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मटर की फसल में ऐसे करें रस्ट रोग पर नियंत्रण
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रस्ट रोग के प्रकोप के कारण मटर की पैदावार में भारी कमी आती है। जिस कारण कई बार किसानों को नुकसान का सामना करना पड़ता है। मटर की सभी किस्मों में रस्ट रोग का प्रकोप होता है। करीब 10 से 12 डिग्री सेंटीग्रेड तापमान में यह रोग तेजी से फैलता है। समय रहते अगर इस रोग पर नियंत्रण नहीं किया गया तो मटर की पैदावार में 100 प्रतिशत तक कमी आ सकती है। आइए मटर की फसल को क्षति पहुंचाने वाले रस्ट रोग के लक्षण एवं इस पर नियंत्रण के तरीकों पर विस्तार से जानकारी प्राप्त करें।
मटर की फसल में रस्ट रोग के लक्षण
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रोग से प्रभावित पौधों की पत्तियों पर अनियमित आकार के धब्बे उभरने लगते हैं।
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धब्बों का रंग जंग की तरह भूरा एवं गहरा भूरा होता है।
मटर की फसल में रस्ट रोग पर नियंत्रण के तरीके
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इस रोग पर नियंत्रण के लिए 200 मिलीलीटर प्रोपिकोनाज़ोले मिला कर छिड़काव करें। यह दवा बाजार में सिंजेंटा टिल्ट एवं यूपीएल विजेता के नाम से उपलब्ध है।
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इसके अलावा प्रति अकड़ भूमि में 120 ग्राम ट्राईसाइक्लाजोल (एचपीएम बिंदासलीटर, इंडोफिल बाण, Rallis Mantis 75) का भी प्रयोग कर सकते हैं।
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