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2 Aug
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नींबू की खेती: पौधों को लगाने का है सही समय, जानें सम्पूर्ण जानकारी | Lemon cultivation: This is the right time to plant plants, know complete information.


नींबू की खेती भारत के लगभग सभी क्षेत्रों में की जाती है। नींबू में प्रचुर मात्रा में विटामिन सी होता है। नींबू एक महत्तवपूर्ण फल की फसल है। भारत में लगभग 923 हज़ार हैक्टेयर में सिटरस की खेती की जाती है| जिससे 8608 हज़ार मीट्रिक टन वार्षिक उत्पादन होता है। पंजाब में 39.20 हैक्टेयर भूमि पर नींबू उगाया जाता है।

कैसे करें नींबू की खेती? (How to cultivate lemon?)

  • मिट्टी: अच्छे जल निकास वाली हल्की दोमट मिट्टी इसके लिए सर्वोत्तम है। मिट्टी का पी.एच स्तर 5.5 से 7.5 होना चाहिए। भारी मिट्टी में इसकी खेती न करें। उन्हें हल्की क्षारीय और अम्लीय मिट्टी मे भी उगाया जा सकता है।
  • जलवायु: अच्छी पैदावार के लिए मध्यवर्ती आर्द्र जलवायु में खेती करना उपयुक्त होता है।
  • उन्नत किस्में: नींबू की खेती में उन्नत किस्मों का चयन करने से बेहतर परिणाम प्राप्त होते हैं। पंजाब बरामासी और यूरेका जैसी प्रसिद्ध किस्में विशेष रूप से अच्छे उत्पादन और फल की गुणवत्ता के लिए जानी जाती हैं। पंजाब बरामासी किस्म की फलन क्षमता और रोग प्रतिरोधक क्षमता अच्छी होती है, जबकि यूरेका किस्म का स्वाद और आकार बहुत अच्छा होता है। इन किस्मों का चयन करके, किसान बेहतर फसल और बाजार में उच्च मूल्य प्राप्त कर सकते हैं।
  • बुवाई का समय: नींबू की रोपाई के लिए जुलाई-अगस्त का मौसम सबसे उपयुक्त माना जाता है। इस समय पर मौसमी परिस्थितियाँ पौधों की वृद्धि और विकास के लिए अनुकूल होती हैं। इस मौसम में पर्याप्त नमी और सही तापमान होता है, जो पौधों की जड़ें जल्दी पकड़ने और बेहतर विकास में सहायक होता है। सही समय पर बुवाई करने से पौधों को अधिक समय मिल जाता है, जिससे वे सर्दियों में भी मजबूत और स्वस्थ रहते हैं।
  • अंतर-फसल: नींबू की फसल के साथ पहले दो से तीन वर्षों में लोबिया, सब्जियां, और फ्रेंच बीन्स की अंतर फसल की जा सकती है। इससे अतिरिक्त आय मिलती है और मिट्टी की उर्वरता बनी रहती है।
  • बीज की मात्रा: प्रति एकड़ में 208 पौधे की घनत्व बनाए रखें। सही घनत्व से पौधों को उचित स्थान और संसाधन मिलते हैं, जिससे फसल की गुणवत्ता और मात्रा में सुधार होता है।
  • खेत की तैयारी: खेत की 2 से 3 बार जुताई करें । यह मिट्टी को ढीला करने और जड़ों की वृद्धि में मदद करता है। खेत में 4 से 5 मीटर की दूरी पर 75 सेंटीमीटर चौड़े और 75 सेंटीमीटर गहरे गड्ढे तैयार करें । गड्ढों को कुछ दिनों के लिए खुला छोड़ दें, ताकि नमी और अन्य तत्व संतुलित रहें। गड्ढों का आकार नए पौधों की रोपाई के लिए गड्ढों का आकार 60x60x60 सें.मी. होना चाहिए। गड्ढों में 10 किलो गली हुई गोबर की खाद और 500 ग्राम सिंगल सुपर फास्फेट डालें। नर्सरी में तैयार किए गए पौधों की गड्ढों में रोपाई करें। पौधों के बीच 4.5x4.5 मीटर का फासला बनाए रखें। सभी गड्ढों में बराबर मात्रा में सड़ी हुई गोबर की खाद और मिट्टी मिला कर भरें। पौधों की रोपाई से पहले सभी गड्ढों में प्रति लीटर पानी में 2 मिलीलीटर क्लोरोपाइरीफॉस मिलाकर डालें।
  • सिंचाई प्रबंधन: नींबू के पौधों को अधिक सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती है। ठंड के मौसम में 25 से 30 दिनों के अंतराल पर सिंचाई करें। गर्मी के मौसम में 8 से 10 दिनों के अंतराल पर सिंचाई करनी चाहिए। आमतौर पर बारिश के मौसम में सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती है।
  • खरपतवार नियंत्रण: खेत में खरपतवार पर नियंत्रण रखें। समय-समय पर निराई - गुड़ाई के द्वारा खरपतवार को नष्ट करते रहें।

हानिकारक कीट और रोकथाम:

  • सिटरस सिल्ला: ये रस चूसने वाला कीड़े हैं। इसके कारण काफी नुकसान होता है। यह पौधे पर एक तरल पदार्थ  छोड़ता है जिससे पत्ता और फल का छिल्का जल जाता है। पत्ते मुड़ जाते हैं और पकने से पहले ही गिर जाते हैं। प्रभावित पौधों की छंटाई करके उन्हें जला कर इसकी रोकथाम की जा सकती है।
  • पत्ते का सुरंगी कीट: ये कीट नए पत्तों के ऊपर और नीचे की सतह के अंदर लार्वा छोड़ देते हैं, जिससे पत्ते मुड़े हुए और विकृत नज़र आते हैं। सुरंगी कीट से नए पौधों के विकास में कमी देखी जा सकती है। सुरंगी कीट के अच्छे प्रबंधन के लिए इसे अकेला छोड़ देना चाहिए और ये प्राकृति कीटों का भोजन बनते हैं और इनके लार्वा को खा लेते हैं।
  • चेपा और मिली बग: ये पौधे का रस चूसने वाले छोटे कीट हैं। कीड़े पत्ते के अंदरूनी भाग में होते हैं।

बीमारियां और रोकथाम:

  • सिटरस का कोढ़ रोग: पौधों में तनों, पत्तों और फलों पर भूरे, पानी रंग जैसे धब्बे बन जाते हैं। सिटरस कैंकर बैक्टीरिया पौधे के रक्षक सैल में से प्रवेश करता है। इससे नए पत्ते ज्यादा प्रभावित होते हैं। क्षेत्र में हवा के द्वारा ये बैक्टीरिया सेहतमंद पौधों को भी प्रभावित करता है। दूषित उपकरणों के द्वारा भी यह बीमारी स्वस्थ पौधों पर फैलती है। यह बैक्टीरिया कई महीनों तक पुराने घावों पर रह सकता है। इन घावों की उपस्थिति से पता लगाया जा सकता है। इसे प्रभावित शाखाओं को काटकर रोका जा सकता है।
  • पत्ती धब्बा रोग: पौधे के ऊपरी भागों पर सफेद रूई जैसे धब्बे देखे जाते हैं। पत्ते हल्के पीले और मुड़ जाते हैं। पत्तों पर विकृत लाइनें दिखाई देती हैं। पत्तों की ऊपरी सतह ज्यादा प्रभावित होती है। नए फल पकने से पहले ही गिर जाते हैं। उपज कम हो जाती है। पत्तों के ऊपरी धब्बे रोग को रोकने के लिए पौधे के प्रभावित भागों को निकाल दें और नष्ट कर दें।
  • जिंक की कमी: यह नींबू के वृक्ष में बहुत सामान्य कमी है। इसे पत्तों की मध्य नाड़ी और शिराओं में पीले भाग के रूप में देखा जा सकता है। जड़ का गलना और शाखाओं का झाड़ीदार होना देखा जा सकता है। फल पीला, लम्बा और आकार में छोटा हो जाता है। नींबू के वृक्ष में जिंक की कमी को पूरा करने के लिए खादों की उचित मात्रा दी जानी चाहिए। जिंक सल्फेट को 10 लीटर पानी में 2 चम्मच मिलाकर दिया जा सकता है। इसका स्प्रे पूरे वृक्ष, शाखाओं और हरे पत्तों पर कर सकते हैं।
  • आयरन की कमी: नए पत्तों का पीले हरे रंग में बदलना आयरन की कमी के लक्षण हैं। गाय और भेड़ की खाद द्वारा भी पौधे को आयरन की कमी से बचाया जा सकता है। यह कमी ज्यादातर क्षारीय मिट्टी के कारण होती है।

तुड़ाई: करीब 6 महीने में फल पक कर तैयार हो जाते हैं। फलों के पकने पर इसकी तुड़ाई कर लेनी चाहिए। जब फलों का रंग हरा से पीला होने लगे तब इसकी तुड़ाई के शुरू कर दें। नींबू के छिलकों को कोई नुकसान न हो इसलिए तुड़ाई के समय विशेष ध्यान रखें। फलों को करीब 1 सेंटीमीटर की डालियों के साथ तोड़ें।

भंडारण: तुड़ाई के बाद सामान्य तापमान में 8 से 10 दिनों तक फलों को भंडारित किया जा सकता है।

पैदावार: नींबू की पैदावार विभिन्न किस्मों पर निर्भर करती है। 5 से 6 वर्ष के पौधों से प्रति वर्ष 2,500 से 6,000 नींबू के फल प्राप्त किए जा सकते हैं।

नींबू की सबसे उत्तम किस्म कौन-सी है? अपना जवाब एवं अनुभव हमें कमेंट के माध्यम से बताएं। इसी तरह की अन्य रोचक एवं महत्वपूर्ण जानकारियों के लिए ' कृषि ज्ञान ' चैनल को अभी फॉलो करें। और अगर पोस्ट पसंद आयी तो इसे लाइक करके अपने किसान दोस्तों के साथ शेयर करना न भूलें।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न | Frequently Asked Question (FAQs)

Q: नींबू का पेड़ कितने साल बाद फल देता है?

A: नींबू के पौधे लगाने के तीन या साढ़े तीन साल बाद से फल निकलने शुरू हो जाते हैं। नीबू का पौधा लगाने के तीन साल बाद फल देना शुरू हो जाता है लेकिन एक नींबू 100 किलो फल पांच साल बाद देना शुरू करता है।

Q: नींबू के फूल आने में कितना समय लगता है?

A: नींबू के पेड़ सुंदर, सफेद, सुगंधित फूल पैदा करते हैं जो पूरे वर्ष भर दिखाई दे सकते हैं, लेकिन सर्दियों के अंत में अधिक प्रचुर मात्रा में दिखाई देते हैं। फल लगभग 12 महीनों में पकता है, इसलिए पेड़ों पर फूल और फल एक ही समय में आ सकते हैं।

Q: कौन सा नींबू का पेड़ सबसे अच्छा है?

A: नींबू की सबसे अच्छी वैरायटी कागजी बारहमासी है। किसान उद्यान विभाग की नर्सरी से संपर्क कर वहां से कागजी नींबू के पौधे प्राप्त कर सकते हैं।

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