शिमला मिर्च की खेती में प्रमुख कीट, लक्षण एवं उपचार (Major pests, symptoms and treatment in capsicum cultivation)
शिमला मिर्च, भारत में उगाई जाने वाली एक लोकप्रिय सब्जी फसल है। जिसकी खेती मुख्य रूप से आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, महाराष्ट्र, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल में उगाई जाती है। इसके पौधों में बुवाई से लेकर कटाई तक कई प्रकार के कीटों का प्रकोप होता है। इनमें - माहू, थ्रिप्स, छेदक, माइट और तेला कीट है, इनके प्रकोप से फसल की उपज और गुणवत्ता प्रभावित होती है। इन कीटों से फसल को भारी नुकसान पहुंचता है। समय से इन कीटों का प्रबन्धन करना आवश्यक है।
शिमला मिर्च के कीट, लक्षण एवं नियंत्रण (Capsicum pests, symptoms and control)
एफिड / माहू-तेला : यह कीट काले या हरे रंग का होता है, इसके प्रकोप से पत्तियां और टहनियां मुड़ने लगती हैं और पीली पड़ जाती हैं। इसके प्रकोप से फल काले पड़ जाते हैं। और इस कीट का अधिक प्रकोप होने पर पौधों में फफूंद रोग, मोजेक रोग लगने लगता है। माहू कीट पत्तियों, शाखाओं तथा फलियों से रस चूसते हैं। इसके कारण पत्तियों में नमी और पोषक तत्वों की मात्रा कम हो जाती हैं और पौधों का विकास रुक जाता है।
नियंत्रण :
- जहाँ पर माहू-तेला कीट दिखाई देते हैं पौधे के उन हिस्सों को तोड़कर नष्ट कर दें।
- उसके बाद जहाँ पर संक्रमण कम हैं पर 500 - 600 मिलीलिटर प्रति एकड़ की दर से नीम के तेल को 200 लीटर पानी में घोलकर प्रभावित पौधों पर छिड़काव करें।
- रासायनिक नियंत्रण के लिए इमिडाक्लोप्रिड 70% WG (Contropest) दवा प्रति लीटर पानी में 1 मिलीलीटर मिला कर फसल पर स्प्रे करें।
- थियामेथोक्साम 25% WG (Asear) दवा को 40-50 ग्राम प्रति एकड़ छिड़काव करें।
- खेतों के में प्रकाश प्रपंच लगाएं।
माइट / घुन : यह कीट छोटे होते हैं, जो पत्तियों के नीचे छोटे, सफेद या पीले रंग के माइट दिखाई देते हैं। इसके संक्रमण से पत्तियां पीली पड़ जाती हैं, और इसमें भूरे रंग के धब्बे विकसित करती हैं और धीरे-धीरे गिर जाती हैं। इसके साथ ही पौधे का विकास रुक जाता है। ज्यादा संक्रमण होने पर पत्तियां सूख कर गिर जाती हैं।
नियंत्रण :
- नीम का तेल एक प्राकृतिक कीटनाशक है जो घुन को नियंत्रित करने में प्रभावी होता है। प्रति लीटर पानी में 2.5 मिलीलीटर नीम तेल मिलाकर पौधों पर छिड़काव करें। इसके अलावा कीटनाशी का इस्तेमाल कर सकते हैं।
सफेद मक्खी: सफेद मक्खियाँ पत्तियों के रस पर फ़ीड करती हैं, जिससे वे पीले हो सकते हैं और अंततः मर सकते हैं। सफेद मक्खियां हनीड्यू नामक एक चिपचिपे पदार्थ का उत्सर्जन करती हैं, जो चींटियों को आकर्षित कर सकती हैं और पत्तियों पर कवक के विकास का कारण बन सकती हैं। गंभीर सफेद मक्खी के संक्रमण से शिमला मिर्च के पौधों में अवरुद्ध विकास और कम उपज हो सकती है।
नियंत्रण :
- खेत में नियमित रूप से निरीक्षण करें और सफेद मक्खियों के शुरुआती लक्षण दीखते ही उन्हें या संक्रमित हिस्सों को काट कर फेंक दें।
- पीले रंग के चिपचिपे जाल का उपयोग करें।
- नीम का तेल या नीम की खली का अर्क युक्त जैविक कीटनाशकों का उपयोग करें।
- थियामेथोक्साम 25% WG (Asear) दवा को 40-50 ग्राम प्रति एकड़ छिड़काव करें।
- इमिडाक्लोप्रिड 70% WG ( Contropest ) दवा प्रति लीटर पानी में 1 मिलीलीटर मिला कर फसल पर स्प्रे करें।
फलों का छेदक: फ्रूट बोरर कीट है शिमला मिर्च को काफी नुकसान पहुंचाता है। इसके कारण पौधे मुरझा जाते हैं और फलों में छेद हो जातें हैं। और संक्रमण ज्यादा होने पर फल गिर जाते हैं।
नियंत्रण :
- फ्रूट बोरर कीट के को नियंत्रित करने के लिए 8-10 फेरोमोन ट्रैप प्रति एकड़ की दर लगाएं।
- इस कीट के नियंत्रण के लिए शुरूआती अवस्था में जहाँ कीट दिखें उनको काट कर फेंक दें। इसके बाद इसके नियंत्रण के लिए (Dehaat Illigo) ईमामेक्टिन बेंजोएट 5% एसजी दवा का छिड़काव 100 मिली प्रति एकड़ की दर से के हिसाब से छिड़काव करे।
- ज्यादा संक्रमण दिखने पर (DeHaat Ataque) क्लोरेंट्रानिलिप्रोल 18.5% SC दवा को 0.3 मिली प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें।
थ्रिप्स: पत्तियों पर छोटे, काले या भूरे रंग के कीड़े दिखाई देते हैं। पत्तियां पीली पड़ जाती हैं, भूरे रंग के धब्बे विकसित करती हैं और किनारों से मुड़ जाती हैं।
नियंत्रण :
- कई बार कीट मुख्य फसल की जगह खरपतवारों पर पहले पनपते हैं। इसके बाद वे मुख्य फसल को क्षति पहुंचाते हैं। इसलिए खेत में खरपतवारों पर नियंत्रण करें।
- इस कीट पर नियंत्रण के लिए प्रति एकड़ खेत में 4 से 6 स्टिकी ट्रैप का प्रयोग करें।
- थ्रिप्स पर नियंत्रण के लिए खेत में फेरोमेन ट्रैप यानी गंधपाश का भी इस्तेमाल किया जा सकता है। फेरोमेन ट्रैप में लगे ल्योर की तरफ नर कीट आकर्षित हो कर फंस जाते हैं। इससे कीटों की संख्या को बढ़ने से रोका जा सकता है।
- इमिडाक्लोप्रिड 70% WG ( Contropest ) दवा प्रति लीटर पानी में 1 मिलीलीटर मिला कर फसल पर स्प्रे करें।
- प्रति लीटर पानी में एक बड़ा चम्मच नीम का तेल मिलाकर घोल बनाएं। इस घोल को थ्रिप्स से प्रभावित पौधों में छिड़काव करें।
- थ्रिप्स जैसे रस चूसक कीटों पर नियंत्रण के लिए नीमास्त्र, ब्रह्मास्त्र, अग्नि अस्त्र, दशपर्णी अर्क, जैसे घर पर तैयार किए जाने वाले जैविक कीटनाशक का प्रयोग बहुत लाभदायक साबित होता है।
- मिर्च की फसल को थ्रिप्स से बचने के लिए पौधों के चारो तरफ कवर क्रॉप्स के तौर पर गेंदे के पौधे लगाएं।
क्या आप भी शिमला मिर्च में कीटों से परेशान हैं? अपना जवाब एवं अनुभव हमें कमेंट करके बताएं। इसी तरह की अन्य रोचक एवं महत्वपूर्ण जानकारियों के लिए 'किसान डॉक्टर' चैनल को अभी फॉलो करें। और अगर पोस्ट पसंद आयी तो इसे लाइक करके अपने किसान दोस्तों के साथ शेयर करना न भूलें।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल | Frequently Asked Question (FAQs)
Q: शिमला मिर्च कितने दिन में फल देता है?
A: शिमला मिर्च का पौधा रोपाई के लगभग 75 दिन बाद फल देने लगता है।
Q: शिमला मिर्च के प्रमुख कीट कौन सा है?
A: शिमला मिर्च में सबसे ज्यादा थ्रिप्स, माइट्स, एफिड्स, सफेद मक्खियों, फल छेदक, निमाटोड, लीफ माइनर, जैसे कीटों का प्रकोप देखने को मिलता है।
Q: शिमला मिर्च की खेती कौन से महीने में की जाती है?
A: शिमला मिर्च की खेती वैसे तो साल भर की जा सकती है, पर पहली बुवाई जून से जुलाई महीने के बीच और अगस्त से सितंबर महीनें में करने से अच्छा उत्पादन मिलता है।
जारी रखने के लिए कृपया लॉगिन करें
फसल चिकित्सक से मुफ़्त सलाह पाएँ