मक्के की झुलसती पत्तियां दे रही हैं इस रोग का संकेत

“पत्ती झुलसा रोग!”; कई फसलों में होने वाला यह रोग अपने नाम से ही रोग के लक्षणों की व्याख्या करता हुआ आया है। मक्के में इस रोग का कारण सामान्यतः खेत में पिछली फसल के बचे हुए संक्रमित अवशेष होते हैं। ये अवशेष कई बीजाणुओं का घर होते हैं, जो बारिश या सिंचाई के पानी के साथ बहकर पूरे खेत में फैल जाते हैं। यदि तापमान 24°C से 30°C के बीच हो एवं वायुमंडल में आर्द्रता अधिक हो, तो संक्रमण के कई चक्र विकसित हो सकते हैं, जो मक्के को बहुत तेजी से संक्रमित करते हैं।
मक्का के पौधों में रोग के लक्षण सबसे पहले निचली पत्तियों पर दिखाई देते हैं और हवा द्वारा वितरित बीजाणुओं के कारण बाद में ऊपरी पत्तियों में भी फैल जाते हैं। संक्रमण के शुरुआती धब्बे छोटे, लंबे, पानी भरे फोड़ों से हो सकते हैं जो बाद में भूरे-हरे से हल्के भूरे घावों के लंबे बैंड में विकसित हो जाते हैं। इसी तरह के धब्बे मक्के की भूसी पर भी देखे जा सकते हैं।
आम तौर पर संक्रमण जितनी देर से शुरू होता है, उपज का नुकसान उतना ही कम होता है।
पुष्पक्रम निकलने से पहले मक्के पर संक्रमण के धब्बे बहुत कम देखे जाते हैं। कवक के लिए इष्टतम स्थितियों के साथ फूल आने से पहले या उसके दौरान संक्रमण होने से 60% तक की उपज का नुकसान हो सकता है। वहीं यदि संक्रमण फूल आने के 5–6 सप्ताह बाद होता है तो उपज में मामूली कमी होती है। हालांकि, संक्रमित पौधों के अवशेष अगले वर्षों के लिए संक्रमण का मूल बन जाते हैं और अगली फसल को शुरुआती अवस्था से ही संक्रमित कर सकते हैं।
नियंत्रण के उपाय
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फसल की कटाई के बाद खेत में गहरी जुताई जरूर करें |
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मक्के में पत्ती झुलसा रोग से बचने के लिए एक लीटर पानी में 1 मिलीलीटर अज़ोऑक्सीस्ट्रोबिन 18.2% + डाईफेनोकोनाज़ोल 11.4% एससी मिलाकर फसल पर छिड़काव के लिए इस्तेमाल में लें।
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संक्रमण के लक्षण दिखने पर सिंचाई की सुविधा में खेत के मुताबिक बदलाव लाये जिससे रोग का संक्रमण पूरे खेत में न फैले |
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किसान भाई ऊपर दिए गए ऊपायों से, मक्का की रबी फसल में झुलसा रोग को नियंत्रित कर अपनी उपज को बढ़ा सकते हैं और अधिक मुनाफा कमा सकते हैं। मक्के की खेती से जुड़ी अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए टोल फ्री नंबर 1800-1036-110 पर कॉल करके या फिर कमेंट बॉक्स के माध्यम से भी आप हमें सवाल पूछ सकते हैं। कृषि संबंधित ज्ञानवर्धक और रोचक जानकारियों के लिए जुड़े रहें देहात से।
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