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13 Nov
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लीची: बेहतर फलों के लिए महत्वपूर्ण कृषि कार्य | Litchi: Important Agricultural Practices for Better Fruits

लीची की खेती मुख्यतः बिहार, देहरादून, उत्तर प्रदेश एवं झारखंड में की जाती है। इसके अलावा पश्चिम बंगाल, ओडिशा, पंजाब एवं हरियाणा के कुछ क्षेत्रों में भी इसकी खेती की जाती है। बिहार की लीची अपने स्वाद एवं गुणवत्ता के लिए देश-विदेश में प्रसिद्ध है। इसकी बागवानी से किसान अच्छा मुनाफा प्राप्त कर सकते हैं। उच्च गुणवत्ता युक्त लीची के फल प्राप्त करने के लिए कई बातों को ध्यान में रखना आवश्यक है। आइए इस आर्टिकल के माध्यम से हम लीची के बेहतर फलों की प्राप्ति के लिए किए जाने वाले कार्यों की विस्तृत जानकारी प्राप्त करें।

लीची के बेहतर फलों के लिए किए जाने वाले महत्वपूर्ण कृषि कार्य | Essential Agricultural Practices for Better Litchi

  • सिंचाई: बढ़ते तापमान में पानी की कमी होने पर लीची के पौधे झुलस सकते हैं। पौधों को झुलसने से बचाने के लिए मिट्टी में नमी की मात्रा बनाए रखें। बागों में सही समय पर सिंचाई करें। सिंचाई के समय इस बात का विशेष ध्यान रखें कि बाग में जल जमाव की समस्या न हो।
  • उर्वरक प्रबंधन: मिट्टी जांच के आधार पर पौधों में लीची के वृक्षों में डाई अमोनियम फास्फेट (डीएपी), यूरिया और म्यूरेट आफ पोटाश (एमओपी) के साथ अच्छी तरह सड़ी हुई गोबर की खाद या कम्पोस्ट खाद का इस्तेमाल करें। इसके अलावा जिंक, कॉपर और बोरॉन जैसे सूक्ष्म पोषक तत्वों का प्रयोग भी लाभदायक साबित होता है। उर्वरकों की मात्रा पौधों/वृक्षों की आयु पर निर्भर करती है।
  • कीट एवं रोग नियंत्रण: लीची के पौधों में फल छेदक कीट का प्रकोप सबसे अधिक होता है। इसके अलावा पत्ती लपेटक कीट, लीची विभिल, जैसे कीटों का प्रकोप भी अधिक होता है। रस चूसक कीटों के कारण भी फलों को काफी नुकसान होता है। कीटों पर नियंत्रण के लिए प्रति एकड़ खेत में 4 से 6 फेरोमोन ट्रैप लगाएं। इसके साथ ही कृषि विशेषज्ञ की परामर्श के अनुसार उचित कीटनाशक या फफूंदनाशक दवाओं का प्रयोग करें।

लीची के फलों का आकार बढ़ाने के तरीके | Ways to Increase the Size of Litchi Fruits

  • लीची के फलों का आकार बढ़ाने के लिए प्रति लीटर पानी में 5 ग्राम 00:52:34 (देहात एमकेपी 00:52:34) का छिड़काव करें।

लीची के फलों को फटने से बचाने के तरीके | Ways to Prevent Litchi Fruits from Cracking

  • कई बार लीची के फलों में फटने की समस्या होने लगती है। इसका मुख्य कारण पौधों में बोरान की कमी है। इसके अलावा पानी की कमी होने पर भी फल फटने लगते हैं। वातावरण में गर्मी अधिक होने के कारण भी फलों के फटने की समस्या उत्पन्न हो जाती है।
  • इस समस्या से बचने के लिए नियमित रूप से सिंचाई करें। बोरोन की कमी दूर करने के लिए प्रति लीटर पानी में 5 ग्राम 'देहात कैल्शियम नाइट्रेट विथ बोरोन' का प्रयोग करें।

लीची की फलों की तुड़ाई कैसे करें? | Harvesting of Litchi Fruits

भारत में लीची के फलों की तुड़ाई आमतौर पर मई और जून के महीनों में की जाती है। फलों की तुड़ाई के समय कई बातों को ध्यान में रखना आवश्यक है।

  • फलों का निरीक्षण करें: फलों की तुड़ाई से पहले उनके आकार एवं रंगों का अच्छी तरह निरिक्षण करें। जब फल पूरी तरह से विकसित हो जाए और उनका रंग आकर्षक लाल होने लगे तब फलों की तुड़ाई की जा सकती है।
  • फलों को घुमाएं: फलों को धीरे से पकड़ें और इसे घुमा कर देखें। यदि फल आसानी से टूट कर पौधे से अलग हो जाए, तो समझें यह तुड़ाई के लिए तैयार है।
  • फलों की तुड़ाई का समय: लीची के फलों की तुड़ाई के लिए सुबह 4 बजे से 8 तक का समय सबसे बेहतर माना जाता है।
  • तेज धार वाले चाकू का प्रयोग: कम समय में फलों की तुड़ाई के लिए तेज धार वाले चाकू का प्रयोग करें। फलों को झटके से खींच कर न तोड़ें।
  • डंठल के साथ तुड़ाई: फलों की तुड़ाई डंठल के साथ करें। इससे फल लम्बे समय तक ताजे बने रहते हैं।
  • फलों का रख-रखाव: लीची के फल नाजुक होते हैं और आसानी से क्षतिग्रस्त हो सकते हैं। ऐसे में नुकसान से बचने के लिए तुड़ाई के समय फलों को गिरने या चोटिल होने से बचाएं।
  • फलों का भंडारण: तुड़ाई के बाद, लीची के फलों को ठंडी और सूखी जगह पर भंडारित करें। करीब 5-7 डिग्री सेल्सियस तापमान पर फलों को 10 दिनों तक भंडारित किया जा सकता है। यदि आसपास फलों के भंडारण की सुविधा नहीं है तो फलों को धूप से बचाते हुए पैकेजिंग हाउस ले जाएं। वहां फलों की छंटाई करने के बाद अच्छी तरह पैक करें।

लीची की बेहतर उपज के लिए आप क्या तरीका अपनाते हैं? अपने जवाब हमें कमेंट के माध्यम से बताएं। इस तरह की अधिक जानकारियों के लिए 'बागवानी फसलें' चैनल को तुरंत फॉलो करें। इसके साथ ही इस पोस्ट में दी गई जानकारी पसंद आई है तो इस पोस्ट को लाइक करें और इस जानकारी को अधिक किसानों तक पहुंचने के लिए इसे आधी से अधिक किसानों के साथ शेयर करना न भूलें।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल | Frequently Asked Questions (FAQs)

Q: लीची का पेड़ कितने दिनों में फल देने लगता है?

A: पौधों को लगाने के करीब 3 से 5 वर्षों बाद पौधों में फल आने शुरू हो जाते हैं। बीज की रोपाई के द्वारा इसकी बागवानी की जा रही है तो पौधों में फल आने में अधिक समय लगता है। इसमें करीब 10 वर्ष या इससे भी अधिक समय लग सकता है।

Q: लीची का पेड़ कब लगाया जाता है?

A: लीची के नए पौधों की रोपाई के लिए जुलाई-अगस्त का महीना सबसे उपयुक्त है। इसके अलावा उचित देखभाल के साथ कुछ क्षेत्रों में इसकी रोपाई मई-जून महीने में भी की जा सकती है।

Q: के पौधे में कौन सी खाद डालें?

A: लीची के पौधे में गोबर की खाद के साथ, नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटाश का प्रयोग करना चाहिए। इसके साथ ही पौधों में बोरोन का प्रयोग भी लाभदायक साबित होता है। बेहतर उपज प्राप्त करने के लिए उर्वरकों का इस्तेमाल मिट्टी जांच के आधार पर करें। इसके साथ ही पौधों की आयु का भी विशेष ध्यान रखें।

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