मखाना में जड़ एवं तना गलन की समस्या पर नियंत्रण के सटीक उपाय

भारत विश्व का सबसे बड़ा मखाना उत्पादक देश है। जिसमें से पूरे विश्व के खपत की 80 प्रतिशत की भागीदारी सिर्फ उत्तरी बिहार जिलों की होती है। मखाना पानी की घास में होता है, जिसे कुरुपा अखरोट के नाम से भी जाना जाता है। मखाने के पौधों में निकलने वाले पत्ते कांटेदार होते है जिन पर फूल बनने के बाद 2 से 4 दिनों में ही बीज बनने शुरू हो जाते हैं। मखाने में रोगों की बात की जाए तो मखाने में अधिकतर जड़ और तना गलन की समस्या
देखने को मिलती है। मखाने में यह रोग फ्यूजेरियम, पीथियम और राइजोक्टोनिया कवक प्रजातियों के कारण होता है, जो पौधों के निचले भाग को प्रभावित कर पौधों के सड़ने का कारण बनते हैं। अगर आप भी मखाने की खेती कर रहे हैं तो जड़ और तना गलन समस्या से बचाव के उपाय यहां देखें।
मखाना में जड़ और तना गलन की समस्या से होने वाले नुकसान
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पौधों की जड़ें सड़ने लगती हैं।
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पौधों की वृद्धि रुक जाती है।
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पत्तों पर भूरे रंग के धब्बे उभरने लगते हैं।
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यह धब्बे गोल एवं नाव के आकार के होते हैं।
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पौधे गल जाते हैं।
जड़ और तना गलन रोग पर नियंत्रण के तरीके
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रोगग्रस्त पौधों को नष्ट कर दें।
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प्रभावित पौधों को निकालने के बाद तालाब की सोडियम हाइपोक्लोराइट से अच्छी तरह सफाई करें।
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इसके अलावा आप कॉपर सल्फेट क्रिस्टल से भरे एक मलमल बैग से भी तालाब को साफ कर सकते हैं। इसके बाद ही आप पौधों को लगाएं।
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2 से 3 वर्ष का फसल चक्र अपनाएं।
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खेती के लिए साफ पानी का ही प्रयोग करें।
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बिजाई से पहले 25 किलोग्राम नीम की खली डालें।
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