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10 Sep
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मिर्च की फसल को बचाएं वायरस रोगों की चपेट से

मिर्च की फसल को वायरस जनित रोगों से काफी नुकसान होता है, जो मिर्च की उपज और गुणवत्ता दोनों को प्रभावित करते हैं। यदि इन रोगों का सही समय पर प्रबंधन नहीं किया जाए, तो फसल को भारी नुकसान हो सकता है। मिर्च की फसल में प्रमुख रूप से कुकड़ा रोग और मोजेक वायरस रोग का प्रकोप देखने को मिलता है, जो न केवल मिर्च बल्कि टमाटर, खीरा, कद्दू, लौकी, करेला, तोरई, सेम, तरबूज, और पपीता जैसी अन्य फसलों को भी प्रभावित करते हैं। इन रोगों के लक्षणों को पहचानकर उनका उचित प्रबंधन किया जा सकता है, जिससे फसल को बचाया जा सके।

मिर्च में कौन से रोग वायरस से होते हैं? (Which diseases of chili are caused by viruses?)

मोजेक वायरस (Mosaic Virus) :

  • मिर्च की फसल को प्रभावित करने वाला एक प्रमुख रोग है।
  • इस रोग से प्रभावित पौधों की पत्तियों पर छोटे-छोटे पीले रंग के धब्बे उभरने लगते हैं।
  • यह धब्बे सामान्य तौर पर शिराओं से शुरू होते हैं जिससे कुछ समय बाद पत्तियां सिकुड़ने लगती हैं।
  • पौधों के विकास में बाधा आती है।
  • पौधों में निकलने वाले पुष्प गुच्छों में बदलने लगते हैं।
  • यदि पौधों में फल आ गए हैं तो फलों पर भी हल्के पीले रंग के धब्बे देखे जा सकते हैं।
  • यह रोग एफिड (माहू) कीट के द्वारा फैलता है।

नियंत्रण:

  • मिर्च की रोग रहित एवं उपचारित बीज का उपयोग करें।
  • रोग की प्रारंभिक अवस्था में प्रति लीटर पानी में 2 से 3 मिलीलीटर नीम का तेल मिलाकर छिड़काव करें।
  • इमिडाक्लोप्रिड 17.8% एस.एल. (हाईफील्ड इमिग्रो, धानुका मीडिया, बायर कॉन्फिडोर) कीटनाशक का उपयोग 100 मिली प्रति एकड़ की दर से स्प्रे करें।
  • फ्लुबेंडियामाइड 19.92% + थियाक्लोप्रिड 19.92% डब्ल्यू / डब्ल्यू एस सी (बेल्ट एक्स्पर्ट- बायर) दवा को प्रति एकड़ खेत में 100 मिलीलीटर की दर से छिड़काव करें।

पत्ती मरोड़ (Leaf Curl):

  • लीफ कर्ल वायरस, जिसे पत्ती मरोड़ रोग भी कहा जाता है, मिर्च की फसल को गंभीर रूप से नुकसान पहुंचाता है।
  • इस रोग से प्रभावित पौधों की पत्तियां मुड़ने लगती हैं, जिससे पौधे का विकास रुक जाता है और फल कम लगते हैं।
  • थ्रिप्स के कारण पत्तियां ऊपर की ओर मुड़ती हैं, जबकि माइट्स के प्रकोप से पत्तियां नीचे की ओर मुड़ जाती हैं।
  • समय के साथ पत्तियां और उनकी शिराएं मोटी हो जाती हैं, और पौधे झाड़ियों की तरह दिखने लगते हैं।
  • सफेद मक्खियों, थ्रिप्स और माइट जैसे कीट इस वायरस को फैलाते हैं।

नियंत्रण:

  • कुकड़ा रोग/पत्ती मरोड़ रोग के लक्षण दिखने पर प्रभावित पौधों को तुरंत नष्ट कर दें।
  • बीज की बुवाई से पहले खेत की गहरी जुताई करें और केवल प्रमाणित, रोग रहित बीजों का चुनाव करें।
  • सफेद मक्खियों पर नियंत्रण के लिए प्रति एकड़ खेत में 3 से 4 फेरोमेन ट्रैप का प्रयोग करें।
  • खेतों में प्रति एकड़ की दर से 4 से 6 पीले स्टिकी ट्रैप ताकि मक्खियां इसमें फंस कर मर जाएं।
  • लीफ कर्ल वायरस के नियंत्रण के लिए थियामेथोक्सम 25% WG (देहात Asear, सिन्जेंटा एक्टारा, धानुका अरेवा ) 40 से 80 ग्राम दवा को प्रति एकड़ खेत में छिड़काव करें।
  • क्लोरोपाइरीफॉस 50% + साइपरमेथ्रिन 5% ईसी (DeHaat C Square) 2 मिली प्रति लीटर पानी में दवा को मिलाकर छिड़काव करें।
  • अगर यह रोग माइट के कारण होते हैं तो प्रोपरगाइट 57% EC (ओमाइट, Swal प्रोपेमाइट) दवा को 600 मिलीलीटर प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें।
  • थ्रिप्स कीट के लिए थियामेथोक्सम 12.6% + लैम्बडासीहैलोथ्रिन 9.5% जेड सी (देहात एन्टोकिल, सिंजेंटा अलिका) दवा को 50 से 80 एम.एल. प्रति एकड़ खेत पर छिड़काव करें।
  • फ्लोनिकैमिड 50 डब्ल्यू.जी. (यूपीएल - उलाला) प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें।

धब्बेदार विल्ट वायरस (spotted wilt virus):

  • पत्तियों पर हल्के और गहरे हरे रंग के धब्बे दिखाई देते हैं।
  • पत्तियों की शिराओं पर हरित रोग देखा जा सकता है।
  • पत्तियाँ टेढ़ी-मेढ़ी या मुड़ी हुई हो सकती हैं।
  • फल की संख्या में कमी हो सकती है।
  • उत्पादित फल धब्बेदार और छोटे हो सकते हैं।

नियंत्रण:

  • पौध रोपण से 15 दिन पहले (कवर क्रॉप) मक्का, ज्वार या बाजरा की 2 पंक्तियाँ उगाएँ। ये फसलें मिर्च की फसल को सुरक्षित रखने में मदद करेंगी और वायरस के फैलाव को कम करेंगी।
  • हर दो साल में फसल चक्र अपनाएं। इससे मिट्टी की सेहत और फसल की उत्पादकता बनी रहती है, और वायरस के संक्रमण का खतरा कम होता है।
  • बुवाई के लिए वायरस रोग प्रतिरोधी किस्मों का चयन करें। ये किस्में वायरस के प्रभाव को कम करने में मदद करती हैं।
  • मिर्च की फसल वाले क्षेत्र में नियमित रूप से सफाई रखें। संक्रमित पौधों और खरपतवारों को तुरंत खेत से बाहर निकालें, ताकि वायरस का फैलाव रोका जा सके और फसल स्वस्थ रहे।
  • चूसक कीटों को नियंत्रित करने के लिए थियामेथोक्सम 12.6% + लैम्बडासीहैलोथ्रिन 9.5% जेड सी (देहात एन्टोकिल, सिंजेंटा अलिका) दवा को 50 से 80 एम.एल. प्रति एकड़ खेत पर छिड़काव करें।

क्या आपको मिर्च में वायरस रोगों से परेशान हैं और क्या आपको इसका कारण और प्रबंधन पता है? अपना अनुभव और जवाब हमें कमेंट करके जरूर बताएं, और  इसी तरह फसलों से संबंधित अन्य रोचक जानकारी के लिए 'किसान डॉक्टर' चैनल को तुरंत फॉलो करें। और अगर पोस्ट पसंद आयी तो इसे लाइक करके अपने किसान मित्रों के साथ साझा करें।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल | Frequently Asked Questions (FAQs)

Q: मिर्च में प्रमुख रोग कौन-कौन से हैं?

A: मिर्च की फसल में कई प्रकार के रोगों का प्रकोप होता है, जो फसल की उपज और गुणवत्ता को प्रभावित करते हैं। प्रमुख रोगों में भभूतिया रोग (Powdery Mildew), ब्लॉसम एंड रॉट (Blossom End Rot), फल सड़न रोग (Fruit Rot), एन्थ्रेक्नोज रोग (Anthracnose) और विल्ट या जड़ गलन रोग (Wilt/Root Rot) शामिल हैं। इन रोगों का सही समय पर निदान और नियंत्रण अत्यंत आवश्यक है।

Q: मिर्च में वायरस क्यों आता है?

A: मिर्च के पौधों में वायरस संक्रमण दूषित बीज, संक्रमित मिट्टी, या रोगग्रस्त पौधों के अवशेषों के कारण होता है। इसके अलावा एफिड्स, व्हाइटफ्लाई और थ्रिप्स जैसे कीट भी मिर्च में वायरस फैलाने के प्रमुख कारण होते हैं। यह कीट पौधों से रस चूसते हैं और वायरस को एक पौधे से दूसरे पौधे में फैलाते हैं, जिससे फसल प्रभावित होती है।

Q: मिर्च के पौधों में पत्तियां मुड़ने का क्या कारण है?

A: मिर्च के पौधों में पत्तियों का मुड़ना कई कारणों से हो सकता है, जैसे कि वायरल संक्रमण, पोषक तत्वों की कमी, कीटों का आक्रमण, और पर्यावरणीय तनाव। मिर्च लीफ कर्ल वायरस और टोमेटो लीफ कर्ल वायरस मिर्च के पौधों में पत्तियों के मुड़ने का प्रमुख कारण होते हैं। इसके अलावा, कैल्शियम और मैग्नीशियम जैसे पोषक तत्वों की कमी भी पत्तियों के मुड़ने का कारण बनती है। कीट जैसे एफिड्स और व्हाइटफ्लाई पत्तियों से रस चूस कर भी पत्तियों को नुकसान पहुंचाते हैं। तापमान में अत्यधिक वृद्धि, कम नमी और पानी की कमी भी पत्तियों के मुड़ने का कारण बनते हैं।

Q: मिर्च की खेती कौन से महीने में की जाती है?

A: मिर्च की खेती आमतौर पर गर्मी के मौसम में की जाती है। इसकी बुवाई का आदर्श समय फरवरी या मार्च का होता है, जो क्षेत्रीय और जलवायु परिस्थितियों पर निर्भर करता है। मिर्च की खेती मार्च से जून तक जारी रहती है, और सही समय पर बुवाई करने से फसल की बेहतर उपज प्राप्त होती है।

Q: मिर्च में वायरस कैसे कंट्रोल करें?

A: मिर्च की फसल में वायरस को नियंत्रित करने के लिए सबसे पहले प्रमाणित और रोग-रहित बीज का चयन करना चाहिए। बुवाई से पहले बीज को उपचारित करना अत्यंत महत्वपूर्ण है। संक्रमित पौधों को तुरंत नष्ट कर देना चाहिए। वायरस को फैलाने वाले कीटों, जैसे एफिड्स, व्हाइटफ्लाई, और थ्रिप्स पर नियंत्रण के लिए नीम का तेल, इमिडाक्लोप्रिड, या फ्लूबेंडामाइड जैसे कीटनाशकों का प्रयोग करना चाहिए।


































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