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26 July
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कद्दू के प्रमुख कीट एवं उनका प्रबंधन (Major pumpkin pests and their management)


कद्दू की फसल में कद्दू बीटल, स्क्वैश कीड़े, ककड़ी बीटल, लाल भृंग, कटवर्म, फल मक्खी, लीफ माइनर, एफिड्स और मकड़ी के कण प्रमुख कीट हैं। ये कीट पत्तियों, तनों और फलों को नुकसान पहुंचाते हैं, जिससे उपज और गुणवत्ता में कमी आती है।

कद्दू में लगने वाले प्रमुख कीट (Major Pests of Pumpkin)

लाल भृंग (Red Pumpkin Beetle):

  • यह कीट चमकीला लाल रंग का होता है।
  • यह कीट पत्तियों को उनकी प्रारंभिक अवस्था में खाता है। जिससे पत्तियाँ छलनी जैसी हो जाती हैं।
  • इनका संक्रमण फूलों और फलों में भी दिखाई देता है।
  • इस कीट के कारण कद्दू के पौधों की वृद्धि रुक जाती है।

नियंत्रण:

  • कद्दू की बुवाई नवंबर के महीने में करें।
  • खेत को स्वच्छ रखें और खरपतवारों को नष्ट करें
  • सायन्ट्रानिलिप्रोएल 10.26% OD कीटनाशक को 360 मिली प्रति एकड़ खेत में छिड़काव करें।
  • थियामेथोक्सम 12.6% + लैम्ब्डा साइहलोथ्रिन 9.5% ZC (देहात एंटोकिल) को 80-100 मिलीलीटर प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें।
  • एसेफेट 50% + इमिडाक्लोप्राइड 1.8 % एसपी को 300-400 ग्राम प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें।
  • डाइमेथोएट 30% ईसी (टाटा टैफगोर) को 300 मिलीलीटर दर से छिड़काव करें।

कटवर्म (Cutworm):

  • छोटे या नए पौधों के बीज पत्रों और शीर्ष को काट देता है।
  • पौधों की संख्या में कमी होती है और ज्यादातर पौधे के तने पर हमला करते हैं।
  • इस कीट के लार्वा पीले धूसर रंग और व्यस्क कीट भूरे या हरे रंग के होते हैं जिनका आकार लगभग 1-2 इंच होता है।
  • यह कीट रात के समय भोजन करते हैं और आमतौर पर मिट्टी में या पौधे के मलबे में पाए जाते हैं।
  • कद्दू के फलों की बढ़वार में रुकावट होती है।

नियंत्रण:

  • कद्दू के खेत में बुवाई से पहले गहरी जुताई करें, इससे मिट्टी में मौजूद जो लार्वा और अंडों को नष्ट कर देता है।
  • खेत को खरपतवार से मुक्त रखें, खरपतवार कटवर्म के निवास स्थान के रूप में कार्य कर सकते हैं।
  • सूखी घास और फसल के अवशेषों को खेत से बाहर निकाले और कद्दू के खेत की नियमित सफाई करें।
  • कार्बोफ्यूरान 03% सी.जी. कीटनाशक दवा को प्रति एकड़ 13 किलोग्राम की दर से छिड़काव करें।
  • क्लोरपायरीफॉस 20% ईसी प्रति एकड़ 1 लीटर छिड़काव करें।

फल मक्खी (Fruit Fly):

  • फल मक्खी भूरे रंग की होती है और घरेलू मक्खी कीट जैसी दिखती है।
  • इस कीट की सुंडी सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाती है।
  • यह छोटे, मुलायम फल में छेद करके उसमें अंडे देती है।
  • अंडे से सुंडी निकलकर फलों के अंदर के भाग को खराब करती है।
  • कीट फल के जिस भाग में अंडा देती है, वह हिस्सा टेढ़ा होकर सड़ जाता है।
  • छोटे फलों में छेद करने से फलों की गुणवत्ता खराब हो जाती है।

नियंत्रण:

  • जल्दी पकने वाली किस्में बाद की किस्मों की तुलना में कम प्रभावित होती हैं। बुवाई की तिथि में परिवर्तन कर दें। ग्रसित फलों को इकट्ठा कर नष्ट कर दें।
  • वयस्क नर मक्खियों को नियंत्रित करने के लिए फेरोमेन ट्रैप लगाएं।
  • इसके प्रबंधन के लिए हरे-पीले स्टिकी ट्रैप 10-12 प्रति एकड़ प्रयोग करें।
  • डेल्टामेथ्रिन 2.8% ईसी (बायर डेसीस 2.8) को 150 मिलीलीटर प्रति एकड़ की दर से प्रयोग करें।
  • सायनट्रानिलिप्रोल 10.26% w/w ओडी (एफएमसी बेनेविया) की 300 मिलीलीटर मात्रा को 150-200 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ की दर से प्रयोग करें।

लीफ माइनर (Leaf Miner):

  • पत्तियों के ऊपरी भाग पर भूरे रंग की सुरंगें दिखाई पड़ती हैं।
  • लीफ माइनर (पत्ती सुरंग कीट) पत्तियों के हरे पदार्थ को खुरच कर खाते हैं।
  • इससे पत्तियों पर सफेद टेढ़ी-मेढ़ी धारी जैसी लकीरें दिखाई देती हैं।
  • इस कीट के संक्रमण से प्रकाश संश्लेषण की क्रिया पर प्रभाव पड़ता है, जिससे पौधे अपना भोजन नहीं बना पाते हैं और इस कारण पौधों का वृद्धि-विकास रुक जाता है।

नियंत्रण:

  • खेत के चारो और ट्रैप फसल के रूप में अरंडी, टमाटर या गेंदा लगाएं।
  • 10 से 12 पीले चिपचिपे जाल (लाइट ट्रैप) का प्रयोग प्रति एकड़ लगाएं।
  • नीम के तेल को 300-350 मिलीलीटर प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें।
  • स्पिनेटोरम 11.7% एस सी (कॉर्टेवा डॉव डेलीगेट) की 150 मिलीलीटर मात्रा प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें।
  • सायनट्रानिलिप्रोल 10.26% w/w ओ डी (एफएमसी बेनेविया) को 300 मिलीलीटर प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें।
  • डाइमेथोएट 30% ईसी (टाटा टैफगोर) को 300 मिलीलीटर प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें।

ब्लिस्टर बीटल (Blister Beetle):

  • यह चमकीले रंग और बड़े आकार के कीट होते हैं।
  • यह पुष्पीय कलियों, पत्तियों और फूलों को खा जाता है।
  • इस कीट के प्रौढ़ अंडाकार, पीले-भूरे रंग के होते हैं।
  • इस कारण पौधे अपना खाना नहीं बना पाते हैं जिससे पौधे का विकास रुक जाता है।

नियंत्रण:

  • खेत में इनकी संख्या कम होने पर इन्हें हाथ से पकड़कर नष्ट करें।
  • थियामेथोक्सम 12.6% + लैम्ब्डा साइहलोथ्रिन 9.5% ZC (देहात एंटोकिल) को 80-100 मिलीलीटर प्रति एकड़ की दर से स्प्रे करें।
  • ऐसफेट 50% + इमिडाक्लोप्रिड 1.8% एसपी (युपीएल लांसर गोल्ड) को 300-400 ग्राम  प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें।
  • डाइमेथोएट 30% ईसी (टाटा टैफगोर) को 300 मिलीलीटर दवा को पानी में मिलाकर छिड़काव करें।

एफिड्स (Aphids):

  • एफिड्स के शिशु और वयस्क दोनों ही रस चूसते हैं।
  • ये ज्यादातर ये कोमल पत्तियों और पुष्प कलिकाओं का रस चूसते हैं, जिससे पत्तियों पर पीले रंग के धब्बे दिखाई देते हैं।
  • संक्रमण ज्यादा होने पर पत्तियां किनारों से गलने लगती हैं और इनके संक्रमण से पुष्पगुच्छ बनना कम हो जाता है।
  • एफिड्स एक चिपचिपा पदार्थ छोड़ते हैं, जो वायरस जनित रोगों के वाहक होते हैं।
  • छोटे आकार के काले या गहरे हरे रंग के कीट होते हैं।

नियंत्रण:

  • इनको नियंत्रित करने के लिए लाइट ट्रैप लगाएं ताकि संक्रमण की तीव्रता का पता लगाया जा सके।
  • प्रति एकड़ की दर से 6 फेरोमोन ट्रैप का प्रयोग करें ताकि नर पतंगों को आकर्षित किया जा सके।
  • इमिडाक्लोप्रिड 70 डब्ल्यू एस (DeHaat Contropest) दवा से 7 मि.ली प्रति किलोग्राम बीज के हिसाब से उपचारित करें।
  • क्लोरोपाइरीफॉस 50% + साइपरमेथ्रिन 5% ईसी (DeHaat C Square) दवा को 2 मिली प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें।

क्या आप भी कद्दू में कीटों से परेशान हैं? अपना जवाब एवं अनुभव हमें कमेंट करके बताएं। इसी तरह की अन्य रोचक एवं महत्वपूर्ण जानकारियों के लिए 'किसान डॉक्टर' चैनल को अभी फॉलो करें। और अगर पोस्ट पसंद आयी तो इसे लाइक करके अपने किसान दोस्तों के साथ शेयर करना न भूलें।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल | Frequently Asked Questions (FAQs)

Q: कद्दू में कौन कौन से कीट लगते हैं?

A: कद्दू की फसल में कद्दू बीटल, स्क्वैश कीड़े, ककड़ी बीटल, लाल भृंग, कटवर्म, फल मक्खी, लीफ माइनर, एफिड्स और मकड़ी के कण प्रमुख कीट हैं। ये कीट पत्तियों, तनों और फलों को नुकसान पहुंचाते हैं, जिससे उपज और गुणवत्ता में कमी आती है।

Q: कद्दू की फसल कब लगानी चाहिए?

A: कद्दू की फसल लगाने का सबसे अच्छा समय मानसून के मौसम के दौरान होता है, जो जून से जुलाई तक होता है।

Q: 1 एकड़ में कद्दू की कितनी पैदावार होती है?

A: 1 एकड़ में कद्दू की उपज कई कारकों के आधार पर भिन्न हो सकती है जैसे कि कद्दू की विविधता, मिट्टी की उर्वरता, जलवायु और खेती के तरीके। भारत में, 1 एकड़ में कद्दू की औसत उपज लगभग 10-15 टन है। हालांकि, उच्च उपज वाली किस्मों के उचित प्रबंधन और उपयोग के साथ, प्रति एकड़ 20-25 टन तक की उपज प्राप्त करना संभव है।

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