लौकी : छोटे फलों के गिरने का कारण एवं नियंत्रण के सटीक उपाय

लौकी की खेती करने वाले किसानों के सामने लौकी के छोटे फलों के पीला होने एवं सूख कर गिरने की समस्या बढ़ती जा रही है। इससे लौकी की पैदावार में भारी कमी आती है। बेहतर पैदावार प्राप्त करने के लिए इस समस्या पर नियंत्रण करना बहुत जरूरी है। बात करें फलों के पीला होने एवं सूख कर गिरने के कारणों की तो इसके कई कारण होते हैं। आइए इस पोस्ट के माध्यम से हम लौकी के छोटे फलों के गिरने का कारण, एवं नियंत्रण पर विस्तार से जानकारी प्राप्त करें।
छोटे फलों के गिरने का कारण
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लौकी के पौधों में फफूंद जनित रोग होने पर फल गिरने लगते हैं।
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कीटों का प्रकोप होने पर भी यह समस्या शुरू हो सकती है।
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सिंचाई की कमी होने पर भी लौकी के छोटे फल गिरने लगते हैं।
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इसके अलावा असंतुलित मात्रा में उर्वरकों का प्रयोग भी फलों के गिरने के कारणों में शामिल है।
छोटे फलों के गिरने के लक्षण
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सबसे पहले छोटे फलों के साथ लगे फूल सूखने लगते हैं।
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धीरे-धीरे छोटे फल पीले एवं भूरे रंग के होने लगते हैं।
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कुछ समय बाद फल पूरी तरह सूख कर गिर जाते हैं।
छोटे फलों को गिरने से बचाने के तरीके
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कुछ समय के अंतराल पर फसल का निरीक्षण करें।
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खेत में जल निकासी की उचित व्यवस्था करें।
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आवश्यकता से अधिक सिंचाई उर्वरकों का प्रयोग न करें।
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यदि फफूंद जनित रोगों के कारण या समस्या हो रही है तो नियंत्रण के लिए प्रति लीटर पानी में 2 मिलीलीटर कार्बेंडाजिम मिलाकर छिड़काव करें।
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फल मक्खी जैसे रस चूसक कीटों का प्रकोप होने पर 15 लीटर पानी में 5 मिलीलीटर देहात कटर मिला कर छिड़काव करें।
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इसके अलावा आप 15 लीटर पानी में 30 मिलीलीटर अदामा लैम्डेक्स मिला कर छिड़काव करें।
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