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मिर्च में एन्थ्रेक्नोज रोग और उसका उपचार
मिर्च में एन्थ्रेक्नोज रोग और उसका उपचार
एन्थ्रेक्नोज रोग मिर्च की फसल को कच्चे फलों की अवस्था से फलों की कटाई के बाद तक लगभग प्रत्येक चरणों में प्रभावित करता है। एन्थ्रेक्नोज एक फफूंद जनित रोग है, जो सब्जियों, फलों के साथ पेड़ों को भी प्रभावित करता है। रोग के लक्षण सर्वप्रथम पौधों की पत्तियों पर दिखने शुरू होते हैं और अधिक प्रकोप होने पर तनों और टहनियों तक फैल जाते हैं। एन्थ्रेक्नोज रोग के लक्षण मौसम के अनुरूप भिन्न होते हैं। अधिक नमी या गर्म मौसम में रोग के फैलने का खतरा बढ़ जाता है। साथ ही मक्खियां और अन्य कीड़े रोग के संक्रमण को दूसरे पौधों तक फैलाने का काम करते हैं। रोग के अधिक प्रकोप के कारण फसल में 80 प्रतिशत तक का नुकसान हो सकता है। जिसके कारण इस रोग का प्रारंभिक उपचार किया जाना आवश्यक है। एन्थ्रेक्नोज रोग के उपचार से जुड़ी जानकारी प्राप्त करने के लिए पोस्ट को पूरा पढ़ें।
एन्थ्रेक्नोज से होने वाले नुकसान
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एन्थ्रेक्नोज रोग आमतौर पर पहले छोटे, अनियमित पीले या भूरे रंग के धब्बे के रूप में दिखाई देते हैं। ये धब्बे उम्र के साथ गहरे हो जाते हैं और पत्तियों को पूरी तरह से ढक लेते हैं।
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नई पत्तियों पर संक्रमण होने से पत्तियां मुड़ी हुई और विकृत दिखाई देती हैं।
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पत्तियां समय से पहले गिरने लगती हैं।
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अधिक संक्रमण होने पर तने और टहनियों पर भी घाव पड़ने लगते हैं और पौधे सूख जाते हैं।
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यह रोग फलों पर छोटे, काले, धंसे हुए धब्बे पैदा करते हैं।
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नम मौसम में इन धब्बों के बीच में गुलाबी रंग के बीजाणु बन जाते हैं और फल सड़ जाते हैं।
मिर्च की फसल को एन्थ्रेक्नोज रोग बचाने के तरीके
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खेतों में जलभराव की स्थिति न होने दें।
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प्रतिरोधी किस्म लगाएं।
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केवल स्वस्थ पौधों से प्राप्त बीजों का ही प्रयोग करें।
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प्रतिरोधी फसल का चक्रीकरण करें।
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संक्रमित पौधों और फलों को नष्ट कर दें।
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खेतों में जंगली घास न उगने दें।
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पौधों में खड़ी सिंचाई न करें।
रासायनिक नियंत्रण
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हेक्साकोनाजोल 5% और कैप्टन 70% डब्ल्यूपी के मिश्रण की 300 ग्राम मात्रा को प्रति एकड 200 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें।
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25-30 ग्राम देहात फुल स्टॉप की मात्रा को 15 लीटर पानी के साथ मिलाकर छिड़काव करें।
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800 ग्राम थीरम का प्रयोग प्रति एकड़ में प्रयोग होने वाले बीजों के उपचार के लिए करें।
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कार्बेंडाजिम 2 ग्राम मात्रा को प्रति लीटर पानी के साथ मिलाकर छिड़काव करें। अधिक प्रकोप होने पर 15 दिन के बाद दोबारा छिड़काव करें।
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