मखाना : पत्ती गलन समस्या पर नियंत्रण के उपाय

मखाना एक नकदी फसल है। इसकी खेती तालाब में की जाती है। पूरे विश्व का 90 प्रतिशत उत्पादन भारत में ही होता है। भारत में बिहार सबसे ज्यादा मखाना उत्पादित करने वाला राज्य है। इसे कुरूपा अखरोट के नाम से भी जाना जाता है। मखाना की फसल में पत्ती गलन की समस्या बहुत देखी गई है। ज्यादा प्रकोप होने पर यह फसल की गुणवत्ता को प्रभावित करती है। आज इस आर्टिकल के माध्यम से हम किसानों को मखाना की फसल में होने वाली पत्ती गलन की समस्या एवं उपचार की विधि बताएंगे। जानने के लिए पढ़िए यह आर्टिकल।
मखाना में पत्ती गलन का कारण
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यह फफूंद जनित रोग है।
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यह रोग ‘फाइटोफ्थोरा पैरासिटिका’ नामक फफूंद के कारण होता है।
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दूषित पानी का प्रयोग करने पर भी यह समस्या उत्पन्न हो सकती है।
मखाना की फसल में पत्ती गलन रोग के लक्षण एवं नुकसान
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यह रोग मुख्यत: छोटे पौधों की पत्तियों को नुकसान पहुंचाता है।
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इस रोग के कारण पत्तियों पर भूरे रंग के धब्बे बन जाते हैं।
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यह धब्बे शुरुआत में हल्के होते हैं और कुछ समय बाद काले रंग के हो जाते हैं।
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ज्यादा प्रकोप होने पर पत्तियां पौधों से अलग हो जाती हैं।
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प्रभावित पौधा मर जाता है।
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यह रोग मानसून के खत्म होने के बाद तक बना रहता है।
रोकथाम के उपाय
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खेती के लिए साफ पानी का ही प्रयोग करें।
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रोग जनित पौधें को पानी से निकाल कर नष्ट कर दें।
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प्रभावित पौधों को निकालने के बाद तालाब की सोडियम हाइपोक्लोराइट से अच्छी तरह सफाई करें।
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इसके अलावा कॉपर सल्फेट क्रिस्टल से भरे एक मलमल बैग से भी तालाब को साफ कर सकते हैं। इसके बाद ही आप फसल को लगाएं।
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बिजाई से पहले तालाब में 25 किलोग्राम नीम की खली डालें।
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उचित मात्रा में खाद एवं उर्वरकों का इस्तेमाल करें।
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प्रभावित पौधों पर बलाइटॉक्स 50 की 3.5 ग्राम मात्रा को प्रति लीटर पानी में घोल कर छिड़काव करें।
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