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लीची : फल छेदक कीट से बचाव
लीची : फल छेदक कीट से बचाव
बच्चे हो या बुजुर्ग मीठे एवं रसीले लीची का स्वाद तो सभी को पसंद होता है। लेकिन उच्च गुणवत्ता के फल प्राप्त करने के लिए लीची को कई कीटों से बचाना आवश्यक है। लीची में पत्ती लपेटक कीट, छाल खाने वाले कीट, तना छेदक कीट, फल छेदक कीट, धूसर घुन, सेमीलूपर कीट, लीची बीज छेदक कीट आदि का प्रकोप होता है। इन सभी कीटों में फल छेदक कीट लीची के फलों को सबसे अधिक नुकसान पहुंचाते हैं। यदि आप भी करते हैं लीची की खेती तो इस कीट की पहचान, प्रकोप के लक्षण एवं नियंत्रण के तरीके यहां से देखें।
फल छेदक कीट की पहचान
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मादा कीट पत्तियों की निचली सतह या लीची के फलों में अंडे देती हैं।
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फल छेदक कीट का लार्वा दूधिया सफेद रंग के होते हैं।
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लार्वा का एवं शरीर पतला होता है और सिर हल्के भूरे रंग का होता है।
फल छेदक कीट कैसे पहुंचाते हैं लीची को नुकसान?
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लार्वा फलों में छेद कर के अंदर के गुदों को खाता है।
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कीटों के आक्रमण होने पर फलों के विकास में बाधा आती है।
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प्रभावित फलों के डंठल के पास काले धब्बे नजर आने लगते हैं।
फल छेदक कीट पर कैसे करें नियंत्रण?
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बाग में गिरे हुए फलों को बाग से बाहर निकालें। इससे व्यस्क कीटों की संख्या में होने वाली वृद्धि को नियंत्रित किया जा सकता है।
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सबसे पहले प्रभावित शाखाओं को वृक्ष से तोड़कर अलग करें। इससे कीट को फैलने से काफी हद तक रोका जा सकता है।
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यदि आप जैविक विधि से कीट पर नियंत्रण करना चाहते हैं तो प्रति लीटर पानी में 5 मिलीलीटर नीम का तेल मिला कर छिड़काव करें।
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15 लीटर पानी में 5 मिलीलीटर देहात कटर मिलाकर छिड़काव करने से फल छेदक कीट पर पूरी तरह नियंत्रण कर सकते हैं।
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प्रति लीटर पानी में 1 मिलीलीटर कराटे या 1 मिलीलीटर अलांटो मिलाकर भी छिड़काव करने से भी इस कीट से निजात पा सकते हैं।
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हमें उम्मीद है इस पोस्ट में दी गई जानकारी आपके लिए महत्वपूर्ण साबित होगी। इस पोस्ट में बताई गई दवाओं एवं अन्य उपायों को अपनाकर आप फल छेदक कीट पर आसानी से नियंत्रण प्राप्त कर सकते हैं। यदि आपको यह जानकारी पसंद आई है तो इस पोस्ट को लाइक करें एवं इसे अन्य किसानों के साथ साझा भी करें। जिससे अन्य किसान मित्र भी लीची के पौधों को फल छेदक कीट से बचा सकें। लीची की खेती से जुड़े अपने सवाल हमसे कमेंट के माध्यम से पूछें।
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