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मिट्टी सौर्यीकरण : जैविक विधि से करें कीट एवं खरपतवारों पर नियंत्रण
मिट्टी सौर्यीकरण : जैविक विधि से करें कीट एवं खरपतवारों पर नियंत्रण
कीटनाशक एवं करपतवार नाशक दवाओं में हानिकारक रसायनों के कुप्रभाव से बचने के लिए इन दिनों जैविक खेती को अधिक महत्व दिया जा रहा है। अब सवाल यह उठता है कि हानिकारक रसायन युक्त कीटनाशक एवं खरपतवार नाशकों का प्रयोग किए बिना कीटों एवं खरपतवारों पर नियंत्रण कैसे करें? इसका जवाब है मिट्टी सौर्यीकरण प्रक्रिया। आइए इस पोस्ट के माध्यम से हम मिट्टी सौर्यीकरण प्रक्रिया पर विस्तार से जानकारी प्राप्त करें।
क्या है मिट्टी सौर्यीकरण?
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यह एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें सौर्य ऊर्जा को एकत्रित करने के लिए खेत को एक पारदर्शी प्लास्टिक की शीट से ढका जाता है। इससे सूर्य की प्रकाश से होने वाली गर्मी से मिट्टी का तापमान बढ़ जाता है। जिससे मिट्टी में मौजूद कीट एवं खरपतवार नष्ट हो जाते हैं।
मिट्टी सौर्यीकरण की प्रक्रिया करते समय किन बातों का रखें ध्यान?
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प्लास्टिक शीट से ढकने से पहले खेत की सफाई करें।
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मिट्टी के गीला होने तक खेत में सिंचाई करें।
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सफेद एवं काले रंग के प्लास्टिक का प्रयोग न करें। इन रंगों के शीट मिट्टी को प्रयाप्त गर्म नहीं होने देते हैं।
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गर्मी को रोकने के लिए प्लास्टिक शीट के किनारों को मिट्टी में दबा दें।
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खेत में प्लास्टिक शीट लगाने के बाद उसे करीब 4 सप्ताह तक लगा रहने दें।
मिट्टी सौर्यीकरण के फायदे
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यह एक जैविक प्रक्रिया है।
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फसल में कीटों एवं खरपतवारों की समस्या से राहत मिलती है।
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बिना हानिकारण रसायनों का प्रयोग किए कीटों एवं खरपतवारों पर नियंत्रण किया जा सकता है।
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कीटनाशक एवं खरपतवार नाशक दवाओं पर होने वाले खर्च में कमी आती है।
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उच्च गुणवत्ता की फसल प्राप्त होती है।
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