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मेंथा की कटाई के समय रखें इन बातों का ध्यान
कई औषधीय गुणों से भरपूर मेंथा की कटाई सही समय पर करनी चाहिए। कटाई में देर होने के कारण फसल खराब होने की संभावना रहती है। इसके साथ ही इससे निकलने वाली तेल की गुणवत्ता में भी कमी आती है। मेंथा की कटाई के समय कुछ बातों का ध्यान रखें।
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किसान एक बार मेंथा लगाने के बाद उसकी 2 बार कटाई कर के फसल प्राप्त कर सकते हैं।
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पहली कटाई मई - जून महीने जब पौधों में कलियां आने लगती है तब की जाती है।
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मेंथा की बुवाई के करीब 100 से 120 दिनों बाद इसकी पहली कटाई करें।
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कटाई में देर की जाए तो इससे निकलने वाली तेल की मात्रा कम हो जाती है।
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वहीं अगर आप समय से पहले कटाई करेंगे तो मेन्थॉल की मात्रा में कमी आती है।
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इस बात का विशेष ध्यान रखें कि मेंथा की कटाई जमीन की सतह से 4 से 5 सेंटीमीटर की ऊंचाई पर की जाए।
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कटाई के बाद प्राप्त पत्तियों को 2 - 3 घंटे तक धूप में रखें।
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धूप में रखने के बाद पत्तियों को थोड़ी देर छांव में 1 दिन रख कर हल्का सूखा लें।
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तेल निकालने के लिए आसवन विधि का प्रयोग करें। इससे आप करीब 10 से 20 प्रतिशत अधिक तेल प्राप्त कर सकते हैं।
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तेल निकाल कर रखने वाली टंकियों को साफ रखें। अगर टंकी साफ नहीं है तो तेल खराब होने से आपका नुकसान हो सकता है।
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पहली कटाई के लगभग 60 से 70 दिनों बाद पौधे दूसरी कटाई के लिए तैयार हो जाते हैं।
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दूसरी कटाई के लिए अगस्त - सितंबर का महीना सबसे उपयुक्त समय है।
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