मिर्च की नर्सरी में गलन की समस्या, जानें नियंत्रण के तरीके

मिर्च के छोटे पौधों में गलन रोग की समस्या अधिक होती है। वर्षा के मौसम में इस रोग का प्रकोप बढ़ जाता है। बहुत तेजी से फैलने के कारण केवल 2 से 3 दिन के भीतर ही पौधे गिरने लगते हैं। यह रोग एक पीथियम एफिनिडेडरम फीईटोप्थोरी स्पी नामक फफूंद से होता है। यह बहुत ही गंभीर मिट्टी से जन्मा कवक रोग है। मिर्ची के अलावा टमाटर, बैंगन, शिमला मिर्च, पत्तागोभी और फूल गोभी जैसी सब्जियों की फसलों की नर्सरी में भी इस रोग का होना आम समस्या है। आइए जानते हैं मिर्च में गलन रोग के रोकथाम के कुछ उपाय।
मिर्च की नर्सरी में गलन के कारण
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गहरे खेतों में पौधों को लगाना।
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तापमान अधिक होना।
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पौधों से पौधों की बीच की दूरी कम होना।
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मिट्टी में अधिक नमी होना।
गलन रोग से होने वाले नुकसान
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मिर्च की पत्तियों पर दाग-धब्बे उभरने लगते हैं।
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कुछ समय बाद पत्तियां पीली हो जाती हैं।
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भूमि की सतह से सटे तने गलने लगते हैं।
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रोग बढ़ने पर पौधे नष्ट हो जाते हैं।
नियंत्रण के तरीके
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जलभराव वाले स्थानों पर पौधों को रोपाई करने से बचें।
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मिर्च की खेती एक लिए हल्की बलुई मिट्टी या बलुई दोमट मिट्टी का चयन करें।
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पौधों की रोपाई के लिए क्यारियां भूमि की सतह से थोड़ी ऊपर तैयार करें।
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मिर्च की खेती के लिए 15 से 35 डिग्री सेंटीग्रेड तापमान तथा गर्म जलवायु उपयुक्त होती है।
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मिर्च के पौधों को इस रोग से बचाने के लिए प्रति किलोग्राम बीज को 1 ग्राम कार्बेन्डाजिम से उपचारित करें।
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इसके अलावा प्रति किलोग्राम बीज को 5 ग्राम ट्राइकोडर्मा से भी उपचारित कर सकते हैं।
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खड़ी फसल में रोग के लक्षण दिखने पर प्रति लीटर पानी में 2 ग्राम मैंकोजेब मिला कर छिड़काव करें।
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नर्सरी में पौधों को गिरने से बचाने के लिए कैप्टान 02 प्रतिशत (2 ग्राम दवा एक लीटर पानी में) घोल का छिड़काव करें।
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जरूरत पड़ने पर दोबारा फफूंदनाशक का प्रयोग करें।
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