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मिर्च
डॉ. प्रमोद मुरारी
कृषि विशेषयज्ञ
4 year
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मिर्च की फसल में कुकड़ा रोग एवं इससे बचने के उपाय

कुकड़ा रोग को विभिन्न क्षेत्रों में घुरचा रोग, बंधा रोग, पत्ती मरोड़ रोग, चुरड़ा-मुरड़ा रोग, लीफ कर्ल आदि कई नामों से जाना जाता है। इस रोग के कारण मिर्च की फसल को बहुत नुकसान होता है। कुकड़ा रोग का कारण और लक्षण के साथ यहां से आप बचाव के उपाय भी देख सकते हैं।

रोग का कारण

  • यदि बुवाई से पहले बीज को उपचारित नहीं किया गया है तो इस रोग के होने की संभावना बढ़ जाती है।

  • इसके अलावा लंबे समय तक सूखा पड़ना, मॉनसून में देरी, नर्सरी में अधिक समय तक पौधों का लगा रहना भी इस रोग के कारणों में शामिल हैं।

  • इस रोग के होने का एक प्रमुख कारण वायरस है।

  • कुकड़ा रोग थ्रिप्स और माइटी जैसे कीटों के कारण भी होता है।

  • सफेद मक्खियां इस रोग को एक पौधे से दूसरे पौधे में फैलाती हैं।

रोग का लक्षण

  • इस रोग से प्रभावित पौधों की पत्तियां ऊपर या नीचे की तरफ मुड़ने लगती हैं।

  • थ्रिप्स के कारण पत्तियां ऊपर की तरफ मुड़ने लगती हैं।

  • माइट के प्रकोप से पत्तियां नीचे की तरफ मुड़ने लगती हैं।

  • पत्तियां एवं पत्तियों की शिराएं मोटी हो जाती हैं।

  • प्रभावित पौधे झाड़ियों की तरह दिखने लगते हैं।

  • इस विषाणु जनित रोग के कारण पौधों का विकास रुक जाता है और पौधों में फल कम लगते हैं।

बचाव के उपाय

  • कुकड़ा रोग के लक्षण दिखने पर पौधों को नष्ट कर दें।

  • बीज की बुवाई से पहले खेत की एक बार गहरी जुताई अवश्य करें।

  • यदि खेत में रोग से ग्रस्त पौधे हैं तो उन्हें नष्ट कर दें।

  • प्रमाणित एवं रोग रहित बीज का चयन करें।

  • कुकड़ा रोग यदि थ्रिप्स कारण हो रहा है तो प्रति लीटर पानी में 30 मिलीलीटर ट्राइजोफॉस 40 ई.सी मिलाकर छिड़काव करें।

  • यदि यह रोग माइट के कारण हो रहा है तो प्रति लीटर पानी में 40 मिलीलीटर प्रोपरजाईट 57 प्रतिशत मिलाकर छिड़काव करें।

  • सफेद मक्खियों से निजात पाने के लिए प्रति लीटर पानी में 5 मिलीलीटर नीम का तेल मिलाकर छिड़काव करें।

यदि आपको इस पोस्ट में दी गई जानकारी आवश्यक लगी है तो हमारे पोस्ट को लाइक करें एवं इसे अन्य किसानों के साथ साझा भी करें। अगर आपकी फसल में भी दिख रहे हैं इस रोग के लक्षण तो इस पोस्ट में बताए गए उपायों को अपनाएं और अपने सवाल हमसे कमेंट के माध्यम से पूछें।

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