाइसिन 3% (धानुका- कासु-बी) 200 लीटर पानी में 400 मिली मिलाकर जड़ों में ड्रेंचिंग करें।
- फंगल विल्ट यानी उकठा पर नियंत्रण के लिए प्रति एकड़ खेत में 400 ग्राम ब्लू कॉपर का प्रयोग करें।
- प्रति एकड़ खेत में 400 ग्राम कार्बेन्डाजिम 12% + मैंकोजेब 63% डब्ल्यू.पी (देहात साबू) का प्रयोग करें।
- प्रति एकड़ खेत में 400 ग्राम थियोफैनेट मिथाइल 70% डब्लू.पी. को 200 लीटर पानी में मिला कर ड्रेंचिंग करें। यह दवा बाजार में रोको के नाम से उपलब्ध है।
उकठा रोग पर नियंत्रण के लिए आप किन दवाओं का प्रयोग करते हैं? अपने जवाब हमें कमेंट के माध्यम से बताएं। इस पोस्ट में दी गई जानकारी पसंद आई है तो इस पोस्ट को लाइक और शेयर करना न भूलें। इस तरह की अधिक जानकारियों के लिए 'किसान डॉक्टर' चैनल को तुरंत फॉलो करें।
जारी रखने के लिए कृपया लॉगिन करें

फसल चिकित्सक से मुफ़्त सलाह पाएँ
