मिर्च की पत्तियों में सिकुड़न का कारण और बचाव के उम्दा उपाय

सब्ज़ियों में प्रमुख फसल मिर्च सामान्यतः खरीफ और रबी दोनों ही मौसम में देश के लगभग हर राज्य में उगाई जाती है। इस वर्ष भी खरीफ की मिर्च की फसल अगस्त आते-आते अपने वानस्पतिक विकास चरण में पहुंच चुकी है। वहीं बदलते मौसम का प्रभाव भी इन दिनों फसल पर दिखाई दे रहा है। तापमान के उतार-चढ़ाव की वजह से फसल पर कीटों का प्रभाव बढ़ता जा रहा है। मध्य प्रदेश के मिर्ची उत्पादक क्षेत्रों में इस समय फसल पर थ्रिप्स कीट का प्रकोप तेजी से बढ़ रहा है। जिसके परिणामस्वरूप फसल की गुणवत्ता पूरी तरह से प्रभावित हो रही है।
कीट के लक्षण
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कीट प्रकोप की प्रारंभिक अवस्था में पौधों की पत्तियों पर चमकीली परत बन जाती है।
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अधिक प्रकोप होने पर पत्तियां झुर्रीदार, सिकुड़ी हुई और विकृत हो कर ऊपर की और मुड़ जाती हैं।
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पौधों का विकास रुकने लगता है।
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फूलों का झड़ना, कम फूल बनना और फलों का नहीं बनना आदि प्रभाव भी फसल में देखे जा सकते हैं।
नियंत्रण के उपाय
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खेत में समय-समय पर कीट की उपस्थिति की निगरानी करते रहें।
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खेत में पीला स्टिकी ट्रैप का प्रयोग करें। यह ट्रैप कीटों को अपनी ओर आकर्षित करता है। जिससे कीट ट्रैप पर चिपक जाते हैं और उन्हें आसानी से नष्ट किया जा सकता है।
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खेतों में उचित मात्रा में सिंचाई का ध्यान रखें। साथ ही अधिक नाइट्रोजन युक्त उर्वरक का इस्तेमाल न करें।
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लैम्ब्डा सिहलोथ्रिन 5 % ईसी की 120 मिलीलीटर मात्रा का छिड़काव प्रति एकड़ खेत में करें।
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अधिक संक्रमण होने पर फिप्रोनिल 5 % के के साथ बुप्रोफेज़ीन 5 % एससी की 300 मिलीलीटर दवा का छिड़काव प्रति एकड़ की दर से खेत में करें ।
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मिर्च में थ्रिप्स कीट की रोकथाम एवं प्रबंधन के लिए टोल फ्री नंबर 1800-1036-110 के माध्यम से देहात के कृषि विशेषज्ञों से जुड़कर उचित सलाह लें और समय पर फसल का बचाव करें। साथ ही अपने नज़दीकी देहात केंद्र से उच्च गुणवत्ता के उर्वरक एवं कीटनाशक खरीद जैसी सुविधा का लाभ उठाएं।
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