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महोगनी की खेती से मालामाल होते किसान
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महोगनी कई औषधीय गुणों से भरपूर वृक्ष है। इसके तने एवं शाखाओं से प्राप्त लकड़ी से जहाज, प्लाई, सजावटी वस्तुएं, आदि तैयार की जाती है। इसकी पत्तियों से मच्चर एवं अन्य कीटनाशक दवाएं तैयार किया जाता है। इसके फूलों का उपयोग शक्तिवर्धक दवाओं के निर्णाम में किया जाता है। वहीं इसके बीज से प्राप्त तेल से पेंट, वार्निश, साबुन एवं कई तरह की दवाएं बनाई जाती हैं। बात करें इसकी खेती की तो हमारे देश में कुछ पर्वतीय क्षेत्रों को छोड़ कर इसकी खेती लगभग सभी जगह की जा सकती है। आइए महोगनी की खेती पर विस्तार से जानकारी प्राप्त करें।
महोगनी की खेती उपयुक्त मिट्टी एवं जलवायु
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इसकी खेती लगभग सभी तरह की उपजाऊ भूमि में की जा सकती है।
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खेत में जल निकासी की उचित व्यवस्था करें।
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इसके साथ ही पथरीली भूमि में इसकी खेती करने से बचें।
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महोगनी के वृक्षों के लिए उष्णकटिबंधीय जलवायु सर्वोत्तम है।
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छोटे पौधों को तेज धूप एवं अधिक ठंड से बचाना चाहिए।
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इसके वृक्ष का 15 डिग्री सेंटीग्रेड से 35 डिग्री सेंटीग्रेड तापमान में बेहतर विकास होता है।
खेत तैयार करने की विधि एवं उर्वरक की मात्रा
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सबसे पहले खेत में 1 बार गहरी जुताई करें और खेत को खुला रहने दें।
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इसके बाद 2 से 3 बार तिरछी जुताई करें।
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जुताई के बाद खेत में पाटा लगा कर भूमि को समतल बनाएं।
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इसके बाद खेत में 3 फीट चौड़े एवं 2 फीट गहरे गड्ढे तैयार करें।
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सभी गड्ढों के बीच 5 से 7 फीट की दूरी रखें।
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गड्ढों को कतार में तैयार करें और सभी कतारों के बीच 3 से 4 मीटर की दूरी रखें।
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प्रत्येक गड्ढे में 20 किलोग्राम गोबर की खाद एवं 80 ग्राम एन.पी.के. को मिट्टी में मिला कर भरें।
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पूर्ण रूप से विकसित वृक्ष में 50 किलोग्राम जैविक खाद के साथ 1 किलोग्राम रासायनिक खाद का प्रयोग करें।
सिंचाई एवं खरपतवार नियंत्रण
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गर्मी के मौसम में 5 से 7 दिनों के अंतराल पर सिंचाई करें।
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ठंड के मौसम में 10 से 15 दिनों के अंतराल पर सिंचाई करनी चाहिए।
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वर्षा होने पर सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती है।
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खरपतवारों पर नियंत्रण के लिए पौधों की रोपाई के करीब 20 दिनों बाद पहली निराई-गुड़ाई करें।
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इसके बाद आवश्यकता के अनुसार निराई-गुड़ाई के द्वारा खरपतवारों को हटाते रहें।
महोगनी की खेती से होने वाला मुनाफा
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महोगनी के पौधों को लगाने के करीब 12 वर्षों बाद वृक्षों की कटाई की जा सकती है।
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इसकी प्रति किलोग्राम लकड़ी की कीमत हजारों में होती है।
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लकड़ियों के अलावा इस वृक्ष की पत्तियों एवं इसके बीज को बेच कर भी किसान अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं।
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