क्या नीम की इस किस्म से वाकिफ हैं आप?

नीम की कई किस्में होती हैं। नीम की किस्मों में मालाबार नीम भी शामिल है। भारत के अलावा यह किस्म दक्षिण पूर्व एशिया और ऑस्ट्रेलिया में भी पाई जाती है। यह दिखने में भी साधारण नीम के पौधों से अलग है। इसकी खेती लगभग सभी प्रकार की मिट्टी में आसानी से की जा सकती है। मालाबार नीम के पौधों को अन्य किस्मों में तुलना में सिंचाई की आवश्यकता कम होती है। फलस्वरूप किसानों को सिंचाई में होने वाले खर्च में भी बचत होती है।
रोपाई के करीब 2 वर्षों के अंदर मालाबार नीम के पौधों की लंबाई 40 फुट तक हो जाती है। सिंचित किए गए पौधों की कटाई 5 वर्षों में की जा सकती है। इसकी लकड़ियों का उपयोग प्लाई बनाने में किया जाता है। इसके अलावा मालाबार नीम की लकड़ियों का प्रयोग पैकिंग में किया जाता है। इसके साथ इससे छत के तख्त, पेंसिल, माचिस की डिब्बी, कृषि उपकरणों और संगीत वाद्ययंत्रों को बनाने में भी किया जाता है। इसके साथ ही भवन निर्माण में भी इसका प्रयोग किया जाता है।
अधिक लाभ के लिए इसकी खेती, मूंगफली,मिर्च, काला चना, हल्दी, खरबूज, केला, गन्ना और पपीता के साथ कर सकते हैं। भारतीय बाजारों के साथ अंतराष्ट्रीय बाजारों में भी इसकी बहुत मांग होती है। इस बढ़ती हुई मांग को देखते हुए हाल ही में कर्नाटक, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और केरल के किसानों ने इसकी खेती प्रारम्भ कर दी है। अगर आप भी चाहते हैं अधिक मुनाफा तो करें मालाबार नीम की खेती।
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